राष्ट्रीय सेवा योजना या फिर राष्ट्रीय लूट योजना!

By Amit Verma Mar 24, 2017

NSS के अधिकारी गटक रहे हैं छात्रों के पैसे




नाम- NSS, काम-सामाजिक कार्य, और चयन- अधिकांशतः NCC कैडेट्स…..अब तो समझ गए होंगे…जी NSS यानि राष्ट्रीय सेवा योजना, एक ऐसा नाम जिसे किसी के परिचय की जरूरत नहीं। सामाजिक कार्यों के लिए कॉलेजो में छात्रों के बीच सामाजिकता की भावना भरने वाला एकलौता सरकारी संगठन है। NSS हर साल एक कैम्प का आयोजन करता है जिसमे भोजपुर के किसी न किसी एक मुहल्ले,टोले,बस्ति या गांव को गोद लिया जाता है। साथ ही यह कैम्प भी गोद लिए हुए उन्ही जगहों पर लगाया जाता है जिसमे कैम्प के लोग वहा परीक्षण कार्य और सर्वे करते है। इस बार महाराजा कॉलेज के NSS विंग ने नवादा थाना क्षेत्र के दलित मुहल्ले को गोद लेने के लिए चयन किया। लेकिन कैम्प इस दलित मुहल्ले में नहीं बल्कि कॉलेज परिसर में ही लगाया गया।

क्या है नियम
NSS द्वारा लगाने वालों कैम्पो में 24 घंटे कैम्प की अवधि तक NSS कार्यकर्ताओं को रहना पड़ता है।
यह कैम्प सामान्यतः 10 दिनों का होता है।
एक कैम्प के सरकार द्वारा 22,500/- की राशि तय है।
कैम्प में भाग लेने वालों को एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।

पिछले साल के लड़कों के नहीं मिले प्रमाण पत्र

NSS के कैम्प में पिछले साल जिन बच्चों ने भाग लिया था उन्हें अभी तक सार्टिफिकेट भी नहीं दिया गया है। वही विश्वविद्यालय के तरफ से 22,500 रुपए की राशि दी जाती है, जिससे इन सात दिनों में भाग लेने वाले बच्चों को सही समय पर नाश्ता,दोपहर का भोजन और रात का खाना मिले। लेकिन इस बार कैम्प के बच्चों के अनुसार उन्हें अपने ही पैसे से खाना-पीना पड़ता है। बच्चों से मिली जानकारी के अनुसार उनको मध्यांतर भोजन और रात का खाना तक नहीं दिया जाता है । नाश्ता के नाम पर सिर्फ सुबह चना-गुड़ और चार पीस ब्रेड दिया जाता है,उसमे भी आधे चने सडे हुए मिलते हैं। ये सब शिक्षक बच्चों के लिए मिलने वाले पैसों को अपनी जेब में रखने के लिए करते हैं। मजेदार बात यह है कि NCC के बच्चों को ही NSS में ख़ास तौर पर शामिल किया जाता है, जिससे उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ा काम कराया जा सके।

सिर्फ 10 घंटे ही रुकते हैं कैम्प में बच्चे

मिली जानकारी के अनुसार 24 घण्टे की जगह पर मात्र 10 घंटे ही बच्चे कैम्प में रहते है। 17 मार्च से 23 मार्च तक चले इस स्त्त दिवसीय कैम्प में रहने की कुल समय सीमा 7X24 घंटा यानि कि कुल 168 घंटा हुआ। जबकि मिली जानकारी के अनुसार इन 10 दिनों के कैम्प में 7X10 घंटा यानि 70 घंटे ही रहे। मतलब साफ है आधे से भी कम समय देकर कैम्प के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है। जिसमे सिर्फ दो टाइम का खाना भी सही रूप से नही दिया जाता है और रात के खाने के बारे में तो कभी कल्पना ही नही कीजिये।

क्या कहते हैं पदाधिकारी?

इस संदर्भ में महाराजा कॉलेज के NSS के कार्यक्रम पदाधिकारी, विकाश चंद्र से पूछा गया तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। उनके अनुसार उक्त बातें झूठी हैं। उन्होंने सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि बच्चों को सुचारु रूप से खाने-पीने की सुविधा दी जाती है। मजेदार बात यह है कि सब सुचारू रूप से बोलने के बाद भी जनाब केंद्र सरकार पर ही पैसे नहीं भेजने का आरोप लगाते हैं। उनके अनुसार केन्द्र सरकार के तरफ से ही इस बार पैसे ही नहीं आये है। अब खुद अंदाजा लगाइये कि जब केंद्र सरकार ने पैसे ही नहीं आये तो विकाश चंद्र ने क्या अपने घर से पैसे लगाकर कैम्प के बच्चों को सुविधा मुहैया कराया? काश! ऐसा देश में होता…

बड़े घोटाले की है आशंका
आइये जरा पता लगाते हैं कि NSS के द्वारा लगने वाले एक कैम्प से कितने की राशि डकारने में लगे है अधिकारी। VKSU के अंतर्गत 17 महाविद्यालय है। सभी जगह NSS का विंग है। मतलब अगर सभी महाविद्यालयों में एक कैम्प लगाया जाए तो कुल 17 कैम्प होंगे। इस तरह कुल कैम्पो की राशि 17 X 22,500/- यानि कि 3,82,500/- ( तीन लाख बेरासी हजार पाँच सौ रूपये) होगी जो अधिकारी डकार जा रहे हैं। ये आंकड़ा तो बस एक कैम्प का है जबकि NSS से बच्चे देश में भी कई जगहों का भ्रमण के लिए जाते हैं और एक से ज्यादा कैम्प भी लगाए जाते हैं। छात्र आकाश के अनुसार बच्चे गांव से आते थे इसलिए शाम से पहले वे चले जाते थे। वही महाराजा कॉलेज के गार्डो के सुपरवाइजर मनोज तिवारी के अनुसार रात में कैम्पस में लगे कैम्प में कोई नहीं रहता था।

बच्चों से इस खबर के मिलते ही अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं और NSS के बच्चों पर शिक्षक दबाव बना रहे हैं कि मीडिया को यह बताओ कि सब सुविधाएं मिलती थी, वर्ना NCC से भी निकाल दिया जायेगा और प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जायेगा।
अब देखना यह होगा कि विवि प्रशासन इस पर कार्रवाई करता है या सरकार या फिर छात्रों के हित की रक्षा करने वाले छात्र संगठन के लोग।

छात्र ने whats app ग्रुप में सोशल मीडिया में वायरल किया था यह मामला

महाराजा कॉलेज के बीसीए सेमेस्टर 4 के छात्र श्रीराम कृष्ण हरि ने सोशल मीडिया पर WhatsApp ग्रुप के माध्यम से बताया था कि NSS के द्वारा कैंप गोद लिए हुए मोहल्ले, गांव, टोले या किसी शहीद के स्मारक पर लगाना होता है। पिछले साल महाराजा कॉलेज का कैंप महाराजा कॉलेज के अतिथि गृह में आयोजित किया गया था। कैंप में जो भी खर्च हुआ उन्होंने अपने पॉकेट से भुगतान किया तथा कुछ भुगतान की गई राशि को आज तक विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय से भुगतान नहीं किया गया और ना ही NSS का कोई भी सर्टिफिकेट ही उन्हें अभी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की तरफ से निर्गत किया गया है। इसके बाद भी जब फिर से महाराजा कॉलेज का NSS का कैंप लगाने का आयोजन हुआ तो उन्होंने कैंप में अपनी सहभागिता के लिए महाराजा कॉलेज के NSS समन्वयक डॉक्टर विकास चंद्रा को फोन कर बात की, तो उन्होंने साफ कह दिया कि एक बार जो छात्र कैंप कर लेते हैं दोबारा उन्हें मौका नहीं मिलता लेकिन जो कैंप लगा है उस में तीन चार लड़के ऐसे हैं जो पिछले साल भी कैंप का हिस्सा थे। श्रीकृष्ण हरि के अनुसार कैंप के नाम पर रुपए की लूट मची है तुम भी खाओ हम भी खाए और सब मिल बांट कर खाए,यह हाल है एनएसएस का। हद तो तब हो गई हो गई जब उन्होंने कहा कि एनएसएस के छात्रों को केवल फोटो खिंचाने और अखबार में नाम छपवाने से मतलब है।

आरा से ओपी पांडे

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