प्रशांत किशोर ने बताया BJP को हराने का 4 फार्मूला




4 मजबूत किलों में से 3 को तोड़ना पड़ेगा: प्रशांत किशोर

बिहार में 5 वर्ष लोग परेशानी झेलते हैं, लेकिन वोट के दिन सभी समस्याओं को भूल जाति-धर्म के नाम पर करते हैं वोट

पटना,15 फरवरी(ओ पी पांडेय). BJP के लगातार जीत और दूसरी पार्टियों पर भी उसके प्रभुत्व के बाद BJP के आत्मविश्वास में भारी बढ़ोतरी के बीच राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले जन सुराज की अवधारणा की नींव रख बिहार में कई महीनों से पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर ने BJP को हराने का फार्मूला इजात कर बताया है. चौकिये मत ये कोई झूठी या सनसनी फैलाने वाली खबर नही बल्कि सच्ची खबर है.

बिहार की राजनीति को बदलने का दमखम रखने वाले प्रशांत किशोर ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान ये चौकाने वाले बयान दिए हैं. उक्त बातें उन्होंने BJP से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए पत्रकारों से कहा कि देश के स्तर पर जब लोग पूछते हैं कि भाजपा की जीत क्यों होती है? तो मैं बता दूं कि भाजपा के जीतने के 4 प्रमुख कारण हैं. वो है विचारधारा, जिसको आप हिंदुत्व कहते हैं, दूसरा है नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद), तीसरा है लाभार्थी और चौथा है उनकी ऑर्गेनाइजेशनल और फाइनेंशियल ताकत. उन्होंने कहा मैंने कि अगर आपको भाजपा को हराना है तो किसी दल को, किसी नेता व गठबंधन को इन चार मजबूत किले-द्वार में से तीन को तोड़ना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमको बिहार को और बिहार की जनता को जीताना है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि उन्हें भाजपा से कोई प्रतिद्वंद्विता नही है क्योंकि हमको भाजपा को नहीं हराना है बल्कि बिहार की जनता को जीताना है. बिहार में भाजपा जीती भी है और हारी भी है लेकिन बिहार की जनता की स्थिति तो नहीं बदली. यही नही बिहार में लालू-नीतीश जीते भी हैं और हारे भी, कांग्रेस जीती भी और हारी भी. हम लोगों ने UPA की सरकार देखी और 10 सालों तक NDA की सरकार भी देखी.

लेकिन इन सबके बावजूद बिहार से पलायन तो नहीं रुका, यहां से गरीबी तो नहीं मिटी. बिहार की जनता ने 40 वर्षों तक कांग्रेस का भी राज देखा, भाजपा, नीतीश और लालू का भी राज देख रहे हैं. इसके बावजूद स्थिति तो नहीं सुधरी. इन सबका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक आप समस्या के मूल को नहीं समझिएगा, जड़ को नहीं सुधारिएगा तब तक विकास संभव नहीं है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि जड़ में यहां के लोगों की वो प्रवृत्ति है, जहां आप 5 सालों तक अपनी समस्याओं से जूझते हैं, लड़ते हैं, गाते हैं, परेशान रहते हैं, लेकिन जिस दिन वोट देने जाते हैं उस दिन सारी समस्याओं को भूलकर जाति-धर्म के नाम पर, लालू के डर से भाजपा को और भाजपा के डर से लालू को वोट करते हैं. इसलिए आपकी समस्या सुलझती नहीं है.

अब देखना यह होगा कि प्रशांत किशोर के इस जीत के फार्मूले को जनता अपना क्या बिहार की जनता बिहार के तकदीर की नई कहानी लिखेगी या फिर अपने पांच साल तक त्रस्त व बदहाल स्थिति को ही अपनी नियति मान वही पुरानी राजनीतिक दिनचर्या अपनाती है।

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