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इंडिया में अमृत काल, जीडीएस का अमृत काल कब – महादेवैया

काम पूरा तो रोटी आधी नहीं चलेगी




जीडीएस को चाहिए पुरानी पेंशन

देश भर के जीडीएस 12 दिसंबर से रहेंगे हड़ताल पर

संजय मिश्र,दरभंगा

जीडीएस यानि ग्रामीण डाक सेवक व्यग्र हैं. कार्य स्थिति इतनी खराब कि समाज उन्हें भूलने सा लगा है. इंडिया का देशव्यापी अंग होने के बावजूद उनकी पूछ सिमटती जा रही. कभी डाकिया डाक लाया.. जैसे फिल्मी गानों के महत्वपूर्ण पात्र.. तो ग्राम्य अंचलों में शिक्षा की लौ नहीं देखने वालों को चिट्ठी पढ़ कर सुनाने वाले आत्मीय चेहरे. परदेस में रह रहे पति के लिए नवविवाहिता के मन में मची सम्पूर्ण उथल पुथल.. मनोभाव के अनगिनत परतों को गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियों के संयम के दायरे में पत्र लिख कर उकेरने वाले अपने डाकिया.. आखिरी वाक्य में उतारा आने के उद्वेग का शब्दों का जाल बनाने वाला भरोसे का ये प्रतिमूर्ति. जीवन यात्रा को उस पात्र पर कितना नाज रहा होगा. आज वो कितना विकल है. बीते दौर में पाए सम्मान की छाया तक को तरसता हुआ. हमारा, आपका और हम सबका डाकिया हड़ताल पर जा रहा है.

दरभंगा प्रधान डाक घर परिसर में रविवार 3 दिसंबर, 2023 को प्रतिध्वनित हो रही ऐसी ही बातें वहां मौजूद लोगों के मानस को भींगो रही थीं. अवसर था अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक संघ के छठे द्विवार्षिक अधिवेशन का.

संघ के राष्ट्रीय महामंत्री एस एस महादेवैया ने कनडिगा ध्वनि से मिश्रित हिंदी में संबोधित कर समा बांध दिया. सरल शब्दों में हड़ताल के औचित्य और भविष्य की रूप रेखा को दृढ़ तरीके से संकल्प बद्ध किया जिसमे आक्रोशित और उग्र भाषा की जरूरत सुनने वालों को महसूस न हुई.

बतौर मुख्य अतिथि दरभंगा पहुंचे महादेवैया ने मोदी सरकार पर तंज कसा कि इंडिया के लिए अमृत काल है तो जीडीएस की करुणा सरकार क्यों नहीं सुनती? जीडीएस का अमृत काल कब आएगा? 4 घंटे के मेहनताना पर 8 घंटे काम लिया जाता है. ऊपर से नरेगा, सुकन्या जैसे विभिन्न काम भी सरकार लेती है.

उन्होंने जीडीएस को भरोसा दिलाया कि संघर्ष से देर सबेर कुछ न कुछ मिलता ही रहा है. आगे भी मांगें पूरी होती जाएंगी. उन्होंने अटल बिहारी के पीएम रहते संचार मंत्री रामविलास पासवान से हुई मैराथन 7 घंटे की वार्ता का जिक्र किया. अनेक बिंदु पर सहमति बनी. आखिर में फंड की कमी का रोना रोया गया.

उन्होंने मोदी सरकार से हुए विभिन्न स्तरों की वार्ता का जिक्र किया. जीडीएस की मांगों को लेकर हुई वार्ता के बाद कई मंत्रियों ने प्रेस मीट कर सहमति की बातों का उल्लेख किया. लेकिन फिर वही पैसे की कमी का रोना. यानि जीडीएस उनके लिए सौतेला संतान की तरह है. जबकि ये तंत्र पूरे देश में फैला है और भारत की आत्मा के सार को प्रतिबिंबित करता है.

महादेवैया ने कहा कि केंद्र सरकार इतने भ्रम में क्यों पड़ी है ? हमारा सिविल पोस्ट है तो 5 घंटे का ही पेंशन दो. समाज का डाक बाबू काम पूरा करेगा तो रोटी आधी नहीं चलेगी. सरकार जितना काम करवाए.. 60 साल नौकरी और 5 साल पेंशन दो हम 65 साल तक काम करेंगे. हमारी मांगें नहीं सुनी तो हम भी पुरानी पेंशन की मांग पर अड़ जाएंगे.

उनके शालीन और मुलायम आक्रामकता से जीडीएस के चेहरे पर आत्म विश्वास उभरा. महादेवैया ने हुंकार भरी कि 12 दिसंबर से होने वाली हड़ताल सिर्फ वेदना प्रकट करने के लिए नहीं है.. बल्कि सरकार को हमारी न्यायोचित मांग पूरी करनी ही होगी.

मंच संचालन कर रहे अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक संघ के प्रमंडलीय मंत्री राज किशोर सहनी ने इस अवसर पर कहा कि हम समाज की रीढ़ हैं.. हम मजबूरी में हड़ताल पर जा रहे हैं. कमलेश चंद्र कमिटी की सिफारिशों को अमल करवाना हमारा लक्ष्य है.

आपको बता दें कि 1947 में इंडिया में 23344 डाकघर थे. इस समय ये संख्या बढ़ कर 155000 हो गई है. 5000 नए शाखा डाक घर खोले गए हैं. यानि कुल डाक घरों की संख्या 160000 हो गई है. शहरी क्षेत्र में 30095 डाक घर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 124905 डाक घर हैं. ग्रामीण डाक सेवक की संख्या 270000 है.

By pnc

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