आरा में मनाई गई पुण्यतिथि, युवाओं को उनके विचारों से जोड़ने की हुई बात
आरा,06अप्रैल (ओ पी पांडेय). आरा के जे पी स्मारक पर प्रखर स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामानंद तिवारी की 44वीं पुण्य तिथि मनाई गई. चुनाव आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए सादे समारोह की अध्यक्षता 1974 आंदोलन के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सुशील कुमार ने किया. श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए सुशील कुमार ने पंडित जी के आदर्शों एवं संघर्षों की चर्चा करते हुए कहा कि पंडित रामानंद तिवारी के विचारो से आज के युवाओं को जोड़ना सबसे बड़ी जिम्मेवारी है. अंत में राजेंद्र मनियार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.
रामानन्द तिवारी : एक परिचय
रामानन्द तिवारी का जन्म भोजपुर जिला के शाहपुर प्रखंड के रामडीहरा गांव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 1909 को हुआ था. घर की स्थिति ठीक नही होने के कारण उनकी शिक्षा-दीक्षा ढंग से नही हो पायी. बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा था. इसलिए उन्होंने जीविकोपार्जन के लिए घर छोड़ दिया और रसोइया की नौकरी करने लगे. उसके बाद उन्होंने रेलवे स्टेशन पर पानी पिलाने से लेकर अखबार बेचने तक का काम किया. अंग्रेजों का दौर था. काम के लिए लगातार संघर्ष करने वाले रामानन्द तिवारी का चयन अंग्रेजों के सिपाही भर्ती में हो गया. ये अबतक के कामों में सबसे ज्यादा रुतवे वाला कार्य था. लेकिन जब बापू के द्वारा घोषित 1942 का आंदोलन शुरू हुआ तो भारतीयों पर अत्याचार के खिलाफ वे भी अंग्रेजों के खिलाफ बागी हो गए और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. उनके इस बगावत के लिए अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. चार सालों तक जेल में सजा काट बाहर आये. जेल से बाहर आते ही वे पुलिस मेस असोसिएशन के अध्यक्ष बने. उनकी शादी सुलक्षणा देवी से 1936 में हुई जिनसे उन्हें तीन पुत्र कृष्णानन्द तिवारी, शिवानन्द तिवारी, उमानन्द तिवारी व एक पुत्री गीता तिवारी हुई. शिवानन्द तिवारी RJD के एक बड़े नेता के रूप में चर्चित हैं.
गिनीज बुक में भी रिकॉर्ड है
रामानंद तिवारी का नाम स्व. रमानन्द तिवारी के कार्यों ने न सिर्फ जनता के नेता के रूप में चुना बल्कि उनके कार्यों ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया. बिहार पुलिस और जेल मेस एसोसिएशन के निर्माण के लिए उनका नाम “गिनिज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में अंकित किया गया. वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े रहे.
वे लेखक और कवि भी थे
वे न सिर्फ सामाजिक कार्यकर्ता बल्कि एक चिंतक, लेखक और कवि भी थे. उन्होंने पुलिस और जेल कर्मचारियों पर लगभग 20 पुस्तकें; मुख्य रचना, ‘हमारा कसूर, तथा, सिपाहियों की कहानी, तारों की जवानी’ और कबीर पर काव्य-प्रबन्ध पिजर प्रेम प्रकासिया की रचना भी की.
बिहार के दो बार रहे गृह मंत्री तो बक्सर से सांसद भी रहे
भारत की स्वतंत्रता के बाद 1952 में उन्हें सोशलिस्ट पार्टी से उनके अपने विधानसभा क्षेत्र शाहपुर से टिकट मिला और वे जीत भी गए. अपनी छवि और लगातार क्षेत्र में कार्य के कारण लगातार वे 1971 तक अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि रहे. लगातार जीत और क्षेत्र में लोकप्रिय नेता के रूप रहने के कारण उन्हें इस दौरान दो बार बिहार के गृहमंत्री के रूप में भी रहे. उनका कहना था कि मेहनत से कुछ भी पाया जा सकता है. असंभव कुछ भी नही है. बागी तेवर के स्व. रामनंद तिवारी ने 1975 के आपात काल का भी विरोध किया तो सरकार ने गिरफ्तार कर अंबाला जेल भेज दिया. लेकिन जब आपातकाल छँटा और जेल से उनकी वापसी हुई तो 1977 में बक्सर की जनता ने उन्हें अपने लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में चुना. इस मौके पर शहर के सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए पंडित रामानंद तिवारी जी को अपनी श्रद्धांजलि एवं पुष्पांजलि अर्पित किया.
इस अवसर पर राजेंद्र मणियारा, प्रह्लाद सिंह, अरुण भोले, अजय निशि,उमाकांत ओझा, महेश सिंह यादव, जिला परिषद सदस्य भीम यादव, नाथू राम, अशोक मानव, शिक्षक धीरज जी, अरुण यादव, पवन राव, जे पी सिंह एवं अन्य लोग उपस्थित रहे.