क्यों भूल रहे है अपने देशी परिधानों को
अपनी संस्कृति में जो फैशन के रंग है उनको करीब से देंखे युवा
देसी परिधानों का महत्व हम भूलते जा रहे हैं. विदेशी परिधानों ने अब हमारे वार्डरोब में गहरी जगह बना ली है. फैशन की संस्कृति बदलती जा रही है. इस संस्कृति को पालने-पोसने में फैशन शो की भूमिका को कमजोर नहीं माना जा सकता है. कोने-कोने में फैशन शो आयोजित किए जाने लगा है . प्रश्न यह उठता है कि हम किस संस्कृति की ओर उन्मुख होना चाहते हैं? आगे बढऩा किसी को बुरा नहीं लगता है लेकिन अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटने का कारण किसी भी दृष्टि में श्रेष्ठ नहीं हो सकता है. फैशन शो की संस्कृति के नाम पर हम समाज में क्या परोस रहे हैं इसका एक मॉडल होना चाहिए जिससे विदेशों में हमारे कपड़ों से वार्डरोब भरे तब फैशन शो के सही अर्थ निकलेंगे . इस पर चिन्तन जरूरी हो जाता है. युवा फैशन डिजाइनर अमरेश सिंह से रवींद्र भारती की बातचीत
भोजपुर जिले के रहने वाले अमरेश का मानना है कि मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मैं भारत जैसे विशाल देश में पैदा हुआ हूँ .जिसके पग- पग पर रंग ,कला और संस्कृति और पारम्परिक परिधान है .मैं रंग, संस्कृति ,डिजाईन और खादी को लेकर अभी बहुत बड़े पैमाने पर काम कर रहा हूँ जिससे देश विदेश में खादी का ट्रेंड विकसित हो. पाश्चात्य देशों ने जो नुकसान पहुंचाया है उसकी भरपाई हो सके .उनके वार्डरोब में हमारे भारत की लोक संस्कृति की झलक दिखे .
फैशन डिज़ाइनर अमरेश सिंह ने मास्टर डिग्री फैशन टेक्नोलॉजीमें की है और अभी पीएचडी इन फैशन डिज़ाइन कर रहे हैं. वर्क एक्सपीरियंस भी इनका पांच साल का हो गया .कई महत्वपूर्ण मौकों पर वे अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके है .अमरेश सिंह फैशन में मास्टर डिग्री करने के बाद इंडिया के फेमस फैशन डिज़ाइनर नीता लुल्ला ,मनीष मल्होत्रा, रियाज़ गांजि जैसे दिग्गज लोगों के साथ काम किया है जिन्हें खुद इन लोगों ने बढ़ाने का काम किया है . अमरेश सिंह मेंस लेडीज और बच्चों के लिए डिज़ाइन करते हैं.
आपके पास भी हैं कोई ऐसे कलाकार या किसी भी प्रतिभा के धनी व्यक्ति की जानकारी तो आप हमें लिख कर भेज सकते हैं तस्वीर के साथ [email protected] पर मेल कीजिए.हम प्रतिभा का सम्मान करते है …