महावीर मन्दिर के पुनर्निर्माण से लेकर 9 चैरिटेबल अस्पतालों का किया निर्माण
जन सेवा से आध्यात्मिक सेवा तक की एक मिसाल थे आचार्य कुणाल
राज्यपाल ने पुष्पांजलि दी, मुख्यमंत्री की ओर से प्रधान सचिव पहुंचे
पटना,30 दिसंबर. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव और 1972 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का रविवार को सुबह 8 बजे हृदय गति रूकने से निधन हो गया. सांस में तकलीफ की शिकायत लेकर वे देर रात 2 बजे महावीर वात्सल्य अस्पताल में भर्ती हुए थे. 10 अगस्त 1950 को बरूराज के कोटिया टोले में जन्मे समाजसेवी,धार्मिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए समर्पित महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और पूर्व IPS अधिकारी किशोर कुणाल के निधन की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, सभी ग़म और पीड़ा में डूब गए. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव बरूराज थाना क्षेत्र के बरूराज टोले कोटिया में मातमी सन्नाटा छा गया.
74 साल के आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर पटना के गोसाईं टोला स्थित उनके निवास स्थान सायण निलयम में रखा गया है. आचार्य किशोर कुणाल का अंतिम संस्कार सोमवार को दोपहर 2 बजे हाजीपुर स्थित कौनहारा घाट पर किया जाएगा. सोमवार को उनकी अंतिम यात्रा सुबह 9 बजे उनके निवास स्थान से निकलेगी. हनुमानजी के अनन्य भक्त आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर पटना के महावीर मन्दिर होते हुए अंतिम संस्कार को जाएगा. आचार्य किशोर कुणाल ने महावीर मन्दिर के पुनर्निर्माण से लेकर महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर नेत्रालय, महावीर वरिष्ठ नागरिक अस्पताल, विशालनाथ अस्पताल समेत 9 चैरिटेबल अस्पतालों की स्थापना की.
बिहार के पूर्वी चंपारण में विश्व के सबसे बड़े विराट् रामायण मन्दिर के निर्माण का बीड़ा भी उन्होंने उठाया था. वर्ष 2023 के 20 जून को विराट रामायण मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. इसी 12 दिसंबर को उनके प्रयास से बच्चों के देश के पहले कैंसर अस्पताल महावीर बाल कैंसर अस्पताल का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. आचार्य किशोर कुणाल के प्रयास और परिकल्पना से अयोध्या के अमावा राम मन्दिर परिसर में पटना के महावीर मन्दिर की ओर से राम रसोई और सीतामढ़ी स्थित जानकी जन्म स्थान पुनौराधाम में सीता रसोई चलायी जा रही है. अयोध्या की राम रसोई में दोनों पहर में औसतन 10 हजार भक्त प्रतिनिधि निःशुल्क भोजन प्रसाद पा रहे हैं.
राज्यपाल ने पुष्पांजलि दी, मुख्यमंत्री की ओर से उनके प्रधान सचिव आए. सुबह लगभग साढ़े 9 बजे आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर महावीर वात्सल्य अस्पताल से निकट स्थित उनके निवास स्थान सायण निलय लाया गया. तब तक धर्म और परोपकार के मसीहा के नहीं रहने की खबर फैल चुकी थी. महावीर वात्सल्य अस्पताल से पार्थिव शरीर के साथ उनकी अर्धांगनी अनीता कुणाल, पुत्र सायण कुणाल, पुत्रवधु व समस्तीपुर की सांसद साम्भवी, समधी और नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी, समधिन नीता चौधरी, मंत्री सुमित कुमार सिंह, करीब रिश्तेदार एमएलसी अजय कुमार सिंह, विजय कुमार, विनय कुमार, जदयू नेता छोटू सिंह आदि आचार्य किशोर कुणाल के निवास स्थान पहुंचे.
थोड़ी देर में ही डीजीपी विनय कुमार, पूर्व डीजीपी, डीएन गौतम, जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह, डीआईजी राजीव कुमार मिश्रा समेत अधिकारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया. दिल्ली दौरे पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से उनके प्रधान सचिव दीपक कुमार और सचिव कुमार रवि श्रद्धांजलि देने पहुंचे. दीपक कुमार ने बताया कि आचार्य किशोर कुणाल के निधन की सूचना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यकीन नहीं हो रहा था. दोपहर लगभग साढ़े 12 बजे राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आचार्य किशोर कुणाल के पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया. पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ सी पी ठाकुर, अश्विनी चौबे, रामकृपाल यादव, सांसद वीणा देवी समेत कई राजनीतिक हस्तियों के आने का क्रम देर शाम तक जारी रहा. पटना उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश और सरकार के कई वरीय अधिकारियों ने भी आचार्य किशोर कुणाल के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.
सोमवार सुबह 10 बजे महावीर मन्दिर में अंतिम दर्शन
आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह 10 बजे महावीर मन्दिर के प्रांगण में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. जहाँ से अंतिम यात्रा हाजीपुर के कौनहारा घाट के लिए प्रस्थान की. कौनहारा घाट पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत समेत कई प्रमुख हस्तियों के आने की संभावना है.
नही जले लोगों के घरों के चूल्हे
पूर्व IPS अधिकारी और महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के बावजूद भी अपने गांव और वहां के लोगों के लिए आचार्य किशोर कुणाल हमेशा एक आम इंसान की तरह ही रहे. व्यस्तता से समय निकाल जब भी गाँव जाते, मंदिर की खुद से साफ-सफाई करते थे. रविवार को उनके निधन की खबर से उनके पैतृक गांव में सन्नाटा पसरा रहा. लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले.