वर्ल्ड रिकॉर्ड-1 घंटे में सबसे बड़ा आपदा प्रबंधन ड्रिल
विद्यालयों में ‘सबसे बड़े भूकम्प निकासी की कवायद का बनाया रिकॉर्ड
110 स्कुलो के 80 हजार छात्र हुए थे शामिल
Patna Now Exclusive
आरा, 15 जुलाई. दुनिया मे कुछ अनोखा करने वालों का नाम सदियों के लिए इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जाता है. इतिहास में दर्ज यह अनोखा पहल और भी खास तब बन जाता है जब किसी कस्बाई क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति इसे अंजाम देता है. इतिहास में दर्ज यह नाम और कारनामा फिर पढ़ने वालों के लिए कुछ कर गुजरने का प्रेरणा श्रोत बन जाता है. जी हां कुछ ऐसा ही प्रेरणादायक बन चुके हैं लिम्का में अपना नाम दर्ज करा आरा के रहने वाले कुमार राका. कुमार राका का नाम लिम्का बुक में एक अनोखे कवायद के लिए दर्ज किया गया है. कुमार राका की देखरेख में नोएडा में 27 अप्रैल 2017 को 110 स्कूलों में 11 बजे सुबह से 12 बजे दोपहर के बीच 80,000 छात्रों ने सबसे बड़े भूकम्प निकासी की ड्रिल में भाग लिया. एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में आपदा प्रबंधन का इससे पहले किसी ने ऐसा ड्रिल नही किया था. भूकम्प के समय लोगों को सुरक्षित निकालने के तरीकों को इस ड्रिल के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था. छात्रों के साथ स्कूल प्रबंधक से जुड़े लोग, आपदा प्रबंधन की टीम और शिक्षक भी शामिल हुए थे. कुमार राका नोएडा आपदा प्रबंधन ऑथरिटी के हेड है. जिनके स्थानीय प्रबंधन में NDRF, NDMA और NIDM का दल भी शामिल था.
कुमार राका प्रोफेसर कॉलोनी आरा के निवासी रमेश श्रीवास्तव के बड़े सुपुत्र हैं. रमेश श्रीवास्तव डीएम कार्यालय भोजपुर के बड़ा बाबू थे जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं. छोटा भाई कुमार प्रत्यूष एक प्राइवेट कंपनी में सिंगापूर में कार्यरत है. छोटी बहन अनिंदिता की शादी हो चुकी है वो और उनकी माँ कानन वर्मा एक कुशल गृहणी है. डॉ कुमार राका ने अपने नाम के अनुरूप एक बड़ा कीर्तिमान कायम कर जो विश्व रिकार्ड बनाया है उससे पुरा परिवार गदगद है. सगे सम्बन्धियों और मुहल्ले वाले विश्व रिकार्ड का नाम सुन यह जानने के लिए घर पहुंच रहे है कि किस काम को कर डॉ राका ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है.
पिता रमेश श्रीवास्तव ने पटना नाउ से बात करते हुए बताया कि बचपन से ही उनका बड़ा बेटा बड़ा ही मेहनती और जुनूनी था. मेहनत और जुनून के बदौलत ही राका ने जैन स्कूल और जैन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने के बाद जेएनयू में दाखिला लिया जहां पर समाजशास्त्र में डॉक्टरेट और नेट निकालने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, दिल्ली में 6 साल तक कार्यरत रहे, अपने इस के पद के दौरान डॉ कुमार राका ने NDRF के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण कार्यभार को अंजाम दिया.
अपने कार्यभार के दौरान डॉ राका नार्थ-ईस्ट राज्यों के नोडल ऑफिसर भी रहे और NDRF संबंधित सारे अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग्स को भी समन्वय करते रहे. 2008-14 के बीच देश में हुए सभी आपदाओं को coordinate करने में इनकी कार्यपद्धति और दक्षता सराहनीय रही. 2015 में डॉ राका ने नोएडा अथॉरिटी में आपदा प्रबंधन का कार्यभार संभाला और महज 2 साल में बहुतेरे कार्यों को अंजाम देते हुए कीर्तिमान स्थापित करने में भी सफल रहे. बहन, भाई और माँ सबको राका के इस इस सफलता पर गर्व है.
फिलहाल डॉ राका इजराइल के तेल-अवीव विश्वविद्यालय में पिछले साल से आपदा प्रबंधन का महत्वपूर्ण कोर्स कर रहे हैं. इस विशेष कोर्स के लिए टाटा फाउंडेशन की तरफ से स्कालरशिप प्रदान किया गया है. एक साल की इस विशेष ट्रेनिंग के खत्म होते ही वे भारत इस वर्ष लौटने वाले हैं. कुमार राका ने पटना नाउ से बात करते हुए बताया कि इस सफलता का श्रेय वो पूरी टीम को देते हैं जिनके सहयोग के बदौलत उनका यह सपना साकार हो सका.
DMC के कार्यकर्ता, NDRF cell,नोयडा के अधिकारियों के साथ ड्रिल की मॉनिटरिंग करते हुए
उन्होंने कहा कि उनके हर वक्त के गुरु के.एम. सिंह के विश्वास और आशीर्वाद ने उनको सपने साकार करने की ऊर्जा दी. अपने सपने की कल्पना को समझने के लिए वे रमा रमन, जिलाधिकारी एन पी सिंह और सौम्या श्रीवास्तव (DCEO) का विशेष आभार मानते हैं जिन्होंने ना सिर्फ डॉ राका के ऊपर भरोसा किया बल्कि हर मुश्किल के वक़्त साथ खड़े रहे. वे अपने आफिस स्टाफ पंकज वर्मा, बलवंत, कुलदीप, सुल्तान और नरेश के साथ साथ (PPF) पालिसी पर्सपेक्टिव्स फाउंडेशन, Shuttl, Smartpro Foundation, Credai एवं अपने वालंटियर्स बसंत, विक्रम, आशुतोष, शुभांक और भूतपूर्व DIG ITBP जयवीर चौधरी को यह जीत समर्पित करते हैं
रिपोर्ट: ओ पी पांडेय व अपूर्वा