‘आयाम’ साहित्य का स्त्री स्वर

पद्मश्री उषाकिरण खान है संस्थापिका

प्रतिभा संपन्न रचनाकार स्त्रियों को एक मंच मुहैया कराता है आयाम




पटना: ‘आयाम’ संस्था मुख्यतः उन रचनाशील स्त्रियों के लिए हैं जिनकी साहित्यिक प्रतिभा और लेखनी घर की चहारदिवारी एवं अनेक जिम्मेदारियों के भीतर दबी रहती है. ‘आयाम’ इन्हीं प्रतिभा संपन्न रचनाकार स्त्रियों को एक मंच मुहैया कराता है जो इसकी हकदार हैं. इसकी शुरुआत पद्मश्री उषाकिरण खान ने किया और आयाम पद्मश्री उषा किरण खान द्वारा स्थापित एक रजिस्टर्ड साहित्यिक संख्या है.

पद्मश्री उषा किरण खान आयाम के कार्यक्रम में
आयाम के कार्यक्रम में शिरकत करते सहित्यकार


संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री उषा किरण खान कहती हैं कि स्त्री जो चाहत की, सेवा की और बुढ़ों की सेवा करती है घर बनाती है, किसी भी मकान में उसकी सहभागिता मात्र कला कौशल दिखाने की नहीं है बल्कि वह भी सोचती भी है. हजारों सालों से दबी कुचली वह अपना स्वर नहीं सुना पानी । शिक्षित समाज में भी स्त्री साहित्य सभाओं में नहीं दिखतीं। दिखती भी हैं तो दाल में नमक बराबर। स्पष्ट है कि आयाम’ की परिकल्पना को आकार देना इसी सोच का प्रतिफल है। यह स्त्रियों के साहित्यिक फलक को एक विस्तृत आयाम और गति प्रदान करता है। यही कारण है कि आज आयाम न सिर्फ बिहार में बल्कि संपूर्ण भारत का स्त्री स्वर बनकर परचम लहरा रहा है।

आयाम की सचिव वीणा अमृत

आयाम की सचिव वीणा अमृत बताती है कि आयाम का गठन 22 जुलाई 2015 में हुआ था.इन – छः सालों के भीतर आयाम ने साहित्य और संस्कृति से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण आयोजन किये गए और महिलाओं ने देश में अपना एक विशेष मुकाम हासिल किया और पहचान बनाई। घरेलु स्त्रियां जो प्रतिभावान थी, उनके विचारों, भावों एवं लेखनी को एक स्थान पर एकजुट होकर बैठने और अपने साहित्य के एक आयाम देने की पहल की है जिसकी शुरुआत पद्मश्री उषाकिरण ने ही किया। संभवत: देश की यह इकलौती सोच है जो सिर्फ स्त्रियों की है और खासकर उन स्त्रियों की जो नामचीन नहीं बल्कि घरेलु हैं पर जिनमें साहित्यिक अभिरुचि है।

आयाम का संकल्प है घरों में बैठी साहित्य चेता स्त्रियाँ मिल बैठे, कुछ अपनी करें और कुछ सुने । ये स्त्रियाँ जो बड़े- बड़े साहित्यिक उत्सवों में नहीं जा पाती, उनकी सकुचाहट उन्हें रोकती है. ऐसे में आयाम उन्हें एक व मजबूत संबल प्रदान करता है। और आज आयाम में कई ऐसी त्रियाँ है जो घरों से निकलकर लिख रही है, मंचों पर जा रही हैं और साहित्यिक जगत में अपना नाम और स्थान बना रही हैं।

आयाम का उद्देश्य बेहतर साहित्य बेहतर समाज बनाने का है उनकी विसंगतियों को दूर करने का है. आयाम उन सभी स्त्रियों की वह आवाज है जो वे अपने कलम के माध्यम से कुछ गढ़ना चाहती हैं कुछ कहना चाहती हैं। मुलतः आयाम का यही उद्देश्य है कि साहित्य में उनका स्वर बुलन्द हो ताकि समाज को एक नई दिशा और नई गति मिल सके। साथ ही आयाम बिहार की उन दिवंगत लेखिकाओं कवयित्रियों की रचनाओं और साहित्यिक योगदान को पुनः सामने लाने को प्रयासरत है।इसके तहत ‘आयाम’ द्वारा दिवगंत लेखिका बिंदू सिन्ध पर पहला संग्रह लाने जा रहा है इसके बाद प्रकाश वी नारायण इत्यादि पर अनेक किताब प्रकशित करने की योजना पर काम कर रहा है आयाम न सिर्फ साहित्य पर ऐसे मसले भी हैं जो महिलाओं से जुड़ें है उन पर भी कार्य करने की योजना है. समाज को नई दिशा देने की इच्छा रखने वाली कोई भी महिला सदस्य बन सकती है . कोई भी स्त्री जिनकी साहित्यिक रूचि हो वो आयाम से जुड़ सकती हैं.

आयाम लगातार साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहता है। आयाम का अपना एक फेसबुक पेज भी है जिसपर महामारी के बाद समय समय पर में भी वर्चुअल माध्यम से अनेक साहित्यिक गतिविधियों चर्चाओं इत्यादि में काम करता रहा है । वर्तमान में अध्यक्ष पद्मश्री उषा किरण खान के अलावे सचिव वीणा अमृत, संयुक्त सचिव सुनीता सृष्टि, कोषाध्यक्ष सौम्या सुमन हैं जो इस अभियान को आगे ले जाने में सतत प्रयत्नशील हैं.

PNC DESK

By pnc

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