रंग जलसा में सम्मानित हुई प्रसिद्ध अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी
रानावि के निदेशक दिनेश खन्ना ने कहा बिहार के साथ खड़ा है राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
पटना: नाट्यसंस्था निर्माण कला मंच की ओर से कालिदास रंगालय में आयोजित शांति स्मृति सम्मान2021 का आयोजन किया गया। इस आयोजन में शांति स्मृति सम्मान अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी को वर्ष 2021 का रंग सम्मान दिया गया इस अवसर हिमानी शिवपुरी ने कहा कि उन्हें सम्मान तो बहुत मिला है लेकिन पटना में जो सम्मान मिला है उससे वो पटना की हो कर रह गई हैं। दर्शकों की फरमाइश पर उन्होंने डायलॉग भी सुनाए.इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल के निदेशक दिनेश खन्ना ,पद्मश्री उषा किरण खान ने हिमानी शिवपुरी को 25 हजार रुपये, शॉल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।इस मौके पर रंग आलोचक अजीत राय भी मौजूद थे।
पांच दिवसीय इस समारोह के तीसरे दिन भिखारी ठाकुर की चर्चित रचना बिदेसिया नाटक का मंचन किया गया। निर्माण कला मंच की ओर से संजय उपाध्याय निर्देशित इस नाटक के 731वें शो में भिखारी ठाकुर के समय में समाज में व्याप्त पलायन की पीड़ा को दिखाया गया।बिदेसिया बिछोह और मिलन की अभिलाषा के गीत हैं, जिनमें लोकनायक नायिका के मन की आतुरता का सहज चित्रण होता है.
लोक नाट्य शैली में हुए इस नाटक में एक ऐसे युवक की कहानी दिखाई गई जो शादी के कुछ दिनों बाद ही घूमने और रोजगार की खातिर कोलकाता चला जाता है। कोलकाता महानगर उसे खूब भाता है और वह वहीं एक अन्य महिला के साथ अपना घर बसा लेता है। इधर पति के चले जाने से पत्नी विरह वेदना झेलने को विवश रहती है। उसकी पीड़ा को देख कर गांव के बटोही बाबा कोलकाता जाते हैं और उसे वापस लाते हैं। युवक के गांव आने के बाद कोलकाता वाली महिला भी पहुंच जाती है दोनों ही अब साथ रहने के लिए राजी हो जाती है। नाटक गांवों से शहरों में होते पलायन और इससे उपजी पीड़ा को बड़े ही रोचक अंदाज में दिखा गया। संजय उपाध्याय निर्देशित नाटक में प्रमुख भूमिका में शारदा सिंह ने प्यारी सुंदरी और विदेशी की भूमिका में सुमन कुमार ने नाटक को अंत तक बांधे रखा। रखेलिन रूबी खातून बटोही की भूमिका में पप्पू ठाकुर और जोकर की भूमिका में धीरज दास ने अपने अभिनय से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रकाश परिकल्पना जय कुमार भारती और रूप सज्जा संजय सावंत और जितेंद्र कुमार जीतू की थी।
भिखारी ठाकुर रचित विदेशिया के गीतों को संजय उपाध्याय ने रंग संगीत के प्रयोग के जरिये उम्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।