विक्रम लैंडर इमेजर और प्रज्ञान रोवर इमेजर परीक्षण के लिए चंद्रयान 3 परियोजना में योगदान

Patna Now Exclusive




आरा,28 अगस्त(ओ पी पाण्डेय). धरती से चंद्रमा तक जाने का बरसों से देखा गया सपना 2023 में भारत ने पूरा कर विश्व में अपने तकनीकी योग्यता का परचम लहरा दिया. इस मिशन में शामिल भारत के लालों(वैज्ञानिको) को ना सिर्फ अपने देश में बल्कि दुनिया के कोने-कोने से जनता व राष्ट्राध्यक्षों ने बधाई संदेश भेजे. चंद्रयान 3 की सफलता का यह आलम है कि चंद्रमा की सतह पर उसके सॉफ्ट लैंडिंग के बाद से चन्द्रमा चंदा मामा बन चुके हैं और धरती से बच्चों को चांद को दिखा उन्हें खिलाने और रोते आवाज को चांद के नाम से चुप कराने वाली, रिझाने वाली करोड़ो माताओं की कल्पना तक साकार हो गयी. 

बरसों से धरती वासियों के मामा कहलाने वाले चन्द्रमा तक चंद्रायन 3 भारत की शान तिरंगा ले रक्षाबंधन से पूर्व वहां पहुंचा क्या कि   सोशल मीडिया पर मीम से लेकर कविताएं और कई आलेख तक वायरल हो गए. आलम यह है कि परियोजना में शामिल वैज्ञानिकों को भारत की ओर से तमाम उनके अगले चरण के प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए सरकार ने हाथों उठा लिया है और भारत अब सूर्य तक पहुंचने के लिए प्लान कर रहा है.

लेकिन इन सब के बावजूद भी अगर कोई वायरल नही है तो इस प्रोजेक्ट में काम करने वाले वे तमाम लोग, तमाम दिमाग जो इसकी सफलता का इतिहास रच भारत की इस अंतरिक्ष यात्रा के पार्श्व में आज भी अपनी निरंतर खोज को जारी रखे हुए हैं ताकि देश का नाम गगनचुम्बी बना रहे. ऐसे ही लोगों के इस होनहारों के दल में एक वैज्ञानिक ऐसे भी हैं जो बिहार के भोजपुर जिले से तालुल्क रखते हैं. जी हाँ, चौंकने वाली यह खबर जरूर है लेकिन इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद भी कहीं प्रचार न कर अपने आगे के कार्यों में लगने वाला भारत का यह लाल कोई और नही बल्कि आरा के अनाइठ निवासी कुमार कुश प्रसाद हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कुमार कुश ने इस प्रोजेक्ट में जुड़ भारत का नाम तो रौशन किया ही है भोजपुर जिले के मान-सम्मान को भी एक अलग बुलंदी प्रदान किया  हैं.

कौन हैं कुमार कुश

विक्रम लैंडर इमेजर और प्रज्ञान रोवर इमेजर परीक्षण के लिए चंद्रयान 3 परियोजना में  प्रमुख योगदान देने वाले आरा के कुश प्रसाद वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद में कार्यरत हैं.  वे 2008 में भारत के अंतरिक्ष बंदरगाह पर इसरो(ISRO) में शामिल हुए और कई प्रोजेक्ट्स के लिए काम किया. उनके लगातार काम ने उन्हें चंद्रयान 3 मिशन में भी शामिल किया गया.

बेहद खुजमिजाज मूड और ह्यूमर सेंस से भरे जिंदादिल जिंदगी जीने वाले कुमार कुश कुल 8 भाई हैं. पिताजी सरकारी शिक्षक थे जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं. शिक्षक होने के कारण पिताजी ने परिवार के सभी लोगों को उच्च शिक्षा के लिए सदा प्रेरित किया. कुश को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था और खेल में उन्हें मैराथन. उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान कई मैराथनो में भाग भी लिया. किताब पढ़ने की आदत और मैराथन ने उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचा ही दिया.

कुमार कुश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल आरा से प्रारंभ की. मैट्रिक मिशन स्कुल से किया और एचडी जैन कॉलेज आरा से I.Sc की पढ़ाई की.  2008 में बिहार के भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग की और उसके साथ ही ISRO से जुड़ गए. उनको जानने वाले सभी उनके चंद्रायन 3 में जुड़ने पर गर्व महसूस कर रहे हैं. अभी को उम्मीद है कि वे आगे भी इसी तरह जिले का नाम न सिर्फ देश मे बल्कि देश का नाम पूरे दुनिया मे रौशन करेंगे.

Related Post