बिहार में 16 दिसम्बर से पॉलिथीन इस्तेमाल गैरकानूनी – अधिसूचना जारी

By Nikhil Oct 23, 2018

पटना (निखिल के डी वर्मा की रिपोर्ट) । आखिर बिहार में पॉलीथिन बैन की अधिसूचना जारी कर दी गई. अब हर तरह के प्लास्टिक कैरी बैक के प्रयोग को प्रबंधित कर दिया गया है. दैनिक भास्कर के प्रधान संवाददाता प्रणय प्रियंवद की 23 जून को प्रकाशित खबर के बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और इसके बाद इस मामले में बिहार सरकार काफी दबाव में आई. राज्य के चीफ सेक्रेटरी सहित नगर आवास विभाग , पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रधान सचिव व पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमेन तक को हाईकोर्ट ने कोर्ट में तलब किया था. इसके बाद बिहार सरकार ने उन राज्यों में अधिकारियों को भेजा जहां पॉलीथिन बैन था. उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे काम हुआ. सरकार ने पहले तो कैबिनेट से इसे पास कराया और 22 अक्टूबर को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी.

प्रणय प्रियंवद

प्रणय प्रियंवद का बनाया फेसबुक पर पॉलीथिन फ्री बिहार नाम से एक पेज भी है. बिहार को पॉलीथिन फ्री करने की मुहिम से जुड़ी कई जानकारियां इसमें हैं. हाईकोर्ट के निर्देश भी यहां आप पढ़ सकते हैं. ‘पॉलीथिन हटाओ ’ सीरीज के तहत प्रणय ने दैनिक भास्कर में कई खबरें लिखीं और बताया कि कैसे पॉलीथिन सेहत और पर्यावरण सहित सफाई सिस्टम के लिए काल बन गया है. उन्होंने पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी को ठोंगा चैलेंज भी दिया था. प्रणय मुंगेर जिले के जमालपुर के रहनेवाले हैं और लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. कई टीवी चैनल सहित दैनिक जागरण, प्रभात खबर और दैनिक भास्कर में रिपोर्टिंग की है. हिन्दुस्तान पटना और भागलपुर के लिए काफी फ्रीलांसिग की है. उनके पिता प्रोफेसर ओम प्रकाश प्रियंवद जमालपुर कॉलेज जमालपुर में प्राचार्य थे और जाने-माने पत्रकार हैं. इस लिहाज से प्रणय को पत्रकारिता विरासत में मिली, लेकिन अपनी लेखनी और खबरों को अपने नजरिए से समझने व लिखने की वजह से उन्होंने पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान बनाई. डीजे कॉलेज मुंगेर से उन्होंने इतिहास विषय में एम.ए. किया और तिलकामंझी भागलपुर विश्विद्यालय से सिद्ध साहित्य पर पीएचडी की. बिहार सरकार के राजभाषा विभाग के अनुदान से उनका कविता संग्रह ‘कस्तूरी’ प्रकाशित है. किताब में चर्चित कवि अरूण कमल ने  किताब और लेखक पर लिखा है. प्रणय कहते हैं कि स्वास्थ्य को बचाने,  पर्यावरण को बचाने, मवेशियों को बचाने और सफाई व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए पॉलीथिन पर बैन जरूरी था. मिट्‌टी की उर्वरा शक्ति पर पॉलीथिन से काफी खतरा है. वे बताते हैं कि सरकार पूर्ण प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं थी लेकिन हाईकोर्ट लगातार मॉनीटरिंग करता रहा और सरकार ने आखिरकार अधिसूचना जारी की.




उल्लेखनीय है कि राज्य में सिर्फ प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित किया गया है. बायो वेस्ट के संग्रहण और भंडारण के लिए प्रयोग होने वाले 50 माइक्रोन से अधिक के कैरी बैग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है. सभी प्रकार खाद्य और अन्य पदार्थों की पैकेजिंग, दूध और पौधा उगाने के लिए प्रयोग होने वाले कैरी बैग को भी इससे मुक्त रखा गया है.

बैन के बाद इस तरह से लगेगा जुर्माना- 

प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन

पहली बार – 2000 रुपए जुर्माना

दूसरी बार – 3000 रुपए जुर्माना

बार-बार – 5000 रुपए जुर्माना

प्लास्टिक कैरी बैग का व्यावसायिक उपयोग

पहली बार- 1500 रुपए जुर्माना

दूसरी बार – 2500 रुपए जुर्माना

बार-बार – 3500 रुपए जुर्माना

प्लास्टिक कैरी बैग का घरेलू उपयोग

पहली बार –  2000 रुपए जुर्माना

दूसरी बार –  3000 रुपए जुर्माना

बार-बार –  5000 रुपए जुर्माना

प्लास्टिक को खुले में जलाना

पहली बार – 2000 रुपए जुर्माना

दूसरी बार – 3000 रुपए जुर्माना

बार-बार – 3500 रुपए जुर्माना

प्लास्टिक सार्वजनिक स्थल पर फेंकना

पहली बार – 1000 रुपए जुर्माना

दूसरी बार – 1500 रुपए जुर्माना

बार-बार – 2000 रुपए जुर्माना

By Nikhil

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