विवि को भोजपुरी पढ़ाने का आदेश नहीं दिया लेकिन “भोजपुरी-भवन” बनाने के लिए दे दिए पैसे
राजभवन की ओर से जारी एक आदेश ने भोजपुरी की पढाई बंद करने से न सिर्फ विवि बल्कि राजभवन भी सवालों के घेरे में है। दो ऐसे महत्वपूर्ण सवाल हैं जो राजभवन के साथ -साथ पर राज्यसरकार पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है. पहला सवाल तो यह है कि जब मुख्यमंत्री विन्देश्वरी दूबे के आदेश से 1991 में अगर सरकार ने ही इस विभाग के लिए मगध विवि को आदेश दिए तो फिर मगध विवि के 1992 में अलग होने के बाद उसके द्वारा वीर कुंवर सिंह विवि को दिए हुए कागजात पर सवाल क्यों उठाया ? जिसपर उसे भोजपुरी समेत कई अन्य भाषाओं के पढ़ाने सम्बंधित आदेश हैं। क्या मगध विवि ने अपने मन से आदेश दे दिया? चलिए मान भी लिया जाये कि सरकार ने यह आदेश नहीं दिया, तो दूसरा सवाल यह है कि 2006 में 40 लाख की रकम से विवि कैम्पस में भोजपुरी के लिए “भोजपुरी-भवन” कैसे बन गया? इस 40 लाख की रकम में 30 लाख रुपया अकेले राज्य सरकार ने दिया है जबकि 10 लाख की रकम उस समय के बिहार विधान-परिषद् सभापति, अरुण कुमार ने अपने निधि से दिया था. विडंबना देखिये कि भवन निर्माण के बाद इस भवन में भोजपुरी के अतिरिक्त 6 विभागों को पढ़ाई होती है लेकिन इस भवन के मुख्य बाहरी भाग पर “भोजपुरी भवन” का नहीं बल्कि अर्थशास्त्र विभाग का लगा है बोर्ड. जबकि शिलान्यास बोर्ड पर भोजपुरी-भवन का जिक्र है.ऐसे कई सवालों को लेकर कई संगठन आन्दोलन का मूड बना चुके है .