G 20
पीएम और जो बाइडन के बीच 52 मिनट की हुई मीटिंग
कई मुद्दों पर चर्चा की, जो दोनों के बीच आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाएंगे
पहली बार भारत यात्रा पर पहुंचे बाइडन, पांच माह में पीएम मोदी से तीसरी मुलाकात
सुरक्षा परिषद में बतौर स्थायी सदस्य शामिल करने की भारत की मांग का किया समर्थन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर बहुत अच्छा लगा: जो बाइडन
भारत की भूमिका की बाइडन ने की तारीफ
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बार फिर क्वाड संगठन के प्रति अपने-अपने देश की न सिर्फ प्रतिबद्धता को जताई है बल्कि सीधे तौर पर चीन को यह संदेश भी दिया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए उसकी गतिविधियों पर इस संगठन के जरिये नजर रखी जाएगी.यह दो दिनों के भीतर भारत की तरफ से हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर चीन को सीधे तौर पर दूसरी बार कड़ा संदेश देने की कोशिश है/.बाइडन जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार शाम को नई दिल्ली पहुंचे. यहां उनके आगमन के कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात हुई जिसमें दोनों देशों के आपसी रिश्तों के सभी आयामों पर बातचीत हुई.
दोनों नेताओं ने जून, 2023 में वाशिंगटन में हुई अपनी मुलाकात के दौरान जीई जेट इंजन और डब्लूटीओ विवाद को सुलझाने को लेकर जो बातचीत की थी, उसकी भी समीक्षा की. पांच महीनों में यह दोनों नेताओं के बीच तीसरी मुलाकात थी. क्वाड अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया का संगठन है, जो वर्ष 2017 के बाद तेजी से आकार ले रहा है. इन देशों का कहना है कि क्वाड का उद्देश्य हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला, शांतिपूर्ण व सभी के लिए समान अवसर वाला बनाना है. हालांकि, चीन और रूस क्वाड को अमेरिका के नेतृत्व में दुनिया में शीत-युद्ध काल को दोहराने वाला संगठन करार देते हैं.क्वाड नेताओं की मई, 2023 में जापान में बैठक हुई थी, जिसमें क्वाड के तहत मौजूदा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था की जगह एक दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था बनाने पर बात हुई थी. मोदी और बाइडन के बीच मुलाकात में भी यह मुद्दा उठा. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखला को विश्वस्त बनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. इस संबंध में अमेरिकी कंपनियों की तरफ से भारत में निवेश करने के फैसले का स्वागत किया गया है. अत्याधुनिक उद्योगों के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों पर दोनों नेताओं ने संतोष जताया. करीब 50 मिनट चली मुलाकात में अमेरिका ने वैश्विक संगठनों में बदलाव की भारत की पुरानी मांग को समर्थन देने की बात दोहराई है.
राष्ट्रपति बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को बतौर स्थायी सदस्य शामिल करने की मांग को अपना समर्थन दिया है और वर्ष 2028-29 में भारत के एक बार फिर इस परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने का स्वागत किया. बाइडन ने चांद पर भेजे गए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अभियान चंद्रयान-तीन और भारत के सोलर मिशन आदित्य-एल वन की सफलता पर बधाई दी. भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच कई स्तरों पर सहयोग हो रहा है जिसे मोदी और बाइडन का समर्थन हासिल है. दोनों देश साथ मिलकर अंतरिक्ष में अपने विज्ञानियों को भेजना चाहते हैं. इस बारे में एक फ्रेमवर्क पर काम हो रहा है जिसे दिसंबर, 2023 तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत यात्रा पर पहुंचे बाइडन ने जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने जो भूमिका निभाई है, उसकी तारीफ की. मोदी और बाइडन ने उम्मीद जताई कि नई दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में सतत विकास, बहुदेशीय सहयोग और आर्थिक नीतियों पर वैश्विक सहमति बनाने को लेकर प्रगति होगी. अमेरिका ने बहुदेशीय संस्थाओं में बदलाव को लेकर भारत की मांग का समर्थन किया है और उम्मीद जताई है कि जी-20 की बैठक में इस बारे में भी सहमति बनेगी.दोनों नेताओं के बीच रविवार को होने वाले शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा पत्र को लेकर भी बातचीत हुई. मोदी की शुक्रवार को बांग्लादेश और मारीशस के प्रधानमंत्रियों से भी अलग से द्विपक्षीय मुलाकात हुई है. मोदी और बाइडन ने भारत और अमेरिका के बीच सामरिक व रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने को लेकर भी बात की और अपनी प्रतिबद्धता जताई. रक्षा से जुड़े औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया. भारत में अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस की तरफ से युद्धक विमानों का इंजन बनाने से जुड़े प्रस्ताव को लेकर अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से 29 अगस्त, 2023 को अधिसूचना जारी करने को लेकर भी प्रसन्नता जताई गई. दोनों नेता चाहते हैं कि अमेरिकी नौसैनिक जहाजों की मरम्मत व दूसरे कार्यों के लिए भारत एक केंद्र के तौर पर विकसित हो.
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