हिन्दी माध्यम में सस्ती होगी सिनेमा की पढ़ाई : अरविंद रंजन दास
ऑनलाइन होने से विश्व के कोने-कोने तक पहुंचेगी फ़िल्म की शिक्षा
- यह सच है कि लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है, यदि फ़िल्म इंडस्ट्री का विस्तार हो. इसके लिए सबसे जरूरी है फ़िल्म की शिक्षा. मगर आज के समय में विश्व भर में यह इतनी महंगी है कि एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार का बच्चा इसके सपने भी नहीं देख सकता. इसकी पहुंच भी सिर्फ़ महानगरों तक है-अरविंद रंजन दास
एक ओर जहां इस शिक्षा को हासिल करने का माध्यम इंग्लिश होने के चलते मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे दिक्कत उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार पाना इन बच्चों के लिए पहाड़ लांघने के बराबर है। इन सभी चुनौतियों का समाधान पाने की दिशा में प्रसिद्ध प्रोफेसर, फिल्मकार और रंगकर्मी अरविंद रंजन दास ने सशक्त कदम उठाया है और पूरे विश्व से फ़िल्म शिक्षा के सिरमौर रहे प्रोफेसरों की एक विशाल टीम बनाकर वसंतोत्सव के शुभ अवसर पर “अंतरंग ऑनलाइन सिनेमा कॉलेज” की आधारशिला, पटना, बिहार में रखी।
अरविंद बताते हैं कि यह फिल्म शिक्षा इतनी सस्ती होगी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. विश्व के कोने-कोने तक पहुंच होगी, क्योंकि ये ऑनलाइन है. इसका सिलेबस पूरी तरह रोजगारोन्मुखी है और हिंदी मीडियम में है
इसके लिए हमने सबसे पहले एक हिंदी फ़ीचर फ़िल्म “वो अकेली है” का निर्माण किया है, जिसमें अभिनेता और तकनीशियनों की टीम को लम्बी ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया और एक ऐसी फ़िल्म बनायी गयी जिसके सभी कलाकार और तकनीशियन बिहार से हैं.
कॉलेज के छात्रों के लिए अगली हिंदी फिल्म “एक जंगल है तेरी आंखों में” और वेब-सिरीज़ “छह इंच छोटा” की शुरुआत की जा चुकी है. अंतरंग ऑनलाइन सिनेमा कॉलेज का पहला कोर्स (नो एक्टिंग कोर्स) इसी मार्च के दूसरे सप्ताह से आरम्भ हो रहा है. इस ऑनलाइन समारोह में निलान घोष (निर्देशन), हेमंत माहौर (अभिनय), रवीन्द्र भारती (मीडिया), भक्ति पुंजानी (मॉडलिंग), राकेश साहा (एनिमेशन), संजीव कुमार (साउंड), रवि भूषण (एडिटिंग), आकांक्षा श्रीवास्तव (एंकर) और “वो अकेली है” के नायक ऋषभ के साथ ही फ़िल्म की पूरी टीम मौजूद रही.
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