सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती है
साढ़े 5 हजार करोड़ रुपये फौजियों के खातों में जमा
‘यूनिफॉर्म, हाथ में शस्त्र, आंखों में ज्वाला’
जवानों को आते-जाते देखें तो तालियों से उनका स्वागत करें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अरेरा हिल्स में शौर्य स्मारक का उद्घाटन किया. मौके पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ‘शहीदों अमर रहो’ और ‘वंदे मातरम’ के उद्घोष के साथ की. उन्होंने कहा कि ”मेरा सौभाग्य है कि मुझे यहां आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मौका मिला. हमारे देश में जब सेना का स्मरण करते हैं तो उसकी ज्यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है.. ‘यूनिफॉर्म, हाथ में शस्त्र, आंखों में ज्वाला’ जैसे हरपल दुश्मन की तलाश में हों. कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो.. जवान आपत्ति में फंसे लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं”.
भारतीय सेना मानवता की मिसाल है.अनुशासन, सामान्य नागरिकों के प्रति व्यवहार के मानकों में भारत की सेना पूरे विश्व में प्रथम पंक्ति में नजर आती है.29सितंबर को सैनिकों ने एक और वीरता दिखाई.हमारे जवानों ने सिर्फ शस्त्र के आधार पर नहीं, बल्कि नैतिकता और व्यवहार के आधार पर अपनी छवि बनाई है.शांति सेना में भारतीय सेना का बड़ा योगदान है.पश्चिम एशिया में धमाके हो रहे हैं.इन दिनों आतंकवाद ने भयंकर रूप ले लिया है.यमन में जब भारत के हजारों नागरिक फंसे थे.बम वर्षा हो रही थी. जीवन और मृत्यु के बीच देश के नागरिक वहां जूझ रहे थे, तब हमने सेना के जवानों को वहां भेजा और जवानों का पराक्रम देखिए, 5000 से ज्यादा वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आए. यहां तक की अन्य देशों, जिनमें पाकिस्तान के नागरिक भी थे, उन्हें भी बचाकर ले आए.हमारे पूर्वजों ने कभी भी किसी की एक इंच जमीन के लिए झगड़ा नहीं किया.अगर आदर्शों के लिए जीवन की जंग लड़ने की नौबत आई तो भारतीय सेना पीछे नहीं रही.पहले और दूसरे विश्व युद्ध से हमारा कोई लेना देना नहीं था, लेकिन इन दोनों जंगों में इसी धरती की संतान, मेरे देश के डेढ़ लाख वीर जवानों ने बलिदान दिया था.जल, थल, नभ और अर्द्धसैनिक बलों, कोस्ट गार्ड के जवान इसलिए अपनी जवानी खपा देते हैं कि हम चैन की नींद सो सकें.
हमारे सोने पर सैनिक को शिकायत नहीं होती, लेकिन जागने के वक्त भी सोए रहते हैं, वह ठीक नहीं. सिर्फ सेना के जवान जागते रहें, ये उनके साथ अन्याय होगा. हमें भी जागने के समय जागना चाहिए. उस समय सोने का हमें कोई हक नहीं.सेना का सबसे बड़ा शस्त्र उसका मनोबल होता है. ये शस्त्र से नहीं आता, बल्कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के उनके पीछे खड़े रहने से आता है.हमारे देश में 1962 के युद्ध के बाद लोग मिठाइयों के पैकेट देश के जवानों को भेजते थे.सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती है. रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे कि मोदी सो रहा है, लेकिन हमारी सेना नहीं बोलती. हमारे रक्षा मंत्री भी नहीं बोलते. मध्य प्रदेश सरकार ने शौर्य स्माकर निर्माण किया. यह हम सभी के लिए तीर्थ क्षेत्र है.भारत मां को अपना परिवार बनाकर, अपनों को अकेले छोड़कर चल देने वाले सैनिकों का यह त्याग ‘छोटा त्याग’ नहीं.हम बचपन से माखन लाल चतुर्वेदी जी की कविता सुनते आए हैं कि ‘मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावें वीर अनेक’.हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे.हर सरकार ने बढि़या शब्दों में उनसे सिर्फ वादे किए.
हमारी सरकार आने पर हमने वन रैंक-वन पेंशन लाने का वादा किया था, जो हमने पूरा किया. आज इससे मुझे संतोष की अनुभूति है.अब तक साढ़े 5 हजार करोड़ रुपये फौजियों के खातों में जमा किए जा चुके है.सातवें वेतन आयोग पर सरकार काम कर रही है.सेवानिवृत्त फौजियों की ढेर सारी शिकायतें लंबित पड़ी थीं, उन्हें हमने तेजी से निपटाया.
15-17 साल की नौकरी के बाद फौजी जब वापस घर आता है, तो यह सोचता है कि अब नई जिंदगी कैसे शुरू करूं.अभी हमारी सरकार ने एक महत्वपूर्ण काम किया है. फौज से रिटायर होने वाले फौजी को आखिरी वर्ष स्किल डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद प्रमाण पत्र दिया जाता है.पहले फौज से सेवानिवृत होने वालों के बच्चों को चार हजार रुपये की स्कॉलरशिप दी जाती थी, लेकिन हमारी सरकार ने इस राशि को 5,500 रुपये कर दिया है.
हवलदार रैंक तक के फौजी की बेटी की शादी के लिए सरकार पहले 16 हजार रुपये देती थी, अब यह राशि 50 हजार रुपये कर दी गई है.जवानों के लिए हमारी सरकार ने कई काम प्राथमिकता देते हुए किए हैं.रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर कैसे बने, यह हमारा फोकस है.वो दिन जरूर आएगा, जब देश अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए शस्त्र बनाएगा और दुनिया को भी उपलब्ध कराएगा.दुनिया के कई देशों में परंपरा है कि किसी भी देश में एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों या अन्य जगहां पर बैठे लोग अगर फौजियों को वहां से निकलते देखते हैं, तो वे लोग तालियों से उनका अभिनंदन करते हैं.हम हमारे देश में धीरे-धीरे यह स्वभाव बना सकते हैं कि हम भी उनका ऐसा ही आदर करें.आप लोग कभी भी जवानों को आते-जाते देखें तो तालियों से उनका स्वागत करें.