आरा के चित्रकार की कलाकृतियां इंडिया हैबिटेट सेंटर में, आज होगा समापन

देश के नामी 53 कलाकारों की गैलरी में आरा के लाल की पेंटिंग

विजुअल आर्ट गैलरी, इंडिया हैबिटेट सेंटर,नई दिल्ली में 13 दिसंबर तक चलेगी प्रदर्शनी




नई दिल्ली,13 दिसंबर(ओ पी पांडेय). दिल्ली देश की धड़कन है और कलाकारों की धड़कन का केंद्र है नई दिल्ली का इंडिया हैबिटेट सेंटर। जी हां इन दिनों कलाकारों की कृतियों को देखने के लिए कलाकारों से लेकर कला प्रेमियों तक का हुजूम है। ये हुजूम होना भी लाजिमी है क्योंकि देश के जाने माने नए से लेकर पुराने कुल 53 कलाकारों की प्रदर्शनी यहां लगी है जिसे लगाया एकत्व फाउंडेशन ने। अपने नाम के अनुरूप कला के हर विधाओं को एक साथ एक मंच पर लाने का अद्वितीय कार्य किया है एकत्व फाउंडेशन की डायरेक्टर सलोनी वाढवा ने। यहां चित्र, मूर्ति, सेरेमिक, फोटोग्राफ्स, इंस्टालेशन जैसे विधाओं को एक साथ एक ही मंच पर दर्शकों के लिए रखा गया है। 53 कलाकारों में एक चित्रकार भोजपुर जिला के आरा के रहने वाले कौशलेश भी है। अपने चित्रों के माध्यम से न सिर्फ वे भोजपुर का नाम बढ़ा रहे हैं बल्कि देश की धड़कन दिल्ली में पहुंचे कला प्रेमियों का दिल भी धड़का रहे हैं। कौशलेश वराणसी में पिछले कई वर्षों से कला की इस विधा में काम कर रहे हैं और अपने चित्रों से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं।

कौशलेश अपने चित्रों में रंगो का संयोजन सॉफ्ट रखते हैं और हार्ट टू हार्डवेयर यानि दिल से मशीन तक का जो सफर है उसे दिखाते हैं। मशीनीकरण से मानव जीवन में मर रही संवेदनाओं को वे रंगो के सॉफ्ट व हल्के प्रयोग बैक ग्राउंड में कर ऑब्जेक्ट को उम्दा रूप देने की हमेशा कोशिश करते हैं। कौशलेश के रंग संयोजन की यही विशेषता हमेशा दर्शकों को आकर्षित करती है। यही आकर्षण आज हैबिटेट सेंटर तक पहुंचने की वजह है। इनकी पेंटिंग में रंगो का संयोजन एक अलग तरह का सुकून देता है। 2002 में बिहार बोर्ड से पास करने वाले कौशलेश की प्रारंभिक शिक्षा आरा के मिशन व क्षत्रिय स्कूल से हुई है। फिलहाल वे BHU काशी में केन्द्रीय विद्यालय में एक आर्ट शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

एकत्व फाउंडेशन एक परिचय

2019 में इंडियन आर्ट एंड कल्चर को प्रमोट करने के उद्देश्य से एकत्व आर्ट फाउंडेशन का निर्माण हुआ था। तब से लगातार प्रर्दशनियों,सेमिनारों और कार्यशालाओं के जरिए कई तरह के कलाकारों को एक मंच पर इकट्ठा करने का काम एकत्व का रहा है। एकत्व फाउंडेशन की डायरेक्टर सलोनी वाढवा हैं जो 10-13 दिसंबर तक इंडिया हैबिटेट सेंटर दिल्ली में लगने वाली विजुअल आर्ट गैलरी को क्यूरेट कर रही हैं। इस प्रदर्शनी में बोस्निया के एंबेसडर जहां शामिल हो रहे हैं वहीं नवल किशोर, डाॅ. उत्तम पचारणे, विजेंद्र शर्मा, कैटरीना, कौशलेश कुमार, आकाश यादव, और कुनाल कपूर जैसे बेहतरीन 52 कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं।

कला गैलरी में बोलती कलाकृतियां

प्रदर्शनी में प्रर्दशित कृतियां अपने रंगों और भावों के बल पर लोगों को आकर्षित कर रही हैं। एक कृति में सेब का कटा टुकड़ा उसे एकाग्रचित्त निहारता एक मनुष्य और इन सभी के बीच सक्रिय एक धागा हो या एक मुख्य आकृति में कई छोटी-छोटी और लयात्मक आकृतियों का संयोजन, येखुद में कई कहानियां समेटे हुए हैं।

वही प्रदर्शनी में एक ऐसी मूर्ति भी दिखी जिसमें बिना आंख के भी जीवंतता हावी है। भुरा रंग, बीच से खाली पेट के किनारों पर बर्फीनुमा खुरदुरापन जो कृति को विशेष बनाती है साथ ही मुख्य विषय में जीवन का संघर्ष और प्रेम भी सलीके से प्रदर्शित है साथ में चिड़ियों का संयोजन कलाकार के प्रकृति प्रेम और गहरे अध्ययन को दर्शाता है। प्रदर्शनी में मूर्तन-अमूर्तन दोनों प्रभाव की कृतियां प्रदर्शित हैं।

गैलरी में कुछ मूर्तियों में बैलेंस कमाल का है जिसे देखने के बाद अपनी आंखो पर विश्वास नही हो पाता है। हाथी का अपने रास्ते पर झूमते चलना और उसके पूरे शरीर पर स्त्री आकृतियां जेहन में कई सारे सवाल खड़ा करती हैं। इसके अलावें फोटोग्राफ्स और रेखांकन भी कमाल के प्रदर्शित हैं। गैलरी में लगी कृतियों में सागर में दो नावों के बीच से झांकता सूर्य और उस लालिमा से फैला सौंदर्य प्रदर्शनी की शोभा में चार चांद लगाती है।

पवित्र प्रेम के कलाकार नवल किशोर की कृतियां भी अपने जाने पहचाने अंदाज में ही हैं, रंग वही कमाल का है। अमूर्तन कृतियां भी अपनी विशेषता के साथ हाजिर हैं। जबरदस्त स्ट्रोक, सशक्त रेखाओं से युक्त कृतियों के साथ प्रदर्शनी की मोहक यात्रा दर्शक को भावविभोर कर देती हैं।

क्या कहती हैं गैलरी की क्युरेटर ?

क्युरेटर सलोनी बाढवा का कहना है कि ‘एकत्व फाउंडेशन का कार्य ही कलाकार एवं भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है एकता। वे कहती हैं कि हम एकता में विश्वास रखते हैं और कलाकार जो खुद को एकांत में रखकर एक ऐसी दुनिया का सृजन करता है जो समाज का आइना तो होता ही है मार्गदर्शक भी होता है। ऐसे ही कलाकारों को एक मंच पर लाकर उनकी सोच एवं कृतियां आम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य करने में हमें सुकून मिलता हैं’। वे बताती हैं कि वाराणसी में एक कला दीर्घा में कौशलेश के पेंटिंग्स को देखने के बाद मुग्ध हो गई और फिर इस गैलरी के लिए उनका सलेक्शन फाइनल हुआ।

एकत्व का यह प्रयास उन सारे कलाकारों के लिए मिल का पत्थर है जो इस क्षेत्र में नए आते हैं। ऐसे प्रदर्शनियों में जगह पाने के लिए नये कलाकारों को ऐड़ी चोटी एक करना पड़ता है जबकि इस प्रदर्शनी में कई नए कलाकारों को भी एकत्व ने शामिल कर उनकी कठिनाइयों को कम किया है और एक बड़ा मंच दिया है।

प्रदर्शनी 13 दिसंबर तक चलेगी, दर्शक कृतियों का आनन्द प्रदर्शनी स्थल तक जाकर ले रहे हैं। वे गैलरी में आकर कलाकृतियों के जादुई जाल में घंटो उतरा कर तैर रहे हैं। कल्पना की उड़ान का आनंद ले रहे हैं और कला के आयाम को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे प्रदर्शनी दुर्लभ होते हैं इसलिए समय रहते इनका दीदार करना कला का सम्मान ही नही बल्कि अपनी अंदर की कल्पना को जानने का भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

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