कालेजों में व्याख्याता की बहाली में भी घोटाला
कई बार सवालों के घेरे में आ चुका बीपीएससी
बिहार में परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होते रहे हैं। हां, बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं संयुक्त प्रतियोगिता प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक पहली बार हुआ है। इस मामले में पुलिस कार्रवाई जारी है। लेकिन ऐसा भी नहीं कि बीपीएससी की साख पर सवाल पहली बार खड़ा हुआ है। बीपीएससी के सदस्य पर घूस मांगने का आरोप लगा है। परीक्षा में फर्जीवाड़ा के सिलसिले में इसके अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हुई है। एक अध्यक्ष को पद से हटना पड़ा तो एक जेल भी गए। हद तो यह कि अपात्र व इंटरव्यू तक नहीं देने वाले अभ्यर्थियों को भी बीपीएससी ने व्याख्याता के पद के लिए चुना लिया था। बीपीएससी बिहार संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करती है। यह बीपीएससी की मुख्य परीक्षा है। इसके अलावा भी कई परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी बीपीएससी पर है। इन परीक्षाओं को लेकर बीपीएससी कई बार सवालों के घेरे में आ चुका है।
साल 2003 में बीपीएससी के 183 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गई थी। आरोप लगा कि इसमें सीटों की नीलामी की गई थी। साल 2005 में बीपीएससी पर परीक्षा में घोटाला व गलत चयन के आरोप लगे थे। इस सिलसिले में एफआइआर दर्ज की गई थी। बीपीएससी की पूर्व अध्यक्ष रजिया तबस्सुम सहित 13 अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। आयोग के अध्यक्ष राम सिंघासन सिंह को पद से हटना पड़ा था। जांच के दौरान निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़, कम्प्यूटर से दस्तावेज मिटाने और पैसे लेने के भी साक्ष्य मिले थे।
56वीं से 59वीं बीपीएससी परीक्षा में भी घोटाले के आरोप लगते रहे। इस परीक्षा में आयोग के एक सदस्य रामकिशोर सिंह पर 30 लाख रुपये घूस मांगने तथ बदले में डीएसपी बनाने का आडियो तक वायरल हो गया था। इस मामले में निगरानी ने मुकदमा दर्ज किया था। साल 2017 में कालेजों में व्याख्याता की बहाली में भी बड़े घोटाला का आरोप लगा था। इसमे वैसे अभ्यर्थियों को व्याख्याता के पद के लिए चुना गया, जो निर्धारित पात्रता नहीं रखते थे। इतना ही नहीं, इंटरव्यू नहीं देने वाले अभ्यर्थी भी चुन लिए गए थे।
बीपीएससी के एक अध्यक्ष को तो गिरफ्तार भी किया गया था। साल 1996 में बिहार में इंजीनियरिंग कालेजों में एडमिशन का बड़ा घोटला हुआ था। इसकी आंच तत्कालीन विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद तक पहुंची थी। उस घोटाले के सिलसिले में बीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष लक्ष्मी राय को जेल जाना पड़ा था।
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