कलयुग की “राधा” से छिन गया उसका “कर्ण”

By Amit Verma Mar 17, 2017

मां से छिना उसका कलेजे का टुकड़ा

ट्रेन से कटने को थी आतुर, पुलिसकर्मियों ने बचाया




“कुन्ती ने केवल जन्म दिया, राधा ने माँ कर्म किया”… ये पंक्तियाँ राष्ट्रकवि दिनकर ने अपने महाकाव्य ‘रश्मि-रथी’ में दानवीर महायोद्धा कर्ण के लिए लिखा था. जगजाहिर है कर्ण के जन्म के बाद कुन्ती ने उसे धारा में प्रवाहित कर दिया था, जो एक मल्लाह को मिला और उसकी पत्नी राधा ने उसे पाला था. कुछ ऐसा ही वाक्या आरा के शाहपुर के बेलौटी गाँव के मुमताज अंसारी की पत्नी हसीना के साथ हुआ.

बेलौटी गाँव के बधार में 4 माह पूर्व एक नवजात शिशु लावारिस मिला था, जिसे हसीना ने मुखिया के द्वारा कागजी सुपुर्दगी के बाद अपना लिया. उस नवजात शिशु के लिए मुमताज अंसारी की पत्नी कर्ण की पालनहार माता राधा ही बन गयी. हसीना को एक छोटी बच्ची भी थी. वह अपनी छोटी बच्ची के दूध का हिस्से की कटौती कर इस नवजात शिशु को पिलाती थी.

लेकिन उसे क्या पता था कि 4 माह बाद उसका यह पुत्र उससे छिन जायेगा? 4 माह बाद किसी ने थाने में उस नवजात शिशु के मिलने और हसीना के पास पलने की सुचना दे दी. फिर क्या था बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ सुनीता सिंह ने पुलिस की मदद से उस नवजात को अपने कब्जे में लिया. उस शिशु को महिला थाना लाया गया. थाने में हर किसी से राधा बनी माँ (हसीना) पैर पकड़ कर उसके लिए गिड़गिड़ाती रही. ‘अब केकरा खाती जियब ए दादा…..ए हुजूर राउर पैर पड़त बानी हमार बच्चा ई मत छीनी….हमरा के जवान सजा देबे के बा दे दीं….’ जैसे तमाम शब्द एक धारा-प्रवाह में अपनी गति से बह रहे थे.

महिला थाने में उस वक्त मौजूद सभी के आँखों में माँ की इस ममता को देख आँसू छलक पड़ा, लेकिन क़ानूनी पेचों की वजह से किसी ने उस शिशु को वापस नही दिया. हाँ, सबने आश्वासन जरूर दिया कि बाल कल्याण विभाग की कागजी कार्रवाई के बाद उसे हसीना को ही सुपुर्द कर दिया जायेगा.

 

जीवन लीला ही समाप्त करने की ठानी

अपने सीने से 4 माह तक लगाकर बच्चे को पालने वाली माँ से जब उसका बच्चा छीन गया तो अवसाद से ग्रस्त उसने अपनी जीवन ही समाप्त करने की ठान ली. दुखी मन से वह बदहवास ट्रेन से कटने के लिए ही निकल पड़ी जिसे पुलिसकर्मियों ने पकड़ रोका.

कृष्ण बन कर आयी पुलिस ने इस शिशु को अपने अधीन शायद इसलिए कर लिया, क्योंकि अभी वो बोलना नहीं जानता था, अन्यथा कृष्ण को खाली हाथ ही लौटना पड़ता….क्योंकि कृष्ण को जवाब में कर्ण ने कह दिया था…राधा को छोड़ भजूँ किसको, जननी है वही तजूं किसको..? लेकिन फिलहाल शब्दहीन कर्ण राधा माँ से दूर है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि बाल कल्याण समिति इसे इसकी राधा बनी माँ के पास पहुंचाकर इतिहास को कायम रखती है या फिर “राधा” से “कर्ण” को अलग कर कलयुग की नयी दास्तान लिखती है.

 

विशेष रिपोर्ट- आरा से ओपी पांडे

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