लाइव पेंटिंग पर नही गया किसी का ध्यान कैसे होगा कला का संरक्षण!
आरा,19 अगस्त। कला की कोई भी विधा अपने आप मे किसी को आकर्षित करने के लिए काफी होता है लेकिन पेंटिंग की भाषा कुछ ऐसी होती है जो लोगों को घन्टों अपने आप मे बांधे रखता है। पेंटिंग की रंगों और उनकी लकीरों में कई कल्पना के गोते दर्शक घन्टों लगाए उसमें अपनी उस कल्पना की दुनिया को खोजते और जीते रहते हैं। भोजपुर की धरती पर आजादी के 75वें साल के उपलक्ष्य में जिला प्रशासन की ओर से कला को सम्मान देते हुए लाइव पेंटिंग के लिए कुछ चित्रकारों को आमंत्रित किया गया। चित्रकारों ने लाइव पेंटिंग को रमना मैदान के ऐतिहासिक मैदान में जीवंत बनाया भी एयर भी खासे बड़े आकार में बड़े मनमोहक अंदाज में पर अफसोस कि खबरों पर अपनी पैनी नजर बनाने वाली मीडिया जो ब्रेकिंग के लिए किसी हद तक पार कर जाने की होड़ में आगे रहना चाहती है उसे क्राइम और राजनीतिक खबरें तो बड़े आसानी से दिख जाती है लेकिन इस लाइव पेंटिंग को किसी ने देखने के बाद भी अपनी खबरों में शामिल नही किया । 15 अगस्त के कार्यक्रम के 4 दिन बीत जाने के बाद भी किसी मीडिया में यह कला की खबर नही आयी। पटना नाउ ने हमेशा से कला पर अपनी पैनी नजर रखा है और इस बार भी इसे जनता के समक्ष लाया है। कलाकारो की मेहनत के बाद भी गुमनामी में गुम कलाकारों को खोज लाए हैं आपके समक्ष….एक रिपोर्ट।
भोजपुर के दो युवा कलाकार ऐसे ही जुनून से भरे हैं जिनकी ऊर्जा को जगह दे रहें हैं हम। मुकेश चौधरी, विवेक कुमार दो ऐसे चित्रकार है जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में लाइव फोटो बना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया । स्वतंत्रता दिवस पर 24 फ़ीट का लाइव पेंटिंग टोक्यो 2020 ओलम्पियन ,स्वस्तंत्रता सेनानी ,गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की लाइव पेंटिंग्स बनाई ।पटना आर्ट कॉलेज ,बीएचयू वाराणसी ..कोरोना काल में भी मुकेश विवेक और उनकी टीम कौशलेश कुमार के नेतृत्व में भी काम कर चुकी है ।
कोरोना काल के दौरान की गई पेंटिंग की खबरों के किये यहाँ क्लिक करें –
कोरोना वारियर्स वाल मंगलम द वेन्यु की वाल पर बना कर भोजपुर ही नहीं पूरे देश में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। भोजपुर में लोग इन्हें बहुत सम्मान करते हैं । मुकेश कहते हैं कि पेंटिंग से पूरे भोजपुर में जो माहौल बना है उससे लोगों में बहुत खुशी है। इनका ख़्वाब है कि पेंटिंग के माध्यम से भोजपुर की संस्कृति को और भी खूबसूरत बना इसे यादगार बनाया जाय। वे कहते हैं कि वातावरण अब बन रहा है और उम्मीद है कि अगर लोगों में और सरकार की नजरों में यह पेंटिंग रहा तो बहुत जल्द जिला पेंटिंगमय होगा । विवेक फाइन आर्ट को ही अपना करियर बनाना चाहते है। वे निरंतर इसमें अपने आप को एक साधक की तरह झोंके हुए हैं।