सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
NIOS से 18 माह का डीएलएड करने वाले शिक्षक अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत मिश्रा
ने पिछले साल NIOS डीएलएड को फ्रेश शिक्षक भर्ती में अयोग्य माना था, जिसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गयी थी.
मंगलवार को इस मामले में फाइनल सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने फैसला सुनाया है कि 18 माह का डिप्लोमा कोर्स सभी शिक्षक भर्तियों के लिए मान्य है. इस फैसले के बाद बिहार में शिक्षक नियुक्ति के चौथे चरण में एनआइओएस से डिप्लोमा करने वाले शिक्षक आवेदन कर पायेंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एनआइओएस से 18 महीने का डीएलएड करने वाले अभ्यर्थी सरकारी शिक्षक बनने के लिए योग्य नहीं माने जायेंगे और आने वाली शिक्षक की भर्ती के लिए अप्लाई नहीं कर पायेंगे. ऐसे छात्रों को शिक्षक भर्ती परीक्षा से बाहर कर दिया गया था.
एनआईओएस के पूर्व अध्यक्ष ने जताई खुशी
एनआईओएस के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा ने पटना नाउ से एक्सक्लूसिव बात की. उन्होंने कहा कि मैं बहुत खुश हूं . आखिरकार ईमानदार शिक्षक अभ्यर्थियों को न्याय मिल गया है. यह उन भ्रष्ट लोगों के लिए बड़ा सबक है जिन्होंने केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय को गलत साबित करने की कोशिश की थी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2017 में कहा था कि सरकारी और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी एनआइओएस से डीएलएड कोर्स कर सकते हैं. इसके बाद बड़ी संख्या में शिक्षकों ने NIOS से डीएलएड किया. संसद से विशेष प्रावधान के तहत इन्हें 18 माह में ही डीएलएड कराया गया. इसके बाद 24 माह के डीएलएड करने वाले अभ्यर्थियों ने इस मामले पर केस कर दिया. इसके बाद से कई राज्यों में भर्ती से रोक दिया था.
इस निर्णय पर एनआईओएस डीएलएड शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू कुमार यादव ने खुशी जताई है. उन्होंने बताया कि बिहार के अभ्यर्थियों की तरफ से MA फाइल किया गया था जिसमें अधिवक्ता के परमेश्वर ने एनआईओएस डीएलएड के तरफ से अभ्यर्थियों का पक्ष रखा.
पप्पू कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एनआईओएस डीएलएड डिग्री नई नौकरी, प्रोन्नति के लिए
मान्य किया जाता है. उन्होंने कहा कि बिहार में लगभग एक लाख सरकारी शिक्षकों को प्रमोशन में फायदा होगा, वहीं Tre 4 में एनआइओएस डीएलएड अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे.
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