जेपी के नैतिक उत्तराधिकारी हैं नीतीश: हरिवंश
पटना।। आज जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा संपादित पुस्तक ‘‘जयप्रकाश की विचारधारा’’ का लोकार्पण संपन्न हुआ.
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपने संबोधन में कहा कि देश के अनूठे विशिष्ट लोगों में से थे बेनीपुरी जी. उन्होंने जयप्रकाश की विचारधारा का संपादन किया और उनके साथ रहकर समाज को नई दिशा देने का काम किया. जेपी जातीय, आर्थिक, लैंगिक संतुलन के पुरोधा थे. जेपी आंदोलन से बहुत लोग निकले लेकिन नीतीश आज भी उनके अनुयायी बने हुए हैं. जेपी इंसान को बदलने की राजनीति करते थे. उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. कभी सदन नहीं गए. वे नये समाज बनाने के राही थे. उन्होंने कभी किसी की आलोचना नहीं की और आपको बता दूं आंदोलन एक दिन में नहीं होता. जेपी युवाओं को आगे लाये ताकि बेहतर इंसान बन सके और बेहतर इंसान ही अच्छी सोसाइटी का निर्माण कर सकती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय, आर्थिक, लैंगिक न्याय का जो संतुलन बनाया उसका परिणाम बिहार निरंतर विकास कर रहा है. बिहार में जहां जेपी के गांव से पटना आने के लिए दो-दो दिन लग जाया करते थे. आज संपूर्ण बिहार से लोग आसानी से कम समय में पटना पहुंच जाते हैं. वैसे तो जेपी का पटना ही कर्मभूमि रहा लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में आज भी जेपी प्रासंगिक है. इस पुस्तक के पुनर्प्रकाशन के लिए मैं संस्थान के निदेशक को हार्दिक बधाई देता हूं.
पूर्व शिक्षा मंत्री रामचंद्र पूर्वे ने अपने संबोधन में पुस्तक की चर्चा करते हुए अनेक तथ्यों को उजागर किया और उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में उतनी बड़ी जनसभा आज तक नहीं देखने को मिली, जितनी बड़ी 13 अप्रैल, 1946 को जेपी के लिए उस तपती धूप में एक बड़ा जनसमूह उमड़ पड़ा था.
बेनीपुरी जी के नाती राजीव महंत ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का क्षण है कि मेरे नानाजी की पुस्तक पुनर्प्रकाशित हो रही है तथा उन्होंने बेनीपुरी जी के कई अन्य पहलुओं को हमारे समक्ष रखा.
लोकार्पण-सह-परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान सभा के उप सभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि इस पुस्तक के पुनर्प्रकाशन के लिए मैं इतना ही कहूंगा कि एक खोयी हुई रौशनी वापस आयी है. मुझे याद है बेनीपुरी जी ने किस प्रकार जेपी को जेल से भगाने की योजना बनायी थी. दीपावली का समय था, कार्यक्रम चल रहा था. जेपी को बीमार बताकर और योजना के तहत उन्हें जेल से भगाने में कामयाब हुए थे. जेपी मूल्यों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने एक कविता के साथ समापन किया- ‘‘इस देश पर उधार है बूढ़ा आदमी.’’
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने कहा कि जयप्रकाश जी की पुस्तक की रचना जो रामवृक्ष बेनीपुरी जी द्वारा की गई. ‘जयप्रकाश की विचारधारा’ इस पुस्तक की रचना में एक ऐसा संदर्भ जिसने बेनीपुरी जी को झकझोर कर रख दिया. जेपी के अनुयायी ने अपने खून से बेनीपुरी जी को एक खत लिखकर इस पुस्तक की रचना करने का आग्रह किया था ताकि जयप्रकाश जी की कृतियों को जनमानस जान सकें. फिर क्या रामवृक्ष बेनीपुरी जी, जो कि जेपी के काफी करीब थे, ने इस पुस्तक की रचना की. इस पुस्तक की रचना में उन तथ्यों को उजागर किया, जिन तथ्यों से लोग काफी दूर थे. वर्ष 1948 में प्रकाशित इस पुस्तक की अनुपलब्धता को देखते हुए हमारे संस्थान ने इसका पुनर्प्रकाशन करने का निर्णय लिया. सभी स्तर पर सहयोग मिला और यह पुस्तक अब आपके समक्ष प्रस्तुत है.
मंच संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने किया.
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान, सचिव शिक्षा विभाग बैजनाथ यादव, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. रेखा कुमारी, उप निदेशक उच्च शिक्षा, शिक्षा विभाग दीपक कुमार सिंह, प्रो. वीरेन्द्र झा, डॉ. मधुबाला, डॉ. विद्यार्थी विकास, भैरव लाल दास, मिथिलेश, रजनीश उपाध्याय, अरुण नारायण, राष्ट्रीय कुंवर वाहिनी के अध्यक्ष धीरज कुमार सिंह सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे.
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