आरा सदर के महुली पंचायत के दुरौंधा गाँव के ग्रामीणों का कहना है जिलाध्यक्ष ,जिला प्रशासन का ख्याल इस गाँव के लिए सबसे पीछे आता है, कॉल करने पर भी कोई कॉल नहीं उठाते, पिछले साल दो बच्चियां बाढ़ की चपेट में आई थी, उस समय भी कोई नहीं आया. घटना के पांच दिनों के बाद बाढ़ निरीक्षण वाले आये तब तक एक बच्ची को बाढ़ ने निगल लिया था .
आरा सदर के महुली पंचायत के दुरौंधा गाँव में बाढ़ का कहर रातों -रात बढ़ गया है और इस पंचायत को जिलाअध्यक्ष ने अभी तक बाढ़ वाले इलाके से दूर रखा हुआ है . यहां के ग्रामीणों का कहना है कि जिलाध्यक्ष, जिला प्रशासन का ध्यान महुली पंचायत की तरफ कभी आता ही नहीं है और यहां के ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं प्राप्त होती है. जिलाध्यक्ष से दुरौंधा गाँव के ग्रमीणों और वहां के वार्ड पार्षद की शिकायत है कि उनका ध्यान हमारी गाँव की तरफ सब से पीछे आता है, जब तक हम सभी बाढ़ की मार खा चुके होते है और वहां के ग्रामीणों का रोना है कि यह कोई डॉक्टर नहीं है, हम लोग तो इस बाढ़ में अपना जीवन-यापन किसी तरह कर लेते है पर गाय-गोरु का क्या होगा ? यहां गाय-गोरु के लिए भूसा नहीं प्राप्त हो पाता है और न ही कोई यहां मवेशी डॉक्टर है . बाढ़ में न जाने कितने घर पानी में बह गए, उजड़ गए, न जाने कितने घरों में बाढ़ का पानी बिन बुलाये मेहमान की दस्तक दिए हुए है . दुरौंधा गाँव के वार्ड पार्षद का कहना है कि कोई भी अधिकारी हमारा कॉल नहीं नहीं उठता और न ही बाढ़ से निपटने के लिए कोई सरकारी व्यवस्था है. पिछली साल का आलम ये था कि जब गाँव में बाढ़ आया था तब भी दुरौंधा गाँव को कोई सुविधा नहीं मिली थी और जब बाढ़ की चपेट में दो बच्चियां आई थी तब गाँव वालो की सहायता से उन्हें बचाया गया जिसमे एक बच्चीं बाढ़ की धार में अपनी जान हाथ से धो बैठी . उस समय भी अधिकारियों को सूचित किया गया था, पर मौके पर कोई नहीं आया . घटना के करीब पांच दिनों के बाद निरीक्षण टीम आई थी . ये स्थिति फिर से न उत्पन हो इसलिए दुरौंधा गाँव के मुखिया, ग्रामीण लोग पटना नाउ की टीम से अपनी परेशानी को सरकार, जिलाध्यक्ष, जिला प्रशासन, BDO और CO तक पहुंचने की गुहार बार बार लगा रहे है .
बाढ़ पीड़िता कांति देवी का कहना है कि “रहे के दुख बाs ,खाये के भी सुविधा नइखे ,यहां पे जिला प्रशासन के कउनो ध्यान नइखे”.
बाढ़ पीड़ित एक किसान का कहना है, “जिलाध्यक्ष और जिला प्रशासन आये और इस गाँव को देखे यहां सिर्फ पानी ही पानी है .”
बाढ़ पीड़ित करीब 70 साल के एक किसान से पटना नाउ के रिपोर्टर ने पूछा तो क्या कहा कि जिलाप्रशासन के ध्यान राउर गाँव पर बा ? तो उस बुजुर्ग किसान ने कहा ” कहा बाs, ध्यान रहित तs हमनी के इतना दिक्क्त होइतs, हमनी के मकइया सब बाढ़ में दहा गइल। ईs बाढ़ में कितना घर दहा गइल बाs आs तबो कोई के यहां ध्यान नइखे . हमनी के बड़ी दिक्कत में बानी जा .”
महुली पंचायत वार्ड नंबर 1 के पार्षद सलेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि “हमलोग अभी यहां भगवान के भरोसे है, यहां ना तो जिलाध्यक्ष, जिला प्रशासन, BDO और न ही CO कोई भी देख-रेख करने नहीं आते। BDO साहब को करीब बीसों बार कॉल किये है लेकिन एको फोन रिसीव नहीं किये, आपसे अनुरोध है यानि पटना नाउ से की कम से कम बिहार के मुख्यमंत्री तो देख ले कि हमलोग किस तरह से अपना जीवन -यापन कर रहे है.”
एक सवाल ये उठता है कि आरा के सनदिया, महुली, सलेमपुर में किसी का ध्यान क्यों नहीं आकृष्ट होता ? यदि होता भी है तो दुरौंधा जैसा गाँव कैसे अछूता रह जाता है. इस गाँव के बच्चे-बच्चे को शिकायत है कि हमारे गाँव में अभी तक सड़क नहीं आई है, स्कूल में बाढ़ का पानी आ गया है. हम स्कूल कैसे जाये ? यहां के ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के लिए बिल तो पास हुआ है पर काम बड़ी सुस्ती से हो रहा है और इस बाढ़ के बहाव में सड़क भी अपना दम तोड़ने को तैयार है.
(आरा से सावन कुमार की ग्राउंड जीरो से एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग)