पटना।। बिहार के शिक्षकों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ने वाली है. खासकर वैसे पुरुष शिक्षकों के लिए तो ये पॉलिसी हर तरह से उलझाने वाली है जो एक दशक से अधिक समय से ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं.
शिक्षा विभाग के अधिकारी ट्रांसफर पॉलिसी में देर होने की वजह लगातार यह बताते रहे कि ऐसी पॉलिसी बनाई जा रही है जिससे ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को फायदा हो और उनकी परेशानी कम हो सके. लेकिन जब पॉलिसी सामने आई तो हुआ इसका उल्टा. विशेष रूप से सरकार के कहने पर सक्षमता परीक्षा में शामिल होकर उसमें अच्छे नंबर लाने वाले नियोजित शिक्षक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
अपनी बातों से मुकर गई सरकार, कोर्ट में दिया शपथपत्र भी भूल गया शिक्षा विभाग
सरकार ने परीक्षा लेते समय जो बातें कही थी उनसे शिक्षा विभाग पूरी तरह मुकर चुका है. परीक्षा पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को उनके फर्स्ट चॉइस वाले जिले में ट्रांसफर और अच्छा नंबर लाने वाले शिक्षकों की पोस्टिंग शहरी इलाकों में करने की बात कही गई थी.
यही नहीं, सरकार पटना हाई कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे से भी मुकर रही है जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है. इसी वर्ष की शुरुआत में जब सक्षमता परीक्षा के विरोध में शिक्षकों ने पटना हाई कोर्ट का रुख किया तो कोर्ट में सरकार ने हलफनामा देकर कहा था कि किसी भी नियोजित शिक्षक को सक्षमता परीक्षा देने के लिए या परीक्षा पास करने के बाद अपनी नियोजन इकाई छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा. वह चाहे तो अपने पुराने नियोजन इकाई में बने रह सकते हैं. लेकिन जो नई ट्रांसफर पॉलिसी आई है इसमें उन्हें जबरन ट्रांसफर देने की बात कही जा रही है. दूसरी ओर, चॉइस वाला जिला मिलने के बावजूद सरकार पुरुष शिक्षकों से 10 अनुमंडल का विकल्प मांग रही है जो उनके लिए किसी काला पानी वाली सजा से काम नहीं होगा. इसके अलावा लगभग 15 साल से ज्यादा वक्त से ट्रांसफर का इंतजार कर रहे नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद सबसे पहले ट्रांसफर करने की बात कही गई थी लेकिन जब ट्रांसफर की बारी आई तो इसमें पुराने नियमित शिक्षकों और नए ज्वाइन करने वाले बीपीएससी शिक्षकों को भी मौका दे दिया गया.
यही नहीं, शिक्षा विभाग ने सक्षमता परीक्षा शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए आयोजित की थी लेकिन पोस्टिंग सिर्फ शिक्षकों का कर रही है जिससे पुस्तकालयाध्यक्षों में रोष है.
कई शिक्षक संघों ने सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. वहीं बिहार विधान परिषद के सदस्य जीवन कुमार ने भी शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर ट्रांसफर पॉलिसी पर सवाल खड़े किए हैं.
उन्होंने कहा कि सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण सभी पुरूष शिक्षकों को “गृह अनुमंडल छोड़कर” ही पदस्थापन करने हेतु विभागीय आदेश जारी किया गया है एवं अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग द्वारा दिये गये टेलीविजन साक्षात्कार में बताया गया कि इन्हें पदस्थापन हेतु 10 अनुमंडल का विकल्प देने का अवसर प्रदान किया जाएगा. ऐसी स्थिति में सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को विभाग द्वारा मेरिट के आधार पर तीन जिलों में से जो जिला आवंटित किया गया है, उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है. विभाग का यह निर्णय न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है एवं विभाग के ऐसे निर्णय से शिक्षक असंतोषजनक स्थिति में हैं. साथ ही सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण पुस्तकालयाध्यक्षों के पदस्थापन के संबंध में अभी कोई स्पष्ट आदेश निर्गत नहीं है जिससे उनके समक्ष भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जबकि पुस्तकालयाध्यक्षों की भी सक्षमता परीक्षा शिक्षकों के साथ ही आयोजित हुई है.
उन्होंने सुझाव दिया है कि यदि विभाग सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण सभी पुरूष शिक्षकों/ पुस्तकालयाध्यक्षों के पदस्थापन हेतु “गृह अनुमंडल छोड़कर” के शर्त की जगह “गृह प्रखंड छोड़कर” एवं 10 अनुमंडल के बदले 10 प्रखंडों का विकल्प देने हेतु प्रावधानित करेगी तो सरकार के द्वारा पूर्व में निर्गत पत्र और नियमावली भी लागू हो सकेगी. साथ ही पुस्तकालयाध्यक्षों का पदस्थापन भी सभी शिक्षकों के साथ करने का आग्रह किया है.
pncb