रुद्राक्ष और तुलसी माला से बनी भगवान श्री चित्रगुप्त की मूर्ति

पटना, अजित : पटना के मूर्तिकार जितेंद्र ने रुद्राक्ष से भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा तैयार की है. इस प्रतिमा में मूर्तिकार ने तकरीबन पन्द्रह हजार रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया है. पूरे राज्य में रुद्राक्ष के भगवान चित्रगुप्त मूर्ति की चर्चा है. इसमें मूर्ति के पीछे के बैकग्राउंड में तेजपत्ता का इस्तेमाल हुआ है यह मूर्ति आंखों को मंत्र मुग्ध कर रही हैं.हर कोई इस प्रतिमा को देखने पहुंच रहा है। यह मूर्ति लोगों को काफी पसंद आ रही है.

बिहार समेत पूरे देश में श्री चित्रगुप्त पूजा 03 नवंबर 2024 रविवार को धूमधाम से मनायी जा रही है. लेकिन इस साल राजधानी पटना में रुद्राक्ष और तुलसी माला के दानों से बनी भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति भक्तों को आकर्षित कर रहे हैं.




पटना के बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी, भूतनाथ में कायस्थ चित्रगुप्त सेना बिहार प्रदेश द्वारा रुद्राक्ष और तुलसी माला के दानों से बनी भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति स्थापित की गई है. रुद्राक्ष को भगवान रुद्र यानी कि शिवजी का रूप माना जाता है. रुद्राक्ष का धार्मिक दृष्टीकोण से भी खास महत्व है. इस बार चित्रगुप्त पूजा में रुद्राक्ष से भगवान चित्रगुप्त प्रतिमा तैयार करने वाले मूर्तिकार जितेंद्र ने बताया कि पांच मुखी रुद्राक्ष से प्रतिमा तैयार की गई है. उन्होंने लोकल मार्केट से पांच मुखी रुद्राक्ष की माला खरीदी और प्रतिमा को तैयार किया. चित्रगुप्त प्रतिमा में रुद्राक्ष, बिंदी, मिक्स अनाज, पंच फोरन, रुई-बाती और क्रिस्टल मोतियों का उपयोग किया गया है.
सेनाध्यक्ष पाण्डेय अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि भगवान श्री चित्रगुप्त कि पूजा चंद्रा वैन्क्वेट हॉल, भूतनाथ, पटना में आयोजित किया गया हैं. सनातन धर्म में चित्रगुप्त पूजा हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है.कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर, 2024 की रात में 8 बजकर 21 मिनट पर हो रही है और इस तिथि की समाप्ति 3 नवंबर की रात में 10 बजकर 5 मिनट पर होगी. पंडितों के अनुसार, इस दौरान भगवान चित्रगुप्त की पूजा का शुभ मुहूर्त रविवार 3 नवंबर, 2024 को सुबह 07।57 AM से दोपहर 12।04 PM तक बन रहा है. चित्रगुप्त पूजा वाले दिन कलम-दवात, खाता-बही, नोटबुक और कागज की पूजा की जाती है. संपूर्ण आय-व्यय का हिसाब लिखकर भगवान को समर्पित किया जाता है. इसे ‘कलम-दवात पूजा’ भी कहते हैं.मान्यता है इससे व्यापार में तरक्की होती है. कलम-दवात पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करने से कार्य में उन्नति, आकर्षक वाणी और बुद्धि में वृद्धि का वरदान प्राप्त होता है.

अजित

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