अस्तित्व का सवाल है, संघर्ष ही रास्ता : श्वेता सुमन




आंदोलन जारी है .. सेविका सहायिका फिर उतरी सड़क पर

दरभंगा जिले में संघर्ष समिति के 11 सदस्य चयनमुक्त

मांगों पर संवेदनशील होने की सरकार से गुहार

संजय मिश्र,दरभंगा

सरकार की महत्वाकांक्षी बाल विकास परियोजना की सेवाओं को साकार करने वाली सेविका और सहायिका के चेहरे उदास हैं. वे हीं इन सेवाओं को जमीन पर उतारती हैं. बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए पोषाहार तथा उनके देखभाल के वृहत्तर दायित्व को वे संभालती हैं. ताकि भावी समाज तन और मस्तिष्क से स्वस्थ हो. इतने अहम काम करने वाली सेविका और सहायिका का मानस निराशा से भरा है. दूसरे का भविष्य संवारने वाली सरकार के इस अंग के परिवार का भविष्य दूर दूर तक उज्ज्वल नहीं है.

ये बातें बिहार राज्य सेविका सहायिका संघर्ष समिति की जिलाध्यक्ष श्वेता सुमन ने शनिवार को लहेरियासराय के पोलो ग्राउंड में कही. समिति के पूर्व घोषित धरने को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की संवेदनशीलता के अभाव से सेविका और सहायिका में मायूसी छाई है. ऊपर से लोकतांत्रिक तरीके से अपनी 5 सूत्री मांगों पर जोर देने के एवज में लाठियां मिलीं. उन्होंने हैरानी जताई कि एक दैनिक मजदूर को मिलने वाले मजदूरी से भी कम पैसे उन्हें सरकार देती है. अन्य राज्यों ने मिलने वाली राशि को सम्मानजनक स्तर तक पहुंचाया लेकिन बिहार की सरकार बेपरवाह बनी बैठी है. उल्टे चयन मुक्ति जैसे कड़े प्रतिरोधी कदम उठाए हैं. सरकार से गुहार है कि समिति के जायज मांगों पर संवेदनशील और मानवीय दृष्टि अपनाए.

उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि मांगें नहीं मानी जा रही.. चयन मुक्ति जैसे कठोर कदम उठाए जा रहे हैं.. अस्तित्व का सवाल है तो संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक ही दिन यानि 6 नवंबर 2023 को दस सेविका को चयनमुक्त कर दिया गया. इनमें मीनू कुमारी, गुलशन आरा, नासरीन निगाह, हनीफा खातून, रेखा सिन्हा, रंजीता कुमारी, श्वेता सुमन, शकुंतला कुमारी, शाहीन परवीन और धर्मशिला देवी शामिल हैं. इतनी कड़ी कार्रवाई के बाद भी आंदोलकारियों का मनोबल पूरी तरह टूटता नहीं देख 14 नवंबर को शमशाद बेगम को चयन मुक्त कर दिया गया. शमशाद पर अन्य कारणों के अलावा आरोप लगाया गया है कि वे उन सेविकाओं को धमकी दे रहीं थीं जो आंदोलन छोड़ काम पर लौट आईं. चयन मुक्त सेविकाएं अलीनगर, सदर, बेनीपुर, बहेड़ी, हायाघाट और बहादुरपुर प्रखण्ड से हैं. चयन मुक्त आदेश पत्र में गुंजाइश छोड़ी गई है कि प्रभावित सेविका आईसीडीएस निदेशालय के संशोधित प्रावधान के तहत अपील कर सकती हैं.

संघर्ष समिति सदस्यों के उधेड़बुन देख और उनका हौसला बढ़ाने वामपंथी नेता सामने आए हैं. शनिवार को हुए प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष श्वेता सुमन की अगुवाई में 25 नवंबर को हुए प्रदर्शन में उनने बढ़ चढ़ कर शिरकत की. उनका फोकस इस बात के इर्द गिर्द रहा कि प्रदर्शनकारियों पर दमनात्मक कार्रवाई नहीं हो. न्याय करने खातिर सरकार मानवीय दृष्टिकोण दिखाए और संयुक्त संघर्ष समिति नेताओं को वार्ता के टेबल पर लाए. सीपीआई नेता नारायणजी झा, सीपीएम नेता राजीव कुमार चौधरी, माले नेता नंदलाल ठाकुर, खेत मजदूर सभा नेता सत्य नारायण पासवान, खेत मजदूर सभा मार्क्सवादी नेता दिलीप कुमार भगत और रसोइया संघ नेता मनोज कुमार गुप्ता के संबोधन का मजमून यही रहा कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिस एक्शन के बदले ठोस और सम्मानजनक उपाय तलाशे जाएं. चयन मुक्त सेविकाओं को नौकरी पर रिइंस्टेट किया जाए. नौकरी खाने वाली सरकार की छवि अफसोसनाक होगा.

धरना स्थल से प्रदर्शनकारी लहेरियासराय टावर स्थित गांधी प्रतिमा तक गए. बाद में एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम को ज्ञापन सौंपा. नासरीन निगाह, रंजीता कुमारी, रूपम कुमारी, शकुंतला देवी, वन्दना कुमारी, संगीता कुमारी, कुमारी सुधा सहित सैकड़ों सेविकाओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.आपको बता दें कि सेविका सहायिका की हड़ताल 29-9-23 से शुरू हुई.

By pnc

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