पटना, 27 अगस्त (ओपी पांडेय) | भोजपुरी में फैले अश्लीलता से तंग लोगो द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई की. यह याचिका अविनाश कुमार द्वारा दायर की गयी थी. लगातार भोजपुरी गानो में उसके गिरते स्तर से इस भाषा की मर्यादा तार-तार हुआ है. दायर जनहित याचिका पर पटना हाई कोर्ट ने आज सुनवाई की. जस्टिस एस पांडेय की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मामलें को पटना के डीएम और एसएसपी के समक्ष रखने का निर्देश दिया है. न्यायालय को बताया गया कि भोजपुरी बहुत पुरानी और प्रतिष्ठित भाषा हैं, जिसे न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी बोला जाता हैं.
बताते चलें कि अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठाने में अम्बा, पुरुआ, आखर, बेजोड़ जैसी कई संस्थाएं हैं जो लगातार इन फूहड़ता फैलाने वालों के खिलाफ लगातार जागरूकता फैलाने के साथ ऐसे फूहड़ लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी किया है. पटना नाउ ने भोजपुरी से अश्लीलता के खिलाफ इस अभियान को हमेशा प्रमुखता से छापा है. अश्लील कलाकारों की खबर पटना नाउ ने कभी नहीं छापा है. जहां एक ओर ऐसे भोजपुरी के लिए अच्छे करने वाले लोग हैं वही हाल के दिनों में भोजपुरी में बन रहे गानों स्तर लगातार गिरा हैं जिससे इस भाषा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. अगर समाजिक कार्यकताओं की माने तो यह गिरावट सरकार की अनदेखी से आई है. कोर्ट ने तो पहले भी ऐसे फूहड़ लोगों पर कड़े कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नही हुई है जिससे फूहड़ता और भौंडेपन फैलाने वालों का हौसला बुलन्द है.
जनहित याचिका पर कोर्ट की इस सुनवाई को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक नितिन चंद्रा ने एक सकारात्मक पहल बताया है. उन्होंने कहा कि कानून का डंडा जिस दिन फूहड़ता फैलाने वालों पर पड़ेगा उसी दिन भोजपुरी में फूहड़ता में कमी आ जायेगी. बताते चलें कि नितिन चंद्रा ने देसवा, मिथला मखान, छठ गीत सहित कई भोजपुरी गानो को बड़े ही सुंदर तरीके से पेश कर बिहार का नाम गौरान्वित किया है.