जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज जब केवल 2 माह के थे, तब उनके आंखों की रौशनी चली गई थी. 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की
पटना साहिब दीवान मुहल्ला में स्थित श्रीआदि चित्रगुप्त मंदिर में धर्मचक्रवर्ती महामहोपाध्याय श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर रामानन्दाचार्य जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी का जन्म दिवस अमृत महोत्सव के रूप में उनके शिष्यों के द्वारा उल्लास पूर्वक मनाया गया.
इस अवसर पर उपस्थित डॉ० रामाधार शर्मा जी ने जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज जब केवल 2 माह के थे, तब उनके आंखों की रोशनी चली गई थी. कहा जाता है कि, उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थी.जगद्गुरु पढ़-लिख नहीं सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं. केवल सुनकर ही वे सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं. दृष्टि बाधित होने के बावजूद भी उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त है और उन्होंने 80 ग्रंथों की रचना की है.2014 में जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी को भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था.जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. इस पद पर वे 1988 से प्रतिष्ठित हैं.
जगद्गुरु जी के पटना से सबसे पुराने शिष्य श्री सुरेन्द्र गिरि ने बताया कि उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है. स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं . भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं.
शिष्या ईवा वर्मा ने बताया कि जगद्गुरु जी संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं एवं उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं.
शिष्या आराधना गिरि ने जानकारी दी कि रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं.
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आनन्द भूषण ने बताया कि स्वामी रामभद्राचार्य जी ने प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा है कि वाल्मीकि रामायण के बाल खंड के आठवें श्लोक से श्रीराम जन्म के बारे में जानकारी शुरू होती है. यह सटीक प्रमाण है.इसके बाद स्कंद पुराण में राम जन्म स्थान के बारे में बताया गया है. इसके मुताबिक राम जन्म स्थान से 300 धनुष की दूरी पर सरयू माता बह रही हैं.एक धनुष चार हाथ का होता है.आज भी यदि नापा जाए तो जन्म स्थान से सरयू नदी उतनी ही दूरी पर बहती दिखेगी.इसके पूर्व अथर्व वेद के दशम कांड के 31वें अनु वाक्य के द्वितीय मंत्र में स्पष्ट कहा गया है कि 8 चक्रों व नौ प्रमुख द्वार वाली श्री अयोध्या देवताओं की पुरी है.उसी अयोध्या में मंदिर महल है.उसमें परमात्मा स्वर्ग लोक से आए. स्वामी रामभद्राचार्य ने अयोध्या में प्रभु राम जन्म के 441 प्रमाण दिए थे. जब खुदाई हुई तो उनमें से 437प्रमाण सही साबित निकले थे.
श्रवण कुमार ने बताया कि जब रामलला अपने धाम में विराजित होने जा रहे हों, तब बड़ी हस्तियों के बीच उस महान संत को भला हम कैसे भुला सकते हैं, जिनकी अनमोल गवाही रामजन्मभूमि मामले का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बनी थी.
नीरज वर्मा ने कहा कि जब से जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है सब चकाचक है और वर्ष 2024 का नया साल हिंदू मतावलंबियों के खुशियों की बड़ी बारात लेकर आ रहा है.
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के जन्म दिवस अमृतमहोत्सव के शुभ अवसर पर अन्य उपस्थित लोगों में अंजनी वर्मा, कुसुम लता गिरि, उर्मिला शर्मा, माधुरी वर्मा, वैष्णवी, अपूर्वा आदि प्रमुख थे.
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