सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद की एक सीट पर होनेवाले उपचुनाव के नतीजे की घोषणा पर रोक लगा दी है. यह सीट पहले राजद के सुनील कुमार सिंह के पास थी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनील कुमार सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि इस सीट पर उपचुनाव के नतीजे 16 जनवरी को घोषित होने की संभावना है, क्योंकि चुनाव निर्विरोध हुआ है. पीठ ने कहा कि इस सीट के लिए कोई परिणाम घोषित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वह पहले से ही इस मामले पर दलीलें सुन रही है. पीठ ने कहा, “इस बीच, याचिकाकर्ता को हटाने से रिक्त हुई सीट के संबंध में राज्य विधान परिषद में उपचुनाव का परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा”.
पीठ ने मामले को गुरुवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. आज सुनवाई के दौरान सिंघवी ने दलील दी कि मामले में आरोप नीतीश कुमार के लिए अपमानजनक शब्द के प्रयोग से संबंधित है, जिसका प्रयोग सुनील सिंह के सहयोगी ने भी किया था. हालांकि केवल उनके मुवक्किल को स्थायी रूप से निष्कासित किया गया, जबकि अन्य व्यक्ति को केवल दो दिनों के लिए अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था. सिंह के निष्कासन के अलावा उसी दिन व्यवधानकारी व्यवहार में लिप्त रहे एक अन्य राजद एमएलसी मोहम्मद सोहैब को भी दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया.
सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि यदि उनके मुवक्किल की टिप्पणियों के कारण उन्हें स्थायी रूप से निष्कासित कर दिया जाता है तो यह लोकतंत्र का अंत होगा. सिंघवी ने दलील दी कि अदालत अगस्त, 2024 से निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है और अगर कल अदालत ने याचिका को अनुमति दे दी तो यह एक अजीब स्थिति होगी क्योंकि एक ही सीट के लिए दो उम्मीदवार होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गुरुवार को राज्य विधान परिषद और आचार समिति तथा अन्य का जवाब सुनेगा और उसके बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखेगा.
पिछले साल 26 जुलाई को सुनील सिंह को सदन में अभद्र व्यवहार के कारण बिहार विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी माने जाने वाले सिंह पर 13 फरवरी 2024 को सदन में गरमागरम बहस के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी करने का आरोप लगाया गया था. सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया, एक दिन पहले ही आचार समिति ने कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. आचार समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोहैब ने जांच के दौरान अपने किए पर खेद जताया, जबकि सिंह ने अपनी बात पर अड़े रहे.
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