बेजान को जीवित रचना के रूप में व्यक्त करने में सक्षम
सोच में भारी परिवर्तन और यह परिवर्तन कलाकारों की अभिव्यक्ति में दिखी
ड्राइंग, पेंटिंग, स्केचिंग, मिक्स मीडिया, ऑइल पेंटिंग, स्टिल लाइफ, कैनवास, वॉटर कलर, एक्रेलिक से बनी पेंटिंग में रच बस सी गई है पल्लवी सिन्हा. मुंबई मायानगरी में पल्लवी लम्बे समय से संघर्षरत है,बचपन से कला के प्रति जागरूकता ने इन्हें देश में एक सम्पूर्ण कलाकार के रूप में पहचाना है. पल्लवी ने बैचलर ऑफ आर्ट्स(मगध यूनिवर्सिटी),मास्टर ऑफ आर्ट्स(एमयू) इसीसीइडी से पढ़ाई पूरी की. इन्हें प्रकृति से लगाव है इसी लगाव के चलते पल्लवी के चित्र कृतियों में प्रकृति का संघर्ष और कलाकार का द्वंद दोनों दिखता है.
पल्लवी सिन्हा कहती है कि कला मुझे बचपन से प्रेरित करती है.मैंने चित्रकला और रेखाचित्रों के माध्यम से ज्ञान को अर्जित करने के लिए कला को प्रेरणा के रूप में अपनाया है। प्रकृति की ओर झुकाव होने से आसानी से कला का काम बेहतर कर सकी, और साथ ही प्रकृति की सुंदरता का निरीक्षण भी करने के लिए और इस बेजान को जीवित रचना के रूप में व्यक्त करने में सक्षम हो पायी.मैंने अपना अधिकांश प्रयास जीवन के विभिन्न पहलुओं को आत्मसात करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने में लगा दिया. जिसमें मेरी कोशिश रही है कि कृति सरलतम तरीके से समझ को व्यक्त करने में सफल हो.
पल्लवी सिन्हा कहती हैं कि भारत में चित्रकला का इतिहास बहुत पुराना रहा हैं। पाषाण काल में ही मानव ने गुफा चित्रण करना शुरू कर दिया था। होशंगाबाद और भीमबेटका क्षेत्रों में कंदराओं और गुफाओं में मानव चित्रण के प्रमाण मिले हैं। इन चित्रों में शिकार, शिकार करते मानव समूहों, स्त्रियों तथा पशु-पक्षियों आदि के चित्र मिले हैं। अजंता की गुफाओं में की गई चित्रकारी कई शताब्दियों में तैयार हुई थी, इसकी सबसे प्राचीन चित्रकारी ई.पू. प्रथम शताब्दी की हैं। इन चित्रों में भगवान बुद्ध के विभिन्न रूपों में दर्शाया है.
धीरे-धीरे पढ़े-लिखे शहरी मध्यवर्ती लोगों की सोच में भारी परिवर्तन आने लगा और यह परिवर्तन कलाकारों की अभिव्यक्ति में भी दिखाई पड़ने लगा। बढ़ती जागरूकता, राष्ट्रीयता की भावना और एक राष्ट्रीय पहचान की तीव्र इच्छा ने ऐसी कलाकृतियों को जन्म दिया जो पूर्ववर्ती कला की परम्पराओं से एकदम अलग थीं। पल्लवी सिन्हा की पेंटिंग में एक अलग माध्यम होता है जिसे आम लोग भी आसानी से समझ सकते हैं.पल्लवी की देश के कई हिस्से में चित्र प्रदर्शनी में पेंटिंग लगे जिसे बहुत सराहना मिली.युवा वर्ग के लिए पल्लवी कहती हैं कि खुद को तराशना है खुद पर तरस नहीं खाना है आज जो प्रयोग पेंटिंग को लेकर हो रहे हैं उसे देख क्र सीखने का जज्बा नये कलाकारों में होना चाहिए.पल्लवी ड्राइंग, पेंटिंग, स्केचिंग, मिक्स मीडिया ऑइल पेंटिंग, स्टिल लाइफ, कैनवास, वॉटर कलर, एक्रेलिक कलर में अपने चित्र बनाती हैं जिसे लोग काफी पसंद करते हैं.
कला प्रदर्शन :
1 समूह प्रदर्शनी 8वां राष्ट्रीय कला मेला बंगलौर
2 चेन्नई, दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, पटना में अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी और कई अन्य शो
3.अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी- अंबाला कैंट
4.चेन्नई, पटना, लखनऊ, दिल्ली मुंबई और नागपुर में कई निजी संग्रह।
5. इंडिया हैबिटेट सेंटर (दिल्ली) 2016 में समूह प्रदर्शनी
6. समूह प्रदर्शनी कला मंच 2017 (प्रबोधनकार ठाकरे नाट्य मंदिर) आर्ट गैलरी बोरीवली मुंबई पश्चिम
7.समूह प्रदर्शनी मुंबई कला मैराथन 2020 बॉम्बे आर्ट सोसायटी, बांद्रा रिक्लेमेशन, बांद्रा वेस्ट
8.समूह प्रदर्शनी, मुंबई मेरी जान 2021 बॉम्बे आर्ट सोसायटी बांद्रा पश्चिम
9. 2021 आनलाइन कला प्रदर्शनी
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