जामुन के गूदे में हैं डायबिटीज को नियंत्रित रखने के गुण -डॉ सुमन बाला

By pnc Sep 9, 2016

एम्स में एथेरोस्क्लीरोसिस बीमारी पर सीएमइ का आयोजन
unnamed-1अखिल भारतीय आयुर्विज्ञानसंस्थान(एम्स), पटना के बायोकेमिस्ट्री विभाग की ओर से  एक सी एम ई का आयोजन किया गया.इस दौरान एथेरोस्क्लीरोसिस बीमारी के विभिन्न पहलुओंपर चर्चाहुई.इस बीमारी  में हृदय की धमनियां वसा जमने की वजह से संकरी हो जाती हैं और रक्त प्रवाह मेंअवरोध होता है.विषेषज्ञों द्वारा चर्चा में यह बात सामने आई कि डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों में इस बीमारी का खतरा अपेक्षा कृत ज्यादा होता है.इसकेअतिरिक्त उच्च रक्त चाप, मोटापा या जीवन शैली से जुड़ी अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों में भी यह बीमारी ज्यादा देखी गई है.

एम्स पटना की बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डाॅ.साधना शर्मा ने अपने व्याख्यान में माइक्रो आर एन ए की चर्चा की, जिस के लाभों को यदि विस्तृत किया जाए तो इस बीमारी का इलाज आसान होगा.वहीं यूनिवर्सिटी काॅलेज आॅफ मेडिकल साइंसेज की निदेशक डाॅ.सुमन बाला शर्मा ने भी अपने व्याख्यान के दौरान रोचक तथ्य उजागर किये. उनके मुताबिक जामुन के गूदे में डायबिटीज को नियंत्रित रखने के गुण हैं, यदि जामुन में पाए जाने वाले इसफाइटो केमिकल को निकालकर मधुमेह रोगियों को दिया जाए तो उन्हें मधुमेह नियंत्रित करने में लाभ होगा.इसी तरहसे एवेरन नाम के पेड़ की पत्तियों में भी एंटीडायबिटिक गुण पाए जाते हैं.इन दोनों का ही इस्तेमाल मधुमेह से निपटने में कारगर है.
एम्स पटना के बायो केमिस्ट्री विभाग के सहायक प्रोफेसर डाॅ.एन सी चंद्रा ने लेप्टिन प्रोटीन के बारे में बताया जो कि भूख होने या न होने का अहसास कराती है.प्रोटीन ज्यादा हो तो भूख कम लगती है हालांकि शोध  में पाया गया है कि मोटापा ग्रस्त लोगों में यह प्रोटीन काफी ज्यादा मात्रा में होती है, लेकिन क्रियाशील नहींहोती, जिसके चलते मोटे लोगों को भूख ज्यादा लगती है, वे खाते ज्यादा हैं और अंततः वे एथेरोस्क्लीरोसिस के शिकार  होते हैं.




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आईजीआईएमएस के कार्डियोलाॅजी विभागाध्यक्ष डाॅ.बीपी सिंह ने बताया कि एक विशेष प्रकार का जीन पीसीएस नाइन नाम की प्रोटीन को ज्यादा बनाता हैजो कि एथेरो स्क्लीरोसिस बीमारी को बढ़ाती है. यदि इस प्रोटीन को बनने से रोक दिया जाए तो इस बीमारी का खतरा कम हो सकता है.

फुलवारीशरीफ से अजीत की रिपोर्ट 

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