ईको टूरिज्म पर सरकार का जोर, वन विभाग में एक अलग ईको टूरिज्म संभाग बनाया गया

पटना।। अरण्य भवन में इको टूरिज्म तथा पार्कों का विस्तार/विकास तथा रख-रखाव के सम्बन्ध में शनिवार को वन पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने समीक्षा की. बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HoFF), बिहार / प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) / प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य वानिकी विकास निगम लिमिटेड, पटना/वन संरक्षक, इको पर्यटन संभाग, पटना शामिल हुए.

प्रेम कुमार ने बताया कि बिहार के पहले जू सफारी का निर्माण राजगीर (नालंदा) में 191.12 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल 176.18 करोड़ की लागत से किया गया है. 4.79 करोड़ की लागत से Bird Aviary का निर्माण किया गया है, साथ ही 2.72 करोड़ की लागत से सुविधाओं का विस्तार किया गया है. अब तक 09 लाख से अधिक पर्यटकों द्वारा सफारी का भ्रमण किया गया है.




वन पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में स्थापित नेचर सफारी में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं. विभाग के द्वारा जैव विविधता संरक्षण के दृष्टिकोण से अलग-अलग क्षेत्रों में जैव विविधता पार्क का निर्माण किया जा रहा है.गया, जमुई, अररिया में जैव विविधता पार्क का निर्माण किया गया है. गोपालगंज के थावे, बांका के मंदार, सुपौल के वीरपुर में जैव विविधता पार्क के निर्माण का कार्य चल रहा है.

वर्ष 2024-25 में औरंगाबाद में जैव विविधता पार्क का निर्माण किया गया है नवादा में ककोलत जल प्रपात में जन सुविधाओं का विकास एवं पार्क का निर्माण किया गया है. किशनगंज में अब्दुल कलाम आजाद जैय विविधता पार्क निर्मित है. कैमूर में माँ मुण्डेश्वरी वन्यप्राणी पार्क एवं तेलहार कुण्ड का उद्घाटन मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा किया गया है. नगर विकास विभाग के द्वारा 224 पाकौं का हस्तांतरण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को किया गया है. इन्हें विकसित कर संचालन का कार्य किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूर्णियाँ, गया, पटना, बेगूसराय, सारण, औरंगाबाद एवं मुंगेर जिले में पार्क का विकास तथा उन्नयन कार्य के लिए रूपये 2791.57 लाख स्वीकृत कर कार्य कराया जा रहा है. अकेले राजधानी पटना में 142 पार्क है जिनमें 109 पार्क विकसित किये गये हैं, जिनसे आम जन को Recreation के लिये सुन्दर स्थल उपलब्ध हो सका है. शेष 33 पाकों के विकास का कार्य किया जा रहा है. मंत्री द्वारा बताया गया कि आने वाले समय में गया में कंडी-नवादा, रोहतास में तुतला भवानी, करमचट, गुप्ताधाम, रोहतास गढ़ किला, शेरगढ़ किला, मांडारकुंड, भभुआ में करकटगढ़, करमचट डैम, दुर्गावती वाटरफॉल, बन्शी खोह, जमुई में नागी नकटी, गरही डैम, सिमलतुल्ला, नरोदा वाटरफॉल, सिलौंजा, गहलोर घाटी, तपोवन, बांका में मंदार, जहानाबाद में वाणावर गुफा, भागलपुर में गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी, जगतपुर झील, कदवा दियारा, जेपी उद्यान, नालंदा में जेठियान, बेगूसराय के कांवर झील, मुंगेर में डॉल्फिन पार्क, खड़गपुर झील को और अधिक विकसित किया जायेगा। साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि ईको टूरिज्म को प्रोमोट करने के लिये आवश्यकतानुसार वाह्य एजेंसी का चयन किया जा सकता है.

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