बापू की शताब्दी वर्ष पर “भोजपुर में गांधी” का आगाज

ढाई महीने चलेगा बापू का शताब्दी समारोह “भोजपुर में गांधी”




5-25 जुलाई तक ऑनलाइन भाग ले सकेंगे बच्चे, गांधीजी से जुड़ी चित्रकला व भाषण होगा विषय

आरा,6 जुलाई. बापू को भारत क्या विश्व में शायद ही कोई ऐसा होगा जो नही जानता होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बापू का भोजपुर से क्या नाता है? बापू यहां कब आये थे? बापू को आरा में आये हुए 101 वर्ष हो गया है. कोविड के कारण शताब्दी वर्ष पिछले साल नही मन पाया तो सांस्कृतिक संगठन सर्जना ने बापू के इस संस्मरण को दुनिया को बताने के लिए इस वर्ष यह शताब्दी वर्ष मनाने की ठानी है जो 5 जुलाई से प्रारम्भ हो गया. यह शताब्दी समारोह अगले ढाई महीने तक चलेगा जिसमें अलग-अलग कई गतिविधियों के जरिये बापू को याद किया जाएगा. बापू आरा के बाल हिंदी पुस्तकालय में 101 वर्ष पूर्व आये थे और उसका उद्घाटन भी किया था. वह पुस्तकालय आज भी आरा में मौजूद है. पुस्तकालय के एक कमरे को बापू के नाम से ही नामित कर दिया गया था. इस आयोजन में ऐसे सभी पहलुओं को कला और साहित्य के माध्यम से छूने की कोशिश होगी जिसमें आम जन की भागीदारी और उनतक बापू के भोजपुर आगमन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद दिलाने के लिए तैयार किये गए इस कार्यक्रम का उद्घाटन सोमवार को सदर अनुमंडल अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अपर सदर अनुमंडलाधिकारी रेणु कुमारी और प्रेम पंकज ने भी मौजूद थे.

कार्यक्रम के स्वरूप पर चर्चा के दौरान अनुमंडलाधिकारी ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि कोविड काल में स्कूल के बच्चों को काफी दिनों से किसी गतिविधियों में भाग लेने का मौका नही मिला है. यह एक अच्छा मौका है जब ऑनलाइन के जरिये बच्चे इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे. वही सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रेम पंकज ने भी कला के माध्यम से बापू के ऐतिहासिक भोजपुर आगमन को नई पीढ़ी को याद दिलाने के लिए बधाई दिया. चित्रकार विष्णु शंकर ने कहा कि बापू के आदर्शों का एक प्रतिशत भी नई पीढ़ी अपना ले तो जीवन सार्थक हो जाएगा. वही चित्रकार राकेश दिवाकर ने कहा कि ढाई महीने तक अलग-अलग गतिविधियों के जरिये किसी महापुरुष को याद करना न सिर्फ उन्हें नए लोगों तक रूबरू कराना है बल्कि नई पीढ़ी को यह बताना है कि हम अपने पूर्वजों को आने वाली पीढ़ियों तक याद कर उनके दिखाए कदम पर चलेंगे.

सर्जना ट्रस्ट के चेयरमैन चित्रकार संजीव सिन्हा ने बताया कि कार्यक्रम कई चरणों में आयोजित होगा इस कार्यक्रम से बच्चों में इतिहास को जानने और समझे का मौका मिलेगा और उनकी सृजन क्षमता भी बढ़ेगी. जिसमे प्रथम चरण की शुरुआत आज से ही हो गई है.

प्रथम चरण में ऑनलाइन पेंटिंग व भाषण प्रतियोगिता होगी. इसके तीन समूह होंगे जिसमें पहले समूह में पांचवी से आठवीं तक के बच्चे, दूसरे समूह में आठवीं से दसवीं तक के बच्चे और तीसरे समूह में 11वीं व 12वीं के बच्चे भाग ले सकेंगे. जिसकी प्रविष्टियां 5 जुलाई से 25 जुलाई तक छात्र भेज सकते हैं. यह प्रतियोगिता बच्चों के लिए विशेष रूप से आयोजित की गई है.

ये होंगे निर्णायक :
प्रतियोगिता में निर्धारित तिथि तक आने वाले प्रविष्टियों में से चित्र व भाषण को निर्णायक मंडल द्वारा चुनकर उसे पुरस्कृत करेंगे. निर्णायक मंडल में भाषण के लिए निराला बिदेसिया (रांची), प्रो. मुन्ना पांडे (दिल्ली), मनीषा दिवेदी (यूएसए), चित्रकला हेतु प्रो राखी देवी(पटना), प्रो दिनेश कुमार, राकेश दिवाकर रहेंगे.

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कार कृष्णा कहा की महात्मा गांधी को भोजपुर में प्रथम बार आए हुए 100 वर्ष, पिछले साल 2020 में पूरा हो चुका है, मगर कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित नही हो सका था. इस वर्ष इस कार्यक्रम को वृहद स्तर पर आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम के सहयोगी की भूमिका में ओवरसीज ओरेगेनाईजेशन फॉर बेटर बिहार (यूएसए) का विशेष योगदान है.

उद्घाटन कार्यक्रम में प्रेम पंकज,कौशलेश पांडेय, विष्णु शंकर, राकेश दिवाकर, संजीव सिन्हा,संस्कार कृष्णा,आदित्य आदि,और नीरज कुमार, अमन श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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