क्या घोषित तिथि पर हो पायेगा चुनाव?
पटना, 1 दिसम्बर. निकाय चुनाव की तिथिर्यो के पुनः घोषणा के बाद उम्मीदवारों से लेकर राज्य सरकार तक जहाँ खुश नजर आ रहे हैं वही इसके कानूनी पहलुओं पर नजर डालने पर ऐसा लगता है कि निगम चुनाव फिर से अधर में लटक सकता है. चुनाव करना अभी भी राज्य सरकार के लिए आसान नही है.
पिछड़ों को आरक्षण देने में नीतीश सरकार की जल्दबाजी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले फिर से सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाने जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट अगर तत्काल सुनवाई पर राजी हो जाता है तो घोषित तिथि पर नगर निकाय चुनाव करा पाना बेहद मुश्किल होगा.
बताते चलें किबिहार में नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सार्वजनिक होने के बाद एक ही दिन में रिपोर्ट लेकर चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया. लेकिन घोषित तिथि के बाद भी नगर निकाय चुनाव कराना आसान नहीं होगा.
बिहार निर्वाचन आयोग ने बिहार में नगर निकाय चुनाव की नयी तारीखों का एलान बुधवार की शाम किया था. तारिख एलान के 12 घंटे भी नही बीते कि कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग की बाजीगरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात सामने आ गयी.
आयोग की अधिसूचना के अनुसार 30 नवंबर को ही पिछड़ों के आरक्षण को लेकर राज्य सरकार के नगर विकास विभाग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट मिलने के साथ ही आयोग ने 18 दिसंबर औऱ 28 दिसंबर को दो फेज में नगर निकाय चुनाव कराने का एलान कर दिया.
राज्य निर्वाचन आय़ोग के अनुसार अक्टूबर में घोषित चुनाव के मुताबिक ही आऱक्षण की व्यवस्था रहेगी. न तो उम्मीदवारों को नए सिरे से नामांकन करना होगा और न ही नए चुनाव चिन्ह का इंतजार. पिछले समय मिले चुनाव चिन्ह पर ही वे चुनाव लड़ेंगे. बस सिर्फ तिथियां बदल गयी हैं यानि जो चुनाव पहले 10 अक्टूबर को होने वाला था वह अब 18 दिसंबर को होगा और 20 अक्टूबर वाला चुनाव 28 दिसंबर को होगा.
ये है कानूनी मामला
अति पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि बिहार राज्य अति पिछडा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता.
दिलचस्प बात ये है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को लेकर जो अधिसूचना जारी की है उसमें अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन कहा गया है. चुनाव की अधिसूचना में ये कहा गया है कि डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट पर चुनाव की घोषणा की जा रही है.
यह सब तब हो रहा है जब 32 दिनों पहले ही यानि 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आय़ोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना था जिसके बाद चुनाव की तिथियाँ राज्य निर्वाचन आयोग ने रद्द किया था.
लेकिन बावजूद इसके राज्य सरकार से लेकर निर्वाचन आय़ोग ने आनन-फानन में एक ही दिन में आरक्षण को लेकर रिपोर्ट भेजने से लेकर चुनाव का डेट तक घोषित कर दी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी फिर से अर्जी
इस मामले को ले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सुनील कुमार अब कोर्ट में फिर से शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाने जा रहे हैं. पटना नाउ को मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट में फिर से अर्जी लगा सकती है. अगर सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी पर संज्ञान लिया तो बिहार में नगर निकाय चुनाव एक बार फिर से टल जाएगा. चुनाव की डगर आसान नही होगी. न तो राज्य सरकार के लिए, न ही आयोग के लिए और न ही उन उम्मीदवारों के लिए जो अपनी जीत की आस लगाए हुए हैं.
PNCB