स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक दिवसीय राष्ट्रीय नियोनेटोलॉजी फोरम (एनएनएफ) शाइन कार्यशाला का आयोजन
कार्यशाला में सीखे गए अनुभव से बाल चिकित्सकों को अत्याधुनिक तकनीक से इलाज में होगा फायदा
ट्रेनिंग के जरिए बाल मृत्यु दर कम करने की तैयारी
फुलवारी शरीफ, अजित : एम्स पटना के नियोनेटोलॉजी विभाग ने स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक दिवसीय राष्ट्रीय नियोनेटोलॉजी फोरम (एनएनएफ) शाइन कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में बिहार के विभिन्न संस्थानों के बाल चिकित्सा स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया. यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए सीखने का बेहतरीन अनुभव था और उन्होंने नवजात देखभाल में साक्ष्य आधारित प्रथाओं के कार्यान्वयन को सीखा भी.युवा बाल रोग विशेषज्ञों को राज्य के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संकायों द्वारा बुनियादी और उन्नत नवजात देखभाल की बारीकियों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया.नवजात मृत्यु दर 5 वर्ष से कम उम्र की मृत्यु दर में लगभग आधे का योगदान देती है. यह महत्वपूर्ण है कि स्थानीय स्तर पर नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए प्रशिक्षित युवा बाल रोग विशेषज्ञों की उपलब्धता से नवजात देखभाल इकाइयों में प्रदान की जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता पर उच्च प्रभाव पड़ेगा. इससे नवजात मृत्यु दर और रुग्णता दोनों को कम करने में मदद मिलेगी.
एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक और सीईओ डॉ. (प्रो.) जी.के. पाल ने इस कार्यशाला के आयोजन के लिए नियोनेटोलॉजी विभाग के प्रयासों की सराहना की और संकाय सदस्यों और प्रतिभागियो का उत्साह बढ़ाया.रेजिडेंट चिकित्सकों के लिए, डॉ. पाल ने इन कौशल-आधारित प्रशिक्षणों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि निकट भविष्य में एम्स पटना में अत्याधुनिक नवजात गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) खोलने की तैयारी में बहुत काम किया गया है और हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द इसे आम लोगों की सुविधा के लिए उपलब्ध कराया जाए.
एम्स पटना की डीन (अकादमिक) डॉ. (प्रो.) रुचि सिन्हा ने बाल चिकित्सकों के लिए योग्यता- आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया. एम्स पटना के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. (प्रो.) अनुप कुमार ने भी टीम को प्रोत्साहित किया और इस कार्यशाला के महत्व से अवगत कराया.
इसमें शामिल संकायों में डॉ. भाबेश कांत चौधरी (एचओडी नियोनेटोलॉजी), एम्स, पटना से डॉ. रामेश्वर प्रसाद और डॉ. सौरभ कुमार, आईजीआईएमएस, पटना से डॉ. रिजवान अहमद और डॉ. अमित कुमार शामिल थ. डॉ. रामेश्वर प्रसाद स्थानीय कार्यशाला समन्वयक थे, और डॉ. सौरभ कुमार और डॉ. केशव कुमार पाठक आयोजन सचिव थे.