1986 में बने राज्य सभा सांसद
1952 में विजय बिगुल कौमी गीत और 1953 में बेकल रसिया लिखी
आजादी की लड़ाई में भी की शिरकत
मशहूर शायर पद्मश्री बेकल उत्साही का निधन हो गया है. बीमार चल रहे प्रख्यात शायर पद्ममश्री बेकल उत्साही आज सुबह नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली. पूर्व राज्यसभा सदस्य रहे बेकल उत्साही को दिन पहले ब्रेन हैमरेज के कारण राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बेकल उत्साही के निधन से देश के साहित्य जगत में शोक की लहर है.बेकल उत्साही का शव दिल्ली से बलरामपुर लाया जाएगा. वहीं बेकल उत्साही का अन्तिम संस्कार होगा. लोक प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर ने बेकल उत्साही के निधन की खबर मिलने पर कहा कि वह मेरे लिए एक पिता की तरह थे. यह एक व्यक्तिगत क्षति है. वह हमारे समय के महानतम कवियों में से एक थे.उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता .
बेकल उत्साही का जन्म एक जून 1924 को हुआ था. उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला के रहने वाले उत्साही का असली नाम शफी खान था. गुलामी के वक्त अपने गीतों की वजह से उत्साही को कई बार जेल भी जाना पड़ा. उत्साही को कांग्रेस की ओर से 1986 में राज्यसभा का सदस्य बनाया गया था.
उन्होंने 1952 में विजय बिगुल कौमी गीत और 1953 में बेकल रसिया लिखी. उत्साही ने गोण्डा हलचल प्रेस, नगमा व तरन्नुम, निशात-ए-जिन्दगी, नूरे यजदां, लहके बगिया महके गीत, पुरवईयां, कोमल मुखड़े बेकल गीत, अपनी धरती चांद का दर्पण जैसी कई किताबें भी लिखीं.