भोजपुरी पर बयानबाजी बंद करें मनोज तिवारी
वर्षों से धोखा देते रहे हैं मनोज तिवारी
एनएसयूआई एवं भोजपुरी बचाओ अभियान के संयुक्त तत्वाधान में सांसद तथा दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी के द्वारा भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने संबंधी बयान को लेकर उनका पुतला शहीद भवन चौराहे पर जलाया गया.गौरतलब है मनोज तिवारी ने कल ही दिए बयान में कहा था कि अगर विपक्ष के द्वारा शीतकालीन सत्र अगर बाधित ना होता तो भोजपुरी सहित 3 भाषाओँ को आठवी अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव हो गया रहता.बताते चलें मनोज तिवारी पिछले डेढ़ सालों से कहते फिर रहे हैं कि एक साल के भीतर भोजपुरी को आठवी अनुसूची में शामिल कर दिया जायेगा, बावजूद इसके ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई है.
इस मुद्दे को लेकर सितम्बर माह में ही भोजपुरी भाषियों ने सिंगापूर में मनोज तिवारी को घेरा था.वहां भी उन्होंने एक साल के भीतर भोजपुरी को आठवी अनुसूची में शामिल होने की बात कही थी.अभी 2 महीने ही बीते मनोज तिवारी ने दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष पद सँभालते ही नया बयान जारी कर भोजपुरी भाषियों के साथ मजाक किया है.ऐसी बेतुका बयान से भोजपुरी के लिए संगठित लोगों को शिथिल करने का काम उन्होंने किया है.इस बयान के बाद भोजपुरी भाषियों का क्रोध उबाल पर है जिसके परिणाम स्वरुप आज भोजपुर वासियों ने पुतला दहन कर अपने आक्रोश का परिचय दिया है.
पुतला दहन में शामिल सिने अभिनेता सत्यकाम आनंद ने कड़े शब्दों में मनोज तिवारी को चेताया कि भोजपुरी के साथ ड्रामे करना बंद कीजिये और जिस भोजपुरी ने आपको पहचान दिलाई है उसपे राजनीति ना करें.अगर आप अपनी जन्म दी हुई माँ का ख्याल रखते हैं तो पहचान देने वाली माँ भोजपुरिया माई का भी ख्याल आपको रखना होगा.सत्यकाम ने कहा कि खुद प्रधानमंत्री ने भोजपुरी को शामिल करने की बात की है तो सांसद मनोज तिवारी क्या याद दिला रहे है वे आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं.
NSUI पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष डॉo अमित कुमार द्विवेदी ने कहा कि भोजपुरी के साथ राजनीति बर्दास्त नहीं किया जायेगा.संसद चलाना पक्ष तथा लोकसभा स्पीकर का काम है.ऐसी बेतुकी बात करना बंद करें.अंत में भोजपुरी जिला NSUI के अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ने कहाँ की मनोज तिवारी के द्वारा ऐसी बयान की तीव्र निंदा की जाती है.एक साजिश के तहत उनके द्वारा ऐसा बयान दिया गया है ताकि भोजपुरी भाषियों के द्वारा जो आंदोलन संसद की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने के लिए हो रही है वो मांग धीमी पड़ जाये.ज्ञात हो की 2010 में भी बड़े तीव्र गति से यह मांग जोर पकड़ रही थी उस समय उन्होंने यह कह दिया की भोजपुरी भाषा ना ह् बोली ह् कह दी जिससे मांग धीमी पड़ गयी.कुछ इसी तरह का कुकृत्य वो दुबारा कर रहे हैं.
अंत में सर्वसहमति से यह निर्णय लिया गया कि पुतला दहन तो मात्र आंदोलन का शंखनाद है जरुरत पड़ी तो भोजपुरी को उसका हक़ दिलाने के लिए सड़क से लेकर संसद तक भोजपुरी भाषी अपने हक़ के लिए आंदोलन को बाध्य होंगे.
इस पुतला दहन कार्यक्रम में भोजपुर जिला कांग्रेस के महासचिव संतोष पाण्डेय,रंगकर्मी ओपी पाण्डेय, अम्बा के जिलाध्यक्ष राकेश राजपूत मुकुल सिंह,धनंजय सिंह, समीर कुमार श्रीवास्तव, लव कुमार सिंह, झप्पू सिंह,राणा सिंह, दीपेश कुमार, डुलडुल सिंह, सारंग कुमार, सागर आनंद, बबलू कुमार, मुक्ति दुबे, जयशंकर सिंह इत्यादि के साथ दर्जन भर छात्र तथा भोजपुर वासी उपस्थित थे.