पटना (ब्यूरो रिपोर्ट)। कई दिनों से चर्चा में रहने के बाद शनिवार देर रात केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र व भाजपा नेता अर्जित शाश्वत को सलाखों के पीछे ला दिया गया. बताया जाता है कि अर्जित ने पटना महावीर मंदिर के पास मीडिया से बातचीत करने के बाद पटना पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया. सरेंडर के बाद अर्जित ने मीडिया से कहा कि वे कोई भगोड़ा नहीं जो भाग जाते, न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है और उसका सम्मान करते हुए वे सरेंडर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दंगा भड़काने वाले को पुलिस करे गिरफ्तार. सूत्रों के अनुसार, भागलपुर मामले में न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका शनिवार को ख़ारिज हो जाने के कारण अर्जित ने सरेंडर किया है.
गिरफ्तार होने के बाद अर्जित ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश के तहत झूठे आरोप लगाए गए हैं. गिरफ्तारी के समय अर्जित के समर्थकों ने ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगाए.
अपने पिता अश्विनी चौबे से मिलने वाली मदद को लेकर सवाल के जवाब में अर्जित शाश्वत ने कहा, ‘वो मुझे क्यों नहीं बचाएंगे, पिता का काम होता है कि सही काम में बच्चे का साथ देना. अगर मैं गलत होता, तो मेरे पिता कभी सामने नहीं आते.’
सरेंडर या गिरफ़्तारी
अब इस मामले में एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है. अर्जित जहां सरेंडर की बात कह रहे हैं, वहीं पटना पुलिस इसे योजनाबद्ध तरीके से गिरफ्तारी बता रही है. पटना के एएसपी राकेश दुबे इसे सरेंडर मानने से इन्कार करते हुए कहा कि अर्जित पर पुलिस की पूरी नजर थी और उसको पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक अर्जित शाश्वत ट्रेन से आरा से पटना आ रहे थे. पुलिस ने उनको पटना स्टेशन से बाहर निकलते ही महावीर मंदिर के पास गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे का कहना है कि जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सरेंडर करने का फैसला लिया और फिर सरेंडर किया है.
गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोपी अर्जित शाश्वत को पटना से भागलपुर ले गई, जहां आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा.
ज्ञातव्य है, अर्जित शाश्वत पर भागलपुर के नाथनगर उपद्रव मामले में 17 मार्च को बिना प्रशासन के अनुमति भारतीय नववर्ष पर जुलूस निकालने समेत अन्य आरोप लगे हैं. इस जुलूस के बाद वहां सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मामले में कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था. अर्जित के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री की काफी फजीहत हो रही थी. आरजेडी व विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव समेत बीजेपी और अन्य राजनीतिक पार्टियाँ नीतीश पर सवाल उठा रहे थे.