दरभंगा के पशु प्रेमी पर हो रहा जुल्म




सिविल और पुलिस प्रशासन से पीड़ित ने लगाई गुहार

न्याय का दरस नहीं, डर से जीने को अभिषप्त

संजय मिश्र,दरभंगा

मौजूदा पीढ़ी के लोगों के माता पिता की पीढ़ी के शुरुआती समय की ही बात है.. जब बॉम्बे में रहने वाले सालिम अली का इंडिया के लोग श्रद्धापूर्वक नाम लिया करते. वे ऑर्निथोलॉजिस्ट यानि साधारण भाषा में कहें तो पक्षी प्रेमी रहे. सम्मान, आलोड़ण और हर तरह के सहज सहयोग देने को लोग आतुर रहते. महानगर का माहौल.. दुश्वारियां पास न फटकती. आप जीव-जंतु और प्रकृति प्रेम में उन्मत हो किसी छोटे शहर में काम करने जाएं तो ये मार्ग कठिनाइयों से भर जाता.

स्वार्थ से वशीभूत मानव समाज में पशु की चिंता करना और पशु पर क्रूरता के खिलाफ आवाज बुलंद करना जोखिम भरा हो जाता. समाज के अलावा परिजन बिदक जाते. ऐसे व्यक्ति को किसी काम लायक नहीं और गैर जिम्मेदार मानने लगते. उसे हिकारत भरी नजरों से देखते. ऐसे ही एक पशु प्रेमी हैं सुजीत कुमार चौधरी.

कभी दरभंगा समाहरणालय के कोरिडोर्स पर चहलकदमी करते तो कभी सर्किट हाउस के बरामदे पर इंतजार करते दिख जाते कि वहां ठहरने वाले कोई वीआईपी गेस्ट उनकी व्यथा सुन ले. जो मिलता उनसे अनुनय विनय करते. आस टिकी है कि किसी का दिल पसीजे और न्याय मिल सके.

वे कहते कि मानव, जीव जंतु और प्रकृति में तादात्म्य के लिए मुखर तरीके से लड़ते आए हैं. असहाय जीव जंतु जिनके अस्तित्व की उम्मीद जीरो लेवल की ओर बढ़ चली है उनकी मदद करना शगल है.

सुजीत चौधरी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं. पूर्व मानद् राज्य पशु कल्याण अधिकारी, मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली, कार्यकारी अध्यक्ष जन चेतना अभियान और आन्दोलन अनुसंधान संस्थान पटना बिहार से जुड़े रहे हैं.

बीते वर्ष नवंबर में पैतृक गांव दुलारपुर, जिला दरभंगा में रहने का निश्चय लेकर आ गए. दरभंगा और बिहार से बाहर काम करने के बाद अपने जिले में काम करने का संकल्प लेकर आए. लेकिन मुसीबतों का पहाड़ सामने खड़ा था. अपने ही पराए हो गए.

सुजीत बताते हैं कि वैसे तो उनके साथ हिंसक सुलूक की शुरुआत साल 2019 में ही हुई.. वे मामले कोर्ट में चल रहे. बावजूद इसके इन पर हिंसा करने वालों का मनोबल ऊंचा है. लिहाजा इस साल भी लगातार जानलेवा हमले हुए हैं. डीएम को 3 अगस्त को पीड़ित की ओर से दिए आवेदन में कहा गया है कि हमला करने वालों में अंजन चौधरी, शिवम चौधरी, शुभम चौधरी, शालिनी कुमारी और अनुपमा कुमारी आदि शामिल थे. वे सभी सुजीत के निज संबंधी हैं. सुजीत की मानें तो वे अत्याचार कर उन्हें दरभंगा से भगा देना चाहते. वे अंदेशा जताते कि हमला करने वालों की नजर उनकी पैतृक संपत्ति पर है.

इस साल 24 अप्रैल, 26 जून, 24 जुलाई और 27 जुलाई को इनके परिजनों ने इनसे मार पीट की है. उन्होंने कहा कि सुना है डीएम सहृदय हैं और करुणा का भाव रखते. उम्मीद है उनका हेल्पिंग हैंड मुझ पर आए और मुसीबतों से मुझे त्राण मिले. सुरक्षा चाहिए और अपने घर में रहने का प्राकृतिक अधिकार मिल पाए.

पटना नाउ को जानकारी मिली है कि भालपट्टी ओपी सदर दरभंगा थाना काॅंड संख्या -526/23, दिनांक-2-8-2023 को धारा- 341, 323, 324, 325, 447, 448, 504, 379, 506, 34 में प्राथमिकी दर्ज हो गई है. समाचार लिखे जाने तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी.

आपको बता दें कि इसी दरभंगा शहर में एक एनजीओ की तरफ से पशु क्रूरता रोकने खातिर चार महिला अधिकारी पधारी थीं. वे आवारा पशुओं को उठवा कर सुविधाओं से लैस नियत जगह पर पहुंचवातीं. कुछ महीने काम अच्छे से चला. लेकिन स्वार्थी तत्वों ने महिला टीम लीडर पर घातक हमला किया और अनाचार की कोशिश की. किसी तरह जान बची. हैदराबाद की रहने वाली उस महिला ने लहेरियासराय में प्रेस मीट कर संक्षिप्त आपबीती सुनाई और उसके बाद नौकरी छोड़ अपने घर वापस चली गई. छह महीने तक वो सदमे में रही. उम्मीद है सुजीत को न्याय मिलेगा.

By pnc

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