जवानो के जीवन जीने की ये है कला

By om prakash pandey Jan 7, 2018

दानापुर रेजिमेंट के जवान छुट्टी में सीखते हैं जीवन जीने की कला


निःस्वार्थ भाव से आती है ऊर्जा- कर्नल विनोद जोशी




दानापुर,7 जनवरी. देश की आन के लिए हमेशा हमारी शान रहने वाले जवान जानते हैं कैसे जीते हैं बेहतरीन लाइफ? कठोर ड्यूटी और ट्रेनिंग के साथ अनुशासन का पालन कितना कठिन होता है क्या आपको पता है? पटना नाउ बताएगा आपको इस जीवन के अद्भुत मूल मंत्र को अपनी इस खास रिपोर्ट में…..

दानापुर रेजिमेंट जिसने कई योद्धाओं के वीरता से अपनी पहचान बनाई है. रेजिमेंट में कई द्वार और टैंकों की मौजूदगी कैम्पस में घुसते ही शौर्य से सिर और ऊंचा कर देता है. दानापुर मूल रूप से कहा जाए तो सैनिकों का नर्सरी पॉइंट है जहां रंगरूटों को ऑफिसर बनने तक के गुण सिखाया जाता है. हर वक्त कठिन चनौतियो को पार करना एक मानसिक और शारीरिक थकान को दे जाता है ऐसे में जवानों का हौसला कभी-कभी थकने लगता है लेकिन इसे पूरा किया जाता है छुट्टी के दिनों में एक विशेष ट्रेनिग में जिसे भारतीय सेना के ऑफिसर आकर पुरा करते हैं.

भारतीय सेना के एक ऐसे ही बहुरंगी प्रतिभा और असंख्य अंतरंग ऊर्जा के धनी है कर्नल विनोद जोशी जो जवानों को असीम ऊर्जा की खुराक से उसे प्रज्ज्वलित कर देते हैं. कर्नल विनोद जोशी ने शनिवार को रेजिमेंट में जवानों और उनके प्रशिक्षकों को ब्रेन पावर बढ़ाने, ऑप्टिमीस्टिक अप्रोच के तरीके, और बड़े मुकाम तक पहुंचने के तरीकों के साथ एकाग्रता बढ़ाने,तनाव मुक्त रहने और लाफिंग की थेरेपी दी गयी. साथ ही भारतीय थल सेना में कमीशन के विभिन्न पद और उसे पाने के तरीकों को भी बताया गया. 2 घण्टो के इस विशेष लेक्चर के साथ विभिन्न तरीकों को सीखने के बाद उपस्थित 450 जवानों के चेहरे पर एक अलग मुस्कान दिख रही थी. आंखों में अब थकान नही, एक नई ऊर्जा और नया लक्ष्य था. इस मौके पर दानापुर रेजिमेंट के जूनियर कमीशन ऑफिसर, डॉक्टर और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे. कर्नल जोशी से जब पटना नाउ ने पूछा कि इतनी ऊर्जा कहाँ से लाते हैं तो उनका जवाब था निःस्वार्थ भाव. उन्होंने कहा कि जब देना है तो खुशी से देना सीखिए, ऊर्जा अपने स्वरूप में खुद प्रकट हो जाएगी. उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य प्रशिक्षको के प्रशिक्षण का है ताकि अच्छी ट्रेनिग जवानों को मिल सके. बताते चले कि यहाँ से ट्रेनिग के उपरांत जवान देश के अन्य 19 बटालियनों में भेजे जाते है.

पटना नाउ के लिए ओ पी पांडेय की खास रिपोर्ट

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