नई दिल्ली/पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) । केन्द्र सरकार ने घाटे में चल रही एयर इंडिया में विनिवेश का फैसला फिलहाल टाल दिया है. जानकारी के मुताबिक एयर इंडिया कंपनी पर 520 अरब रुपये का कर्ज है जिसमें से करीब 160 अरब रुपये विमानों के लिए लिया गया लोन है. यह लोन एक्जिम बैंक, विदेशी संस्थानों आदि के जरिये जुटाया गया है. विमानों के लिए लिया लोन सॉवरेन बॉन्डों के जरिये लिया गया है और इसमें सरकार की गारंटी है. इसी तरह कार्यशील पूंजी भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाले 25 बैंकों के कंसोर्टियम से ली गई है. एयर इंडिया की बिक्री स्थगित होने से सरकार को फिर से कंपनी में इक्विटी डालनी होगी ताकि उसका कामकाज चलता रहे. कंपनी को सालाना 40 अरब रुपये ब्याज चुकाना पड़ रहा है. अधिकारियों का कहना है कि कंपनी में तुरंत 30 अरब रुपये डालने की जरूरत है. एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सरकार को सालाना ब्याज भुगतान के लिए रकम मुहैया कराने के लिए पूंजी निवेश पुन: शुरू करने की जरूरत होगी. इसके लिए हमें दैनिक परिचालन के लिए लगभग 10 अरब रुपये की जरूरत होगी.’
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो, सरकार ने आगामी आम चुनावों को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है. सरकार अब एयर इंडिया के कर्ज बोझ को कम करने का प्रयास करेगी और कर्ज के एक हिस्से को अलग इकाई में डाला जा सकता है. जानकार सूत्रों ने बताया कि बीती रात मंत्रियों के एक समूह की बैठक में एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया को टालने का निर्णय किया गया. एयर इंडिया की बिक्री के लिए नियुक्त सलाहकार के सुझाव के बाद बिक्री प्रक्रिया को टालने का निर्णय किया गया. इसमें कहा गया था कि राजनीतिक परिस्थितियां एयर इंडिया की बिक्री के लिए अभी मुफीद नहीं हैं.
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