भारत में नोटबंदी और अमेरिका- चीन की कमाई

By pnc Nov 23, 2016

भारत में नोटों की छपाई से इन देशों का फायदा

अमेरिका, चीन, कुवैत ,डेनमार्क 




मैग्‍नेटिक स्‍पेसर और वेज स्टाक में नहीं 

आवश्यक सि‍क्‍युरि‍टी फीचर्स, इंक और पेपर विदेशों से आयात 

देश  के 2 लाख एटीएम में से सिर्फ 22,500 ही नए नोट दे पाने में कारगर 

भारत में  नोटबंदी  के बाद एटीएम के काम नहीं करने पर  कार्ड स्वैपिंग मशीन के अलावा रसीद प्रिंट करने वाले प्रिंटर की भी डिमांड खूब बढ़ी है. भारत में ऐसी मशीनों के पार्ट्स या मशीन ज्यादातर अमेरिका और चीन से ही आते हैं. साइबर रि‍सर्च की रि‍पोर्ट के मुताबि‍क, अमेरि‍का की कंपनी Epson की POS प्रिंटर मशीनों का भारत में इंपोर्ट 32 फीसदी बढ़ा है. इसके अलावा, इन मशीनों को बनाने के लिए पार्ट्स चीन से इंपोर्ट किए  जाते हैं.एटीएम में जो पार्ट्स लगने हैं मसलन ट्रे और सॉफ्टवेयर उसका निर्माण भी भारत में नहीं होता है वो भी चीन से मंगाने  पड़ रहे है,नोटों की छपाई वाले इंक और पेपर भी दूसरे देश बेच रहे है  ऐसे में इन देशों की कमाई बढ़ गई है.

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एक बैंक के अधिकारी ने बताया कि देश की अभी सवा करोड़ की आबादी में 2 लाख एटीएम ही काम कर रहे हैं जिनमें से सिर्फ 22,500 ही नए नोट दे पा रहे हैं. एटीएम में सॉफ्टवेयर और ट्रे आदि बदलने की जरूरत है. इन मशीनों में जो नए पार्ट्स लगाए जाने हैं वह चीन से ही खरीदे  जाने  हैं . बैंक के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि भी की और बताया कि चीन से इनकी खरीद हो चुकी है और पार्ट्स भारत लाए जा रहे हैं. स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया अध्यक्ष  अरुंधति भट्टाचार्य ने एक मीडिया संस्थान को बातचीत में ये भी बताया था कि मैग्‍नेटिक और हार्डवेयर, जिसे मैग्‍नेटिक स्‍पेसर और वेज के नाम से जाना जाता है, स्‍टॉक में नहीं है. जब ये आ जाएंगे तो सभी एटीएम काम करने लगेंगे.

वहीँ नोटबंदी के बाद से 500 और 2000 के नए नोट की छपाई खूब हो रही है ऐसे में इसके लिए आवश्यक सि‍क्‍युरि‍टी फीचर्स, इंक और पेपर हमें विदेशों से मंगाना पड़ रहा है. भारत को इसके लिए डेनमार्क से लेकर कुवैत तक सभी की मदद लेनी पड़ रही है.

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