संकट हरण व प्राण रक्षक भगवान भी सुरक्षित नहीं
मंदिर व मठों की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं
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संकट हरण व प्राण रक्षक भोजपुर में सुरक्षित नहीं रह गए हैं. उन पर भी अपराधियों की नजर है. चाहे बजरंग बली हों, या मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम. राक्षसों का संहार करने वाली मां भगवती हों या फिर माता जानकी. अपराधियों ने किसी को नहीं बख्शा. पैसों की लालच में पहले मूर्तियों की चोरी की गयी और फिर बाद में उसे बेच दिया गया. भगवान की रखवाली करने वाले पुजारियों की जान भी सांसत में है. दो पुजारियों की तो हत्या भी की जा चुकी है, जबकि एक के साथ अमानवीय व्यवहार भी किया गया था. भोजपुर में भी मूर्ति चोरी का पुराना इतिहास रहा है. जिले में अब तक मूर्ति चोरी की दर्जन भर घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें कुछ मूर्ति बरामद की गयी, तो कुछ वर्षो बाद भी नहीं ढूंढी जा सकी है. मंदिरों में बढ़ रही चोरी की घटनाओं को देखते हुए अब भगवान को भी कैद कर रखा जाने लगा है. इसके बाद भी चोरी की घटनाएं नहीं थम रही है.
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हसनबाजार ओपी के बैसाडीह गांव में सितम्बर 2006 में चोरों ने तोताद्री मठ से भगवान व्यंक्टेश की करोड़ों की मूर्ति चुरा ली थी. तब चोरों ने पुजारी की न सिर्फ बेरहमी से पिटाई की थी, बल्कि उनके गुप्तांग में पेट्रोल भी डाल दिया था. शाहपुर के बरीसवन गांव में भी राम-जानकी, लक्ष्मण व गणेश की कीमती मूर्ति चुरा ली गयी थी. तब इसको लेकर काफी हंगामा हुआ था. पीरो के जगदेवपुर गांव स्थित मठिया से भी 2011 में राम-जानकी व लक्ष्मण की बहुमूल्य मूर्ति चुरा ली गयी थी. नेपाल नरेश ने स्थापित की थी मूर्तिशाहपुर के बरीसवन स्थित मंदिर में नेपाल नरेश ने भगवान गणोश, राम, लक्ष्मण व जानकी की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की थी. मूर्ति चोरी के बाद धरना पर बैठे संतेष पासवान व राजेश मिश्र ने बताया कि करीब 1834 के आसपास नेपाल नरेश ने मूर्ति स्थापित की थी. बताया कि नरेश को संतान नहीं हो रहा था. ऐसे में मंदिर के पुजारी जंगाली बाबा द्वारा उनको आशीर्वाद दिया था. उसके बाद उनको पुत्र पैदा हुआ था. इससे खुश होकर नेपाल नरेश द्वारा मूर्ति लगायी गयी थी.
लाखों व करोड़ों की सम्पत्ति वाले मंदिर व मठ की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. प्रशासनिक स्तर पर मंदिरों में पुलिस बल की तैनाती नहीं की गयी है. अधिकांश मंदिरों में प्राचीन अष्टधातु व कीमती पत्थर की मूर्ति स्थापित की गयी है. इनमें कुछ मूर्तियों की कीमत लाखों ,तो कुछ की करोड़ों में होती है. इसके अलावा कुछ मंदिरों में भगवान को सोने व चांदी के मुकुट व जेवरात पहनाए गए हैं. बता दें कि अधिकांश मंदिर व मठ गांव के बाहर स्थापित रहते हैं. इसके बावजूद सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए हैं. ऐसे में भगवान आसानी से चोरों की टारगेट में आ जाते हैं. इस स्थिति में भगवान की सुरक्षा पूरी तरह चोरों की मर्जी पर निर्भर है.
बरामदगी के लिए किया था अनशन
इंसान को वरदान देने वाले भगवान की बरामदगी के लिए लोगों को सड़क पर आना पड़ा था. इसके लिए लोगों ने अन्न-जल त्याग दिया था. बात दो मार्च 2012 की है, तब शाहपुर के बरीसवन गांव स्थित मंदिर से चोरों ने अष्टधातु की बनी भगवान गणोश, राम, माता जानकी व लक्ष्मण की मूर्ति चुरा ली थी. सुबह चोरी की जानकारी मिलने पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा था. गुस्साए लोगों ने शाहपुर का चक्का जाम कर दिया था. इसके अलावा राजेश मिश्र व संतोष पासवान नामक दो लोग अनशन पर बैठ गए थे. उनका कहना था कि मूर्ति की बरामदगी नहीं हुई, तो प्राण त्याग देंगे. दोनों करीब छह दिन तक अनशन पर बैठे रहे. बाद में पूर्व मंत्री विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह के अलावा तत्कालीन डीएसपी सहित कई वरीय अफसर पहुंचे और आश्वासन देकर अनशन समाप्त कराया था. बाद में पुलिस ने रोहतास जिले से भगवान राम की एक मूर्ति बरामद की थी, जो खंडित थी.
सभी डीएसपी व थानेदारों को मंदिर की सुरक्षा को लेकर अलर्ट कर दिया गया है. कहा गया है कि अपने-अपने क्षेत्र में स्थित मंदिर की निगरानी करते रहें. साथ ही मंदिर व मठ की नियमित जांच करने को भी कहा गया हैं. इसके अलावा मूर्ति चोरी में संलिप्त लोगों पर नजर रखने को कहा गया है. खासकर जमानत पर घूम रहे मूर्ति चोरी के आरोपितों की विशेष निगरानी की हिदायत दी गयी है -क्षत्रनिल सिंह, एसपी, भोजपुर
एक नजर मूर्ति चोरी की घटनाओं पर
- नवम्बर 2011-जगदेवपुर स्थित मठ से भगवान राम, जानकी व लक्ष्मण की मूर्ति चोरी
- सितम्बर 2006-बैसाडीह के तोताद्री मठ से भगवान वेंकटेश की मूर्ति की चोरी
- मार्च 2012-शाहपुर के बरीसवन मठ से अष्टधातु की भगवान गणोश, राम, जानकी, लक्ष्मण की मूर्ति
- 2012 में सनदियां गांव के पास स्थित ठाकुरबाड़ी से रामजानकी की अष्टधातु की मूर्तियां चोरी गयी थी.
आरा से ओपी पांडे के साथ ऋतुराज
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