भोजपुरी की कहावत है कि अस्सी की उम्र में भोजपुर के लोगों में जवानी चढ़ती है. जी हाँ इस कहावत का सटीक उदाहरण हैं 80 वर्षीय श्याम नारायण शर्मा. बापू के दीवाने शर्मा जी को शहर के लोग ग्रैंडपा के नाम से जानते हैं. वे पिछले 45 वर्षों से वेस्ट मटेरियल से पेन, लिफाफे, कैलेंडर व कार्ड बनाते हैं. इन हस्त निर्मित वस्तुओं पर खुद से बापू के दिए हुए सन्देश लिखते हैं. जनोपयोगी इन वस्तुओं को वे शहर के खास लोगों को मुफ्त में देते हैं.
15 दिनों तक रखा था मौन
महात्मा गांधी को प्रेरणास्रोत मानने वाले, भ्रष्टाचार के विरोधी, कर्मठ और जुझारू व्यक्तित्व के धनी शर्मा जी का जन्म सन् 1935 के गुलाम भारत में हुआ था. वर्ष 1957 में उन्हे बिजली विभाग में नौकरी मिली. उस दौर में प्रतिदिन डेढ़ रुपये के दर से पैसे मिलते थे. वे बताते हैं कि कार्यों में कर्मठता के कारण 1968 में नौकरी स्थायी कर दी गयी. वर्ष 2000 में रिटायर्ड भी हुए. उन्होंने बताया कि सन् 1972 में बिजली विभाग के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए 15 दिनों तक मौन ब्रत में रहे. गांधी के आदर्श पर चले व मौन रखकर अपना आक्रोश जताया.
कलम को मानते हैं ताकतवर
अपने पिता की याद में कलम बनाकर उसपर गांधी के सन्देश लिखते हैं व मुफ्त में बाँटते हैं. वे कहते हैं कि कलम सबसे ताकतवर है. शर्मा जी इन हस्त निर्मित जन उपयोगी वस्तुओं पर माहात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरु के संदेश लिखते हैं. इन वस्तुओं को गांधी जयंती के ख़ास अवसर पर एक साल तक चिन्हित कए गए लोगों के बीच वितरित करते हैं. बताते हैं कि अब तक 5 हजार लोगों को ये वस्तुएं वितरित कर चुके हैं.
रिपोर्ट –आरा से ओ पी पाण्डेय