पूर्व सिनेटर ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर उठाए अनेक सवाल
भ्रष्टाचार का ये है सीन, निलंबित होने वाले हैं पदासीन
माननीय कुलाधिपति से मिलकर सिनेटर करेंगे फरियाद
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व सिनेटर एवं वर्तमान भोजपुरी-विभागाध्यक्ष डा.दिवाकर पाण्डेय ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब डा.रणविजय कुमार हिंदी-विभागाध्यक्ष थे,तब उन्होंने पी.एच.डी. प्रवेश परीक्षा में विभागीय स्तर पर जमकर भ्रष्टाचार किया था जिसमें कोर्स वर्क, विभागीय परीक्षा, रिजल्ट एवं नामांकन आदि में नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए जमकर मनमानी की थी. शोधार्थियों का जमकर शोषण किया गया था.
इस तथ्य को लेकर तथा विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस स्थित बी.एड. विभाग के सत्र 2020-2022 के रिजल्ट को तीन-चार बार प्रकाशित करने के औचित्य को लेकर डा.पाण्डेय ने अधिषद की बैठक में अनेक सवाल उठाए थे जिसकी जांच के लिए आसन द्वारा 15 दिनों का समय दिया गया था,पर दुख की बात है कि आज तक कोई जांच नहीं हुई. इस बात को लेकर सिनेटर ने विश्वविद्यालय को स्मारपत्र भी दिया था,पर कोई परिणाम नहीं निकला.
डा.रणविजय कुमार ने हिंदी-विभागाध्यक्ष के रूप में अनेक तरह की धांधली की है. इनके कार्यकाल में अनेक शोधार्थियों की संचिकाएं गायब कर दी गयी थीं. जब डा.दिवाकर पाण्डेय विभागाध्यक्ष बने तो इस संबंध में एक विस्तृत प्रतिवेदन लिखकर विश्वविद्यालय को दिया, पर इस पर भी कोई काररवाई नहीं हुई.
इधर एक और मामला प्रकाश में आया है. डा.रणविजय कुमार के शोध-निर्देशन में एक शोध छात्रा ने एक शोधग्रंथ अवलोकनार्थ जमा किया जिसका अवलोकन करने पर यह पाया गया कि यह शोधग्रंथ पूर्व हिंदी-विभागाध्यक्ष डा.दीनानाथ सिंह के डी.लिट. ग्रंथ ” कामायनी का काव्यशास्त्रीय अनुशीलन ” की शत-प्रतिशत नकल है.
पूर्व सिनेटर ने इस पर दुख व्यक्त करते हुए कहा विश्वविद्यालय के बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है और उसपर कोई काररवाई नहीं हो रही है. जिन्हें निलंबित होना चाहिए उन्हें पदासीन किया जा रहा है. डा. पाण्डेय का कहना है कि वे इन सारे तथ्यों को लेकर कुलाधिपति महोदय से मिलकर उन्हें अवगत करायेंगे. न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने से नहीं हिचकेंगे
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