मुसहर समुदाय के किये किये विशेष कार्यों के लिए चर्चा में आये भीम सिंह भवेश
महाभारत कालीन मंदिर के जीर्णोद्धार की भी की थी शुरुआत
8000 मुसहरों को किया शिक्षित
आरा,27 जनवरी. छोटे शहरों में अपनी रोजी-रोटी, मेहनत-मजदूरी और छोटी दुनिया में ही सिमटे मनुष्य के लिए कभी उससे बाहर निकलना आसान नही होता. अपनी जद्दोजहद से लड़ते कुछ मुकाम पा जाते हैं तो उनके घर सँवर जाते हैं, कुछ के सपने सँवर जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो इसी व्यवस्था में रहते हुए अपने कार्यों से ऐसी लकीर खींचते हैं जो इतिहास पुरुष बन जाते हैं. वे अपने परिवार या समुह के लिए नही बल्कि समुदाय के लिए ऐसा कार्य कर जाते हैं जो सदियों तक उनकी दशा और दिशा दोनों तय करती है. उनके लिए समाज ही एक परिवार होता है. हम बात कर रहे हैं बिहार के भोजपुर जिले के डॉ. भीम सिंह भवेश की जिनके दो दशक के कार्यों ने उन्हें पद्मश्री तक पहुंचा दिया है. यह सम्मान भले ही डॉ. भीम सिंह को मिला है लेकिन इसे पूरा प्रदेश महसूस कर रहा है और खुशी की विशेष लहर है. फोन की घण्टियों से लेकर मैसेज,टेक्स्ट मैसेज, फेसबुक, एक्स जैसे तमाम सोशल साइट्स पर मेसेजों का तांता लगा है.

भीम सिंह भवेश ने पद्म श्री पुरस्कार के लिए अपने नाम के चयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है. बिहार के सात विभूतियों में वर्ष 2025 के लिए जाने-जानेवाले शख्शियतों में शामिल होने पर अति प्रसन्नता व्यक्त की है और अपने कार्य का श्रेय उन्होंने इस कार्य में जुड़े सदस्यों, समाजिक कार्यकर्ताओं और भोजपुर जिला प्रशासन को दिया है जिनके सहयोग से उन्होंने मुसहर समुदाय में इस बदलाव को लाया है. वे भोजपुर से पद्मश्री पाने वाले दूसरे व्यक्ति बन गए हैं.
बिहार के इन 7 विभूतियों को पद्म श्री
- शारदा सिन्हा (मरणोपरांत) पद्म विभूषण, कला क्षेत्र के लिए
- सुशील मोदी (मरणोपरांत) पद्म भूषण, सामाजिक कार्य के लिए
- किशोर कुणाल (मरणोपरांत) पद्म श्री, प्रक्षेत्र लोक सेवक के लिए
- भीम सिंह भवेश, पद्म श्री, समाज सेवा के लिए
- हेमंत कुमार, पद्म श्री, चिकित्सा के लिए
- निर्मला देवी,पद्म श्री, सुजनी कला के लिए
- विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज,पद्म श्री, आध्यात्म के लिए
भोजपुर जिले के संवेदनशील समाजसेवी व वरीय पत्रकार डॉ भीम सिंह भवेश को राजधानी दिल्ली में आयोजित 76वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान गणमान्य व्यक्ति के रूप में पत्नी के साथ आमंत्रित किया गया इसको लेकर प्रसार भारती दिल्ली द्वारा आमंत्रण पत्र भीम सिंह ‘भवेश’ को भेजा गया जिसको लेकर जिले में चर्चा का बाजार गर्म था. उनके दिल्ली बुलाने को लेकर जब पूरे शाहाबाद के लोग प्रसन्नचित्त थे तो उनकी प्रसन्नता कितनी होगी ये अंदाज लगाया जा सकता है. वे अपनी धर्म पत्नी प्रेमा देवी के साथ 25 जनवरी को दिल्ली के लिए प्रस्थान करने की तैयारी में थे. यह बड़ा अवसर था जब प्रधानमंत्री द्वारा उनके कार्यों की सराहना मन की बात में पूरे देश में प्रसारित किया गया और उन्हें गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित भी किया गया. वे भाव विह्वल थे. लेकिन 25 जनवरी को वे जाने की तैयारी में थे और उनके नाम का चयन जब पद्मश्री के लिए कर लिया गया तो शाहाबाद ही नही बल्कि प्रदेश और पूरे देश में खुशी की एक लहर दौड़ पड़ी. खुशी के आंसुओं की धार श्री सिंह के आंखों से फुट पड़े. यह अविस्मरणीय पल कुछ पल के लिए उन्हें मानो स्थिर कर दिया. वे 26 जनवरी की सुबह गणतंत्र दिवस परेड के दौरान अतिथि के रूप में मौजूद रहे और फिलहाल दिल्ली में ही हैं.

विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वाले 139 लोगों को पद्म पुरस्कार से अलंकृत करने की घोषणा की गयी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सात पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्मश्री पुरस्कारों को मंजूरी दी है. पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाएं, दस विदेशी, NRI, PIO और OCI श्रेणी के हैं. 13 हस्तियों को पद्म पुरस्कार मरणोपरांत दिए जाएंगे.
प्रधानमंत्री ने जिन व्यक्तियों का नाम अपने ‘मन की बात’ के दौरान कही थी उन्हें 26 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया.आमंत्रित विशिष्ट व्यक्तियों को दिल्ली में राष्ट्रीय महत्व के विशेष स्थानों का दौरा भी प्रस्तावित है. बतातें चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” के 110वें एपिसोड में बिहार के भोजपुर निवासी समाजसेवी व पत्रकार भीम सिंह ‘भवेश’ की विशेष चर्चा की थी. प्रधानमंत्री ने मुसहर समुदाय के उत्थान में डॉ. भवेश के प्रयासों की खुब सराहना की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार के भोजपुर में भीम सिंह ‘भवेश’ जी ने अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगो के लिये बहुत काम किया है. मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय है.
क्यों है भीम सिंह भवेश की चर्चा

भीम सिंह भवेश कस्बाई शहर आरा में रहकर समाज के अंतिम पायदान पर खड़े और वंचित समुदाय मुसहर जाति के लोगों के लिए खूब काम किया है. भवेश का मुख्य फोकस इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर था. उन्होंने अब तक मुसहर जाति के आठ हजार बच्चों की एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनवायी है. ये बच्चों के डॉक्यूमेंट बनवाने और फॉर्म भरवाने मदद करते हैं. इन्होंने सौ से ज्यादा मेडिकल कैंप लगवाए और कोरोना काल में भी लोगो की मदद की. वर्ष 2024 में पटना में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी भीम सिंह ‘भवेश’ को सम्मानित किया था. डॉ भवेश ने चार पुस्तके लिखी हैं. जिनमे “सानिध्य का संस्मरण”, “हाशिए पर हसरत” कलकत्ता से कोलकाता”, और ” नेम प्लेट” शामिल है.

दो दशक से मुसहर समाज के लिए रात दिन एक करने वाले भीम सिंह आरा शहर के मदन जी के हाता निवासी हैं एवं मूल रूप से आरा सदर प्रखंड के लक्ष्मणपुर निवासी है.
सात भाइयों में मांझिल श्री सिंह 1992 से पत्रकारिता के क्षेत्र मे हैं और पत्रकारिता के दौरान ही लोगों से मिलने जुलने के क्रम में समाज के लिए कुछ करने की जोश और वंचित लोगों की दशा ने इन्हें समाजसेवा के लिए मैदान में उतार दिया. नई आशा’ नामक संस्था की शुरुआत की और मुसहर समाज के लोगो के उत्थान के लिए कार्य शुरू किया. पत्रकारिता के साथ समाजसेवी भीम सिंह ‘भवेश’ ने शुरूआती दौर से ही मेहनत की. डबल MA के साथ LLB की भी पढ़ाई की. इसके बाद PHD की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद समाजसेवा से जुड गये. वे ‘नई आशा’ नामक संस्था से जुड़े.

वे विगत दो दशक से मुसहर समाज के लोगों के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं. डॉ भवेश द्वारा बनाये गए लाइब्रेरी से लगभग सावा सौ से उपर लडको ने NMS पास किया है. यही नही उन्होंने मुसहर समुदाय के लीगों के लिए बैंक अकाउंट से लेकर उन्हें भोजन बनाने के लिए गैस सिलिंडर तक सरकार की योजनाओं से लाभान्वित कराया था. मुसहर बस्तियों में शराब और गंदगी के अंबार को दूर कर स्वच्छता का पाठ पढ़ाया और मुसहरों की जीवन शैली में काफी बदलाव लाया. एक के बाद एक दूसरी बस्तियों तक पहुंचते गए और लगातार इस कार्य में कार्यरत हैं. उनके निष्कपट इस कार्य की वजह से ही एक बड़ी आबादी मुसहरों की शिक्षित हो गयी है. उनके इस विशिष्ट कार्य ने उन्हें औरों से अलग खड़ा किया है.
मां आरण्य देवी का मिला आशीर्वाद
यह भी चर्चा है कि माँ आरण्य देवी का डॉ. भीम सिंह भवेश को आशीर्वाद प्राप्त हो गया है. जिले की अधिष्ठात्री देवी एक शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हैं और इनकी पूजा अर्चना पांडवों ने अज्ञात वास के दौरान की थी. ऐसे पुरातन मंदिर में स्थापित देवी माँ का आशीर्वाद मिले भी क्यों न…. क्योंकि इस मंदिर के जीर्णोद्धार की शुरुआत डॉ भीम ने ही की. माँ की कृपा का ही फल है कि उन्होंने इस कार्य के लिए उन्हें प्रेरित किया और उनके कार्य से खुश मंदिर के निर्माण से पूर्व ही उन्हें इतना बड़ा फल दे दिया कि आज देश में उनका नाम गूंज रहा है.
वर्तमान में आरा शहर की अधिष्ठात्री मां आरण्य देवी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है. महाभारत कालीन इस दिव्य और पौराणिक मंदिर के जीर्णोद्धार की शुरुआत कराने का श्रेय भी डॉ. भीम सिंह भवेश का है. वे अपनी शादी की 36वीं वर्षगाँठ पर 28 अप्रैल 2022 को माँ आरण्य देवी का दर्शन करने मंदिर गए थे. मंदिर प्रांगण से ही माँ की प्रेरणा से इन्होंने शहर के कई गणमान्य लोगों से चर्चा किया. 01 मई को मन्दिर प्रांगण मे बैठक आयोजित की. 03 मई को संत जीयर स्वामी मंदिर में आए. उनके निर्देश के बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ. डॉ भवेश माँ आरण्य मंदिर भोजपुर, बिहार के मुख्य संरक्षक हैं.
भोजपुर, शाहाबाद और बिहार के नाम को देश में गौरान्वित करने के लिए पटना नाउ की ओर से भी ढेर सारी बधाइयाँ. आपके अनुसरण से हर व्यक्ति समाज को कुछ सीख दे.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट