भिखारी ठाकुर को श्रद्धांजलि

By Amit Verma Dec 18, 2016

भोजपुरी के शेक्सपियर के नाम से प्रख्यात भिखारी ठाकुर के जन्मदिन पर राज्यभर में कई कार्यक्रमों की आयोजन हुआ. इसी कड़ी में पटना के खगौल में सूत्रधार की ओर से श्रद्धांजलि सभा एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया. भिखारी ठाकुर बनाम लोककला” विषयक गोष्ठी की अध्यक्षता चर्चित वरिष्ठ रंगकर्मी नवाब आलम ने की. अपने अध्यक्षीय भाषण में नवाब अली ने कहा कि भिखारी ठाकुर लोककला की आत्मा थे और उनकी रचनाएँ जीवन के यथार्थ, करुणा, प्रेम विषमता विरोध एवं स्त्री विमर्श की अभिव्यक्ति हैं.  जमालुद्दीन चक खगौल स्थित सूत्रधार के कार्यालय में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए नाट्य निर्देशक एवं रंगकर्मी उदय कुमार ने कहा कि भिखारी ठाकुर लोक जनमानस में रचे-बसे कालजयी रचनाकार हैं उनका लोक व्यापक है. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से जहाँ सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया वहीं समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास भी किया है. उनके गीत और नाटक का फलक इतना व्यापक है कि वह समाज के कई पक्षों को अपने में समेटे हुए है. गोष्ठी को रंगकर्मी मनोज कुमार, राकेश गुप्ता, रामनाथ, गौरव खान, मो रियाज़ खान,आमिर अलीमो मिन्हाजरविन्द्र सिन्हामो इस्लाम,रोहित कुमार सहित दर्जनों लोगों ने संबोधित किया.    

pnc-nukkad-natak-danapur  इधर सम्पूर्ण कल्याण विकास समिति (सकविस)खगौल की ओर से दिलीप देशवासी द्वारा लिखित एवं ज्ञानी प्रसाद द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक – “खुश्बू हॉल्ट ” – की प्रस्तुति स्थानीय डाकबंगला बाजार परिसर में की गई. स्वच्छता अभियान पर आधारित इस नाटक में समाज को अपने घर और आसपास साफ-सफाई करने पर जोर दिया गया. नाटक का आरंभ एक गीत से – स्वच्छ भारतस्वच्छ मकानतभी होगा भारत का बिहार। – से होती है. तमाम व्यवस्था के बावजूद हमारा समाज अपने आसपास गंदगी फैलाने में बाज नहीं आ रहा है. अब इसमें सरकार कहां – कहां अपनी सेना खड़ी करे समाज को यह खुद तय करना होगा कि उन्हें गंदगी में बसर करना अच्छा लगता है या साफ-सफाई में.  रेलवे लाइन के आसपास बसा हुआ हैउनकी तो चांदी ही चांदी है।. सभी रेल पटरी पर बैठते हैं. बच्चेबूढ़ेनर नारी सभी. यह नहीं समझते हैं कि जो कर के गुजर गए तो उसकी सफाई करेगा कौन ..ऐसा ही एक “खुश्बू हॉल्ट” है जो पटना जं. से पूर्व ही स्थित है जहां रेल गाड़ियों का ठहराव अक्सर हो जाया करता है. ट्रेन में सफ़र करने वाले देश-विदेश के भी यात्री होते हैं और यहां की खुश्बू बटोर कर अपने साथ ले जाते हैं या यूं कहें कि ढेर सारी बीमारियां बटोर ले जाते हैं.  नाटक में विजय कुमार सिन्हाअम्बिका प्रसाद सिन्हामिथिलेश कुमार पांडेयज्ञानी प्रसादअनिल मंडलसुरेश विश्वकर्माचंद्रदेव प्रसाददेवानंदसागरदीपनारायण शर्माइन्द्रजीत गोस्वामीसुनील चौधरीललित प्रणामीसंजीत कुमार गुप्तासूरज गुप्तादिलीप देशवासीजय प्रकाश मिश्रदीपक दयाल आदि.              




रिपोर्ट-  अजीत

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