लोक आस्था के महान पर्व छठ पर भी सफाई नहीं हो पाई पूरी

By pnc Nov 4, 2016

ये तस्वीर सब बयां कर देंगी सफाई की सच्चाई

छठ पर भी  भोजपुर जिला प्रशासन और नगर निगम के नहीं खुली आंख




तालाब में है कीड़े मकोड़े की भरमार

कैसे होगी पवित्रता के साथ छठ पूजा

बैरेकेडिंग और प्रकाश की वयवस्था नहीं हुई 

सरकारी आदेश का भी नहीं हो रहा है पालन 

उपरी स्तर पर सफाई पूरी ,तालाब के किनारे खतनाक

दलदल में तब्दील हुआ तालाब का किनारे

हजारों लोग करते है यहाँ छठ

 

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नगर के महत्वपूर्ण छठ घाटों में अब तक साफ सफाई को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए है जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है. छठ व्रत को लेकर लोगों के मन में पूरी आस्था है, पर सफाई के नाम पर अब तक मात्र खानापूर्ति ही की जाने से वर्तियों में गुस्सा है. कलक्टरी तालाब ,पावरगंज तालाब और नहर के चार घाटों पर भी सिर्फ दिखावे के लिए साफ़ सफाई की गई है.

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कलेक्टरी तालाब जिसका पानी सड़ चूका है. उसके पानी में कई प्रकार के कीटाणु, जोंक, सांप इत्यादि की भरमार है. बावजूद इसके जिला प्रशासन और नगर निगम ने इस तालाब के पानी को साफ़ नहीं कराया है. दिखावे के लिए तालाब की जलकुम्भी हटा दी गई है उसे किनारों पर डाल दिया गया है.घाट के किनारों पर गंदगी के कारण इस बार भी छठ व्रतियों को भारी असुविधा होने वाली है. कई तालाबों का पानी सड़ चूका है पर न तो पानी बदलने की कोई व्यवस्था की गई है न ही कीटनाशक डाले गए है. गंदे पानी के लोगों को काफी कठिनाई होती है़. लोग घर से ही स्नान करके आते हैं तथा भगवान सूर्य को अर्घ देते है़ं, पर इससे छठव्रतियों की आस्था पर कुठाराघात होता है़. फिर भी भगवान सूर्य के प्रति उनकी श्रद्धा में कोई फर्क नहीं पड़ता है़. इन जगहों की स्थिति ये है कि छठ व्रती पानी में खड़ा भी नहीं हो सकते.

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घाट के सफाई की व्यवस्था मुख्यत: नगर निगम और सामाजिक संगठनों पर ही निर्भर होती है़. निगम अपने कार्य में अभी तक फिसड्डी ही साबित हो रहा है़. वहीं घाट की सफाई को लेकर लोग आगे आये  हैं. घाटों पर सफाई का काफी महत्व होता है. केवल घाट पर ही नहीं, बल्कि इस पर्व के दौरान पूरे समय में पवित्रता सबसे अहम पहलू में एक है़, नगर आयुक्त प्रमोद कुमार कहते हैं कि घाटों की सफाई का काम हो गया  है.

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छठ के पहले सभी घाटों की सफाई कर ली जाए गी. जिला प्रशासन ने तो अपने उच्चाधिकारियों को सभी घाटों की सफाई करा देने की रिपोर्ट भी भेज दी है. प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही को देखते हुए कई वर्तियों ने नदी या तालाबों के किनारे छठ व्रत करने के बजाये घरों में ही व्रत करने का फैसला कर लिया है ऐसे में पौराणिक मान्यता पर खतरे मंडराने लगे हैं.मान्यता है कि तालाब या नदियों में पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जाता है लेकिन आरा में मुख्य रूप से कलेक्टरी तालाब में दलदल और कीटाणुओं के बीच खड़ा होना अपने आप में दुरूह कार्य है .गत वर्ष भी कई श्रद्धालु दलदल में गिर पड़े थे . चिकित्सकों ने गंदे जल में स्नान करने को मना किया था जिसके बाद भी कई श्रधालुओं को जोंक ,कीटाणु और अन्य कीड़े मकोड़े के काटने से चर्म रोग भी हुए थे. इन सबको अस्पताल में भर्ती  होना पड़ा था .बावजूद इसके जिलाप्रशासन और नगर निगम ने कोई ठोस इंतजाम नहीं किए  है लिहाजा लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

 

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