बाढ़ के भुवनेश्वर पासवान की कहानी ही कुछ अलग है,भुवनेश्वर पिछले 72 घंटे से आधे कपड़े में अपनी जान बचाने भूखे-प्यासे पेड़ पर खड़ा था.न खाने के लिए कुछ और न ही पीने के लिए. एनडीआरएफ की टीम ना होती तो भुवनेश्वर को और कितने दिनों तक पेड़ पर ही भूखे–प्यासे दिन गुजारने पड़ते.एनडीआरएफ की टीम उस इलाके से गुजर रही थी उसे बचाओ बचाओ की आवाज सुनाई दी तब भुवनेश्वर की आवाज सुन नाव लेकर एनडीआरएफ के जवान पेड़ के पास पहुंचे. पहले उसे कपड़े दिए गए फिर एनडीआरएफ के जवानों ने उसे पेड़ से नीचे उतारा, बाद में उसे पास के राहत कैंप में पहुंचा दिया गया.भुवनेश्वर की मुसीबत अभी कम नहीं हुई है उसे यह चिंता सताए जा रही है कि उसके परिवार वाले कहाँ है वह अपने परिवार वालों की खोज में लगा है.बाढ़ का पानी भुवनेश्वर के घर में घुसने से अफरातफरी मच गई और सभी घर से भागने लगे. पानी की धार इतनी तेज थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे. बस उसने एक पेंड पर शरण ले ली .पिछले 72 घंटे से उसी पेड़ पर बाढ़ का पानी पीकर वो जिंदगी और मौत से जूझ रहा था.
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