भोजपुरी सहित 4 विषयों में पीजी एडमिशन के लिए सोमवार से खुलेगा पोर्टल

पटना नाउ की खबर का असर, अब ऑनलाइन ही भोजपुरी में डायरेक्ट नामांकन के लिए अप्लाई कर सकेंगे छात्र

आरा,18 जून. भोजपुरी में नामांकन को ले छात्रों की दिक्कतों की खबर पटना नाउ में प्रकाशित होने के बाद उसका असर देखने को मिला है. ऑनलाइन पोर्टल से भोजपुरी का नाम गायब होने की खबर के बाद भोजपुरी आन्दोलन से जुड़े भोजपुरवासियों के कान खड़े हो गए और शुक्रवार को ही इस सम्बंध में विवि के अधिकारियों से मिलने जा पहुँचे. आनन फानन में विवि ने उसके बाद पोर्टल से गायब भोजपुरी समेत 4 उन विषयों को भी जोड़ने का आश्वासन दिया है जिसकी पढ़ाई स्नातक में नहीं की जाती है.




वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय में सत्र 2020 में पीजी एडमिशन के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला गया है, लेकिन भोजपुरी, लोकप्रशासन, प्राकृत-जैनिज़्म, दर्शनशास्त्र में नामांकन लेने के इच्छुक छात्रों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. ज्ञात हो कि इन 4 विषयों में अभी तक किसी भी संकाय के विद्यार्थी सीधे नामांकन ले सकते थे. भोजपुर में यहाँ की लोकभाषा भोजपुरी और यहाँ की समृद्ध जैन संस्कृति के अध्ययन को इससे प्रोत्साहन मिलता रहा है. मगर इस साल सम्बंधित विषय में स्नातक प्रतिष्ठा वाले छात्रों को ही पोर्टल द्वारा नामांकन आफर किया जा रहा है. भोजपुरी और अन्य विषय के छात्र काफी परेशानी महसूस कर रहे थे. गुरुवार को के के सिंह डीन, छात्र कल्याण ने बताया कि पहले प्रतिष्ठा वाले छात्र ही आवेदन करेंगे बाद में इसे सबके लिए खोला जाएगा. इधर छात्रों का कहना है कि पिछली बार भी ऐसा कहा गया था पर अंत में कई छात्र परेशानी की वजह से नामांकन से वंचित रह गए.


आइसा से जुड़े छात्र रोशन कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने पिछली बार भी इसी आश्वासन पर भोजपुरी के लिए आवेदन किया पर बाद में उनका नामांकन नहीं हो पाया, छात्र चक्कर काटने को बाध्य थे. छात्रों का यह भी कहना है कि विवि को इस सम्बंध में पारदर्शी पोर्टल बनाना चाहिए जहाँ सबको पहले आवेदन का मौका मिले और बाद में स्नातक विषय और अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट प्रकाशित किया जाए, मगर पोर्टल ही बन्द करना और सिर्फ आश्वासन देना बेतुका है. सिर्फ प्रतिष्ठा वाले छात्रों को ही पीजी में नामांकन देने का कोई नियम यूजीसी या राजभवन द्वारा प्रकाश में नहीं आया है.

रोशन कुशवाहा, छात्र

भोजपुरी, लोकप्रशासन आदि विषयों में इस विवि में स्नातक में पढ़ाई की कोई आधारभूत संरचना भी विकसित नहीं है ऐसे में इन विषयों के पीजी विभाग में सीटें खाली ही रह जाएंगी. जबकि हर बार इन विषयों में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए किसी भी संकाय के छात्रों के लिए सीधे नामांकन की व्यवस्था थी.

इस मुद्दे पर आज भोजपुरी आंदोलन से जुड़े छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल डीन कार्यालय पहुंचा. इस प्रतिनिधिमंडल में युवा कांग्रेस महासचिव अभिषेक द्विवेदी, रंगकर्मी व पत्रकार ओ पी पांडेय और मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के कार्यकारिणी सदस्य रवि प्रकाश सूरज थे. डीन की अनुपस्थिति में छात्र कल्याण संकाय के प्रभारी परीक्षा समन्वयक डॉ कुमावत और विवि के डीन के सहायक मनोज कुमार सिंह ने डीन से फोन पर बात की. डीन ने आश्वासन दिया कि सोमवार से इन सभी विषयों में सीधे नामांकन के लिए एडमिशन पोर्टल खोल दिया जाएगा.

अभिषेक द्विवेदी और ओ पी पांडेय ने कहा कि विवि द्वारा बार-बार भोजपुरी की पढ़ाई पर ग्रहण लगाने के प्रयास का विरोध होगा, अगर सोमवार को पोर्टल नहीं खुला तो आंदोलन तय है. रवि प्रकाश सूरज ने कहा कि भोजपुरी में उच्च शिक्षा को लेकर विवि प्रशासन गम्भीर नहीं है, सिर्फ सम्बद्ध महिला कॉलेजों में नाममात्र की स्नातक सीटें हैं. विवि को चाहिए कि लोकप्रशासन, भोजपुरी आदि विषयों के लिए अंगीभूत कॉलेजों में विभाग खुले और बहाली हो.

ज्ञात हो कि इस विवि के अलावा सिर्फ बी एच यू में भोजपुरी अध्ययन केंद्र है और वहाँ भी किसी संकाय का छात्र भोजपुरी में दाखिला ले सकता है. ऐसे में भोजपुर का ही विवि भोजपुरी को लेकर गम्भीर प्रतीत नहीं दिख रहा है. दूरदराज के छात्र विवि के निर्णय से परेशान हैं. गोरखपुर की आकृति दूबे, दिल्ली से विकास प्रसाद, नोएडा के अभिषेक प्रीतम आदि छात्र चाहते हुए भी भोजपुरी में नामांकन नहीं ले पा रहे थे.

अब देखना यह होगा कि सोमवार को विवि पोर्टल पर इन विषयों के जुड़ने के बाद भोजपुरी में कितने नामांकन होते हैं.

आरा से सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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