शहीद का शव पंचतत्व में विलीन
परिजनों ने मुआवजे की राशि लेने से किया इनकार
आरा के जगदीशपुर प्रखंड के तुलसी गाँव में जवान अभय मिश्रा का शव तिरंगे में लिपटा पहुंचा. शहीद अभय मिश्रा का शव आवास पहुंचते ही उसके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. माँ अपने पुत्र का शव देखते ही कलेजा पीट-पीट कर रोने लगी. परिजनों की चीत्कार से आसपास का माहौल गमगीन हो गया. लोगों की आखों से आसू नहीं रूक रहे थे. भाई पिता व पत्नी भी दहाड़ मार कर रो रहे थे. स्थिति ऐसी थी कि ढाढस बंधाने गई पड़ोस की महिलाएं भी खुद पर नियंत्रण नहीं रख सकीं. उनकी आंखों से भी अश्रुधारा निरंतर बह रही थी. तुलसी गाव के ग्रामीणों ने अपने बहादुर सपूत अभय को आज आंसुओं के साथ अंतिम विदाई दी.
नक्सलवाद के खिलाफ ग्रामीणों ने लगाए नारे
इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने भारत माता की जय, अभय मिश्रा अमर रहे और नक्सलवाद मुर्दाबाद के नारे लगाये. नारों से पूरा मुहल्ला गुज उठा. नक्सली हमले में शहीद इस सीआरपीएफ जवान की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की गई. प्रशासनिक अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में आसपास के गाँवों के ग्रामीण भी अंतिम विदा देने पहुंचे और अपने सपूत की बहादुरी को नमन किया.
अभय अपने पीछे पत्नी और एक बेटा छोड़ गए हैं. यह परिवार कटिहार में रहता है. बेटे आयुष ने अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दिया. अभय छत्तीसगढ़ में तैनात थे. ग्रामीणों को अपने इस सपूत की शहीदी पर गर्व है लेकिन अभी सभी आंसुओं में डूबे हैं.
केंद्र और राज्य सरकार से गुस्सा है परिवार
परिजनों में राज्य सरकार व भारत सरकार के प्रति गुस्सा है. अभय के भाई अमित का कहना है, ‘हमें अपने भाई की शहादत पर फख्र है. लेकिन बड़े दुख की बात है कि आये दिन जवान अपनी शहादत देते है पर इन जवानो के लिए दो गज की जमीन भी मुहैया नही कराई जाती है. परिजनों ने सरकार से मांग किया है कि जिस जमीन पर शहीद का अंतिम संस्कार हुआ है उस जमीन पर शहीद का स्मारक व उचित मुवावजा दिया जाए. अभय सीआरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत थे. सुकमा नक्सली हमले में शहीद 33 वर्षीय जवान अभय को विशेष गाड़ी से शहीद के पैतृक गांव लाया गया. अभय 74वीं बटालियन में कांस्टेबल थे. वे 2012 में भर्ती हुए थे और पिछले तीन सालों से वे सुकमा में तैनात थे.
ठुकराई सरकार के मुआवजे की राशि
राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित पांच लाख मुआवजे के राशी को ठुकराते हुए कहा कि मेरे पति की शहादत को मजाक बनाया जा रहा है, वही भाजपा नेता संजय सिंह टाइगर ने कहा कि विडंबना है कि शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए सूबे के मुखिया के पास समय नहीं है. जब शहीद का पार्थिव शरीर पटना हवाई अड्डा पर था तब सीएम नीतीश कुमार सिनेमा हाल में बैठ कर पिक्चर देख रहे थे.
आरा से ओपी पांडे